Friday, December 29, 2023

Class Date: 18-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 29&30
Paragraph #: 4
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Summary:

एक शब्द में उत्तर दें-


1. जीव के साथ सबसे लंबे समय से क्या है?

उ. ज्ञान स्वभाव

2. जीविका कर्म के साथ कैसा संबंध है?

उ.संकलिष्ट

3. कर्म के फल आने को क्या कहते हैं?

उ.उदय

4. कर्मफल देने के बाद क्या बन जाता है?

उ.अकर्म

5. बंधे हुए समय के पूर्व कर्म का उदय आना क्या कहलाता है?

उ. अपकर्षण

रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-


1. हम ------ लेकर आए हैं —--- को लेकर जाएंगे

उ. मिथ्यतव,सम्यक्त्व

2. गुरु के निमित्त से —---- के द्वारा ज्ञान होता है।

उ.स्वयं

3. कर्म का उदय आता है तब स्वयंमेव —---------------- के अनुसार कार्य बनता है।

उ.प्रकृति,स्थिति,अनुभाग

4. कर्म —------ हो के कार्य नहीं करता।

उ.कर्ता

5. फल सहित निर्जरा जिस अनुसार बंदा था वैसी निर्जरा होना —----- निर्जरा है

उ.विपाक

सही गलत में उत्तर दीजिए-


1. कर्म जिस समय बांधा जाता है इस समय उसके फल देने का समय निश्चित हो जाता है?

उ.सही

2. कर्म का उदय बंधे हुए समय के पूर्व नहीं आ सकता है?

उ.गलत

3. कर्म जीव का कर्ता है?

उ.गलत

4. अकर्म होने के बाद कर्म के पुद्गल परमाणु किसी और रूप बन सकते हैं?

उ.सही

5. कर्म के उदय अनुसार भावों का ना होना अविपाक निर्जरा है।

उ.सही

Notes Written By Neha Gangwal.


Class Date: 21-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 31
Paragraph #: 1 
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Summary:


नोकर्म =किंचित (इशत)= अर्थात अस्तित्व तो है परन्तु थोड़ा है  
1= जो कर्म के सामान है परन्तु कर्म जैसा gyana varan रूप नहीं है जो कर्म में मुख्यता से शरीर है

2= कर्म के जैसा सुख दुःख देता है

3=.कर्म का मित्र है कर्म को बुलाता है आत्मा को नहीं

4= पूरा शरीर आदि जो भी हैं और इसके जो हिस्से हैं जो पुद्गल परमाणु के पिण्ड हैं और इसके निमित्त से जो भी हो रहा है वह भी पुद्गल के पिण्ड हैं इसका सम्बन्ध आयु कल प्रमाण रहता है इसका सम्बन्ध जीव के साथ में एक क्षेत्र अवगाहा संश्लिस्ट सम्बन्ध पाया जाता है

इन्द्रिय= स्पर्शन,रसना,आदि पञ्च इन्द्रिय

नो इन्द्रिय =  मन ( इंद्रियों की भांति नहीं है परन्तु इंद्रियों की तरह ही कार्य करती है )

रिक्त स्थान भरो -


1.= कर्म ____है और जीव  का परिणाम____हे परन्तु जो कार्य है वह कर्म नहीं वह भाव कर्म है द्रव कर्म नहीं है

Ans- कारण ,कार्य

2=जैसे पुद्गल द्रव्य _____ मैं निमित्त बनता है, वैसे ही शरीर भी ______में निमित्त बनता है

Ans-सुख दुःख ,सुख दुःख

3= शरीर नाम कर्म का उदय_____ नहीं होता लगातार होता है

Ans- कम ज्यादा

4= हमारे ____ बेजान है है सिर्फ उसमें _____ की जान है यानि वचन पौद्ग ग्लिक है है वचन शरीर के अंग से पृथक है

Ans- वचन ,राग द्वेष

5=कर्म का सम्बन्ध _______ हो सकता है परन्तु शरीर का सम्बन्ध ______होता है

Ans- 70 कोड़ा कोडी सागर ,33 सागर

1) जीव द्रवकर्म के साथ वाला होगा तो ही शरीर होगा

2) एक वस्तु के टुकड़े कभी नहीं होते हैं यदि शरीर के हिस्से हो रहे हैं तो वह पिंड है 

Notes Written By Rashmi Jain.

Class Date: 19-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 30
Paragraph #: 1 
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Summary:

Short answer type question:-


Q.1 एक समय में कितने परमाणु बंधते हैं?

उत्तर :--एक समय प्रबद्ध 

Q.2 एक समय प्रबद्ध में कितने परमाणु होते हैं?

उत्तर- (i) अभव्य X अनंतगुणा
         (ii) सिद्ध राशि/अनंत भाग

Q.3 क्या एक समय में बंधे परमाणु अगले समय से ही उदय में आने लगते हैं?

Ans- नहीं, अगले समय से ही उदय में नहीं आते। आबाधा काल को छोड़ कर उदय में आते है।

Q.4 क्या परमाणुओं के उदय में आने का कोई क्रम हैं?

उत्तर- हाँ एक समय में बंधे हुए परमाणु आबाधा काल को छोड़कर अपनी स्थिति के जितने समय हैं उतने समय में फैल जाते हैं, फिर क्रम से उदय में आते हैं।

Q.5 आबाधा काल किसे कहते है?

उत्तर- प्रतिसमय बंधे परमाणु एक निश्चित समय तक उदय में नहीं आते, वही समय सीमा आबाधा काल कहलाती है।

Q.6 आयु कर्म की आबाधा की किस प्रकार गणना की जाती हैं?

उत्तर- जिस समय जीव अगले भव की आयु बांधता है उसके अगले समय से लेकर वर्तमान भव की उसकी जो आयु शेष है वह उस जीव की आयु कर्म की आबाधा होती है।

Q.7 एक कोड़ाकोड़ी वर्ष स्थिति वाले कर्म की आबाधा कितनी होती है।

उत्तर-100 वर्ष

Q.8 क्या एक समय में एक ही प्रकार के कर्म उदय में आते हैं?

उत्तर- नहीं; बहुत समयों में बँधे अनेक कर्मों के परमाणु जो कि एक समय मे उदय आने योग्य हैं , इकट्ठे होकर उदय में आते हैं।

बहुविकल्पी:-


1: एक समय मे कितने परमाणु बंधन को प्राप्त होते हैं?

(A) संख्यात
(B) असंख्यात
(C)अनंत ✅
(D) कोई नहीं

2. जीव को प्रतिसमय एक समय प्रबद्ध जो परमाणु बंधते है उनका क्या कारण है?

A) योग ✅
(b) कषाय

3. कौन सी कर्म प्रकृति में आबाधा काल का सामान्य नियम घटित नहीं होता है?

(a) ज्ञानावरण
(b) दर्शनावरण 
(c) आयु ✅
(d) नाम

4. जिस जीव ने अगले भव की आयु बाँध ली हो क्या उस जीव के कदलीघात मरण संभव है?

(a) हाँ
(b) नहीं✅
(c) शायद
(d) पता नहीं

हाँ या ना में उत्तर दें!

1. मनुष्यों की संख्या स्थिर है।

Ans- नहीं'
२. जितनी लंबी कर्म की स्थिति उतना बड़ा आबाधा काल होता है।

Ans-हां

3.भव्य जीवों की संख्या कम होती रहती है।

Ans- हाँ

4. अभव्यों की संख्या कम बढ़ नहीं होती है।

Ans- हाँ

Notes Written By Nidhi Jain.

Class Date: 23-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 31
Paragraph #: 1,2,3
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Summary:

सही /गलत


1.जीव के आत्म प्रदेशों मे संकोच और विस्तार की शक्ति पाई जाती है 

Ans-(V)

2.विग्रह गति के समय जीव के नोकर्म होता है 

Ans- (X)

3.नाम कर्म के निमित्त से शरीर प्राप्त होता है 

Ans- (V)

4. विग्रह गति के समय जीव अपने पूर्व शरीर जो छोड़ा है, उस आकार रुप रहता है 

Ans- (V)

5. जीव को जिस प्रकार का शरीर प्राप्त होता है, उतने स्थान मे उसके प्रदेश रहते है 

Ans- (V)

6. जीव असंख्यात प्रदेशी है 

Ans- (V)

7. द्रव्यइन्द्रिय द्रव्यमन, वचन और श्वासोच्छवास आदि शरीर के अंग नहीं है 

Ans- (X)

8. आत्म प्रदेशों के संकुचित और विस्तृत रहने से जीव के सुख, दुःख का कोई संबंध नही है 

Ans- (V)

9. आत्मा यद्यपि असख्यात प्रदेशी है, तो भी संकोच, विस्तार शक्ति से शरीर प्रमाण ही रहता है 

Ans- (V)

10. अधिकतम तीन समय विग्रहगति मे जीव अनाहारक रह सकता है 

Ans- (V)

11.जीव के जन्म समय से लेकर जितनी आयु की स्थिति हो, उतने काल तक शरीर और आत्मा का संबंध रहता है 

Ans- (v)

खाली स्थान


1.काल की सबसे छोटी ईकाई.....है।

उत्तर - समय

2. जीव का एक गति से दूसरी गति मे जाने के बीच के अन्तराल को...... कहते है।

उत्तर- विग्रहगति

3. विग्रह गति मे ....मोडे होते हैं

उत्तर- तीन

 4. नोकर्म मे नो शब्द का अर्थ.... होता है। 

उत्तर -अल्प (थोडा)

5. मूल शरीर को छोड़े बिना आत्मा के प्रदेशों का शरीर से बाहर निकलना, उसे .....कहते है

उत्तर - समुद्धघात

6. शरीर छूटने के बाद अधिकतम.... समय मे जीव नवीन शरीर धारण कर लेता है

उत्तर- चार

Notes Written By Kritika Jain.

Class Date: 25-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 31
Paragraph #: 2 
YouTube link: https://www.youtube.com/live/4WoHlofbRkQ?si=q-nkjZcd-fTYgjz8
Summary:

रिक्त स्थान भरो 


① आत्मा----------- प्रदेशी है।

उत्तर- असंख्यात

② संकोच - विस्तार शक्ति से-------ही रहता है!

उत्तर - शरीर प्रमाण

③ इस शरीर के अंगभूत------और------उनकी सहायता से जीव के जानपने की प्रवृत्ति होती है!

उत्तर -द्रव्य इन्द्रिय, मन

④ शरीर की अवस्था के अनुसार---------से जीव सुखी दुखी होता है

उत्तर-मोह के उदय

5- एक शरीर छूटकर दूसरा शरीर मिलने काअंतराल------- रहता है।

उत्तर - 3 समय

सही गलत बताइये


1-• कर्म की प्रकृति से भगवान को भी दुस्वरकर्म होता है।

 उत्तर- सही

2-• भगवान के शरीर का आकार हुण्डक नही हो सकता है।

उत्तर - गलत

③ इन्द्रिया मतिज्ञान के लिए निमित्त है।

उत्तर सही

④ द्रव्यकर्म घाति और आघाति रूप से दो प्रकार के हैं।

उत्तर - सही

⑤ शरीर की अवस्था के अनुसार जीव की प्रवृत्ति जीव की दशा भी देखी जाती है

उत्तर -सही

6- कमी जीव अन्यथा, इच्छा रुप प्रवर्तता है । और पुद्गल अन्यथा रुप प्रवर्तता है। 

7-आत्मा शरीर प्रमाण रहता है । नख और केस को छोड़कर

उत्तर-सही

प्रश्न उत्तर


प्रश्न 1 -द्रव्यकर्म किसे कहते है?

उत्तर- ज्ञानावरणादिक आठ कर्मों का पिंड समूह को द्रव्यकर्म कहते हैं।

प्रश्न 2- नौकर्म किसे कहते है ?

उत्तर-जो यह शरीर बना है ।नाम कर्म की निमित्त से उसका नाम है नौकर्म। 

प्रश्न 3-शरीर का और ज्ञान का क्या सम्बन्ध है?

उत्तर- जो इंद्रिया है वह ज्ञान की बहिरंग निमित्त है। लेकिन इन्द्रिया ज्ञानात्मक नहीं है। इंद्रिय और ज्ञान का कर्ता कर्म संबंध नहीं है निमित्त नेमैतिक संबंध है। अधूरी दशा में, जब तक जीव पूर्ण ज्ञान रूप परिणत नहीं हो जाता है ।तब तक इंद्रियों की सहायता लेता है। इंद्रियों के निमित्त से ज्ञान करता है।

Notes Written By Priyanka Godha.

Class Date: 14-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 28
Paragraph #:
YouTube link: https://www.youtube.com/live/8YydMEvaWew?si=F0YdvynMiE2rhtT3
Summary:

रिक्त स्थानो की पुर्ति करिए :-


1) बंध का मुख्य कारण ..... होता है! 

उत्तर :-कषाय

२) जो चेतना रहित है वह.....है! 

उत्तर - जड़ 

3) कर्म चेतना रहित है परंतु उसका फल आता है क्योकि उनका....संबंध होता है। 

उत्तर→निमित नैमित्तिक

4)एक बार में बाँधे सभी कर्म की .......एक जैसी नहीं होती है।

उत्तर -शक्ति, 

5)कर्म को चारो प्रकार से बधने में .......का निमित है और जो कार्य हो रहा है वह नैमितिक है! 

उत्तर-जीव के परिणामों

एक शब्द में उत्तर दीजिए:-


1 )योग द्वार से ग्रहण किय!हुआ कर्म -वर्गणारूप पुद्‌गल पिण्ड
किस तरह परिणमित होता है।

उत्तर-ज्ञानावरणादिक प्रकृति रूप

2) कई परमाणु किसी प्रकृति में थोड़े और किसी प्रकृति रूप अन्य में ज्यादा परमाणु, यह दर्शाता है:-

उत्तर -प्रदेश 

3) कई परमाणुओं का संबंध बहुत काल और कईयो का थोडे काल रहता है, यह बतलाता है।

उत्तर-स्थिति

Notes Written By Praneeta Jain.

Sunday, December 17, 2023

Class Date: 16-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 28
Paragraph #: 3
YouTube link: https://www.youtube.com/live/v2caZf-1pDY?si=Lf7ySH4ozq2bBS-J
Summary:

fill in the blank


(1 ) गति, जन्म मरण का कारण______ है।

Ans-  (कर्म का फल)

(2) कर्म से छूटना, मतलब कर्म का______ रूप होना है।

Ans- (अकर्म)

(3) सत्व कर्मों में जीव के परिणाम के निमित्त से _______हो सकता है ।  
     
Ans- (बदलाव ) 

(4) कर्म की________का संक्रमण होता है। 

Ans- (प्रकृति)

(5) वैक्रियिक शरीर का संक्रमण _______ में हो सकता है।

Ans- (औदारिक शरीर)

(6) अपकर्षण, उत्कर्षण कर्म के _______ और ______के होते हैं।

Ans- (स्थिति, अनुभाग) 

(7)-_____ कर्म का संक्रमण नही होता है। 

Ans- (आयु)

(8) _______जैन दर्शन की मौलिक विशेषता जो अन्य किसी दर्शन में नहीं पाई जाती । 

Ans- (कर्म की व्यवस्था)

 

सही गलत बताए-

(1) कर्म के फल से शरीर प्राप्त होता है। 

Ans-(सही) 

(२) शरीर के नष्ट होने पर कर्म का नाश हो जाता है।

Ans- ( गलत)

(3) आयु का संक्रमण हो सकता है। 

Ans- (गलत)

(4) कर्म का संक्रमण होने पर उसके थोड़े परमाणु अन्य प्रकृति रूप बदलते हैं।

Ans- (सही) 

(5) पुण्य कर्म के अनुभाग का उत्कर्षण होना बुरा है।

Ans- (गलत)

(6) स्थिति के उत्कर्षन मे स्थिति को बढ़ाते है उसे Postpone नही करते।

Ans- (सही)

बहु वैकल्पिक प्रश्न

(1) जीव के प्रदेशों से बंधे हुए कर्म का संबंध है

(A) एक क्षेत्रावगाह
(B) संयोग
(C)मानसिक
(D) एकक्षेत्रावगाह संश्लिष्ट

उत्तर - ( D) एकक्षेत्रवगाह संश्लिष्ट

(2) वर्तमान आयु का हो सकता है?

(A) संक्रमण
(B) स्थिति का अपकर्षण 
(C) स्थिति का उत्कर्षण
(D) कुछ नही

उत्तर - (B) स्थिति का अपकर्षण.

(3) मनुष्य गति का संक्रमण हो सकता है?

(A) उच्च गोत्र मे
(B) मान कषाय में  
(C)देव गति मे 
(D)साता वेदनीय   

उत्तर - देव गति

प्रश्न के उत्तर दीजिए

प्रश्न-1 सत्ता किसे कहते है?

उत्तर - जीव के प्रदेशों से बँधे हुए कर्मों का एक क्षेत्रावगाह संश्लिष्ट संबंध जब तक कर्म उदय में न आये, कर्म की सत्ता कहलाती है।

प्रश्न-2 संक्रमण क्या है और उसके नियम क्या है?

उत्तर - कर्म की प्रकृति का अन्य प्रकृति रूप होना संक्रमण है।
(1) अपने सजातीय कर्मों मे ही संक्रमित होते हैं।
(२) थोडे परमाणु बदलते है। पूरी प्रकृति नही बदलती
(3) आयु कर्म का संक्रमण नही होता 

प्रश्न-3  मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है-?

उत्तर- मेरे साथ ऐसा फल भोगने वाले अनंतो जीव है, क्योंकि कर्म बंध की दशा हमारी अकेले की नहीं है हर सँसारी जीव की कहानी है। ऐसा जानने से दुख कम हो जाता है । (2) जो हो रहा है वो स्वयं के द्वारा पूर्व में किए गये कर्मो का फल है। स्वयं का अपराध है अन्य या नही ऐसा जानकर कर्म बंधन से मुक्ति का पुरूषार्थ करना चाहिए ।

Notes Written By Vandana Jain.

Saturday, December 16, 2023

Class Date: 2-11-23
Chapter: 
Page#:
Paragraph #:
YouTube link: https://www.youtube.com/live/hKUzRXtBB_c?si=X9U62PVi43OzGnQT
Summary:


Class Date: 14-11-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 23
Paragraph #: 6 
YouTube link: https://www.youtube.com/live/p4rOHWMysx4?si=UCbsirLsVby0TO_a
Summary:

रिक्त स्थान भरो 


① जीव द्रव्य देखने जानने रूप --------- गुण का धारक है?

उत्तर -(चेतना)

② जो सामान्य को ग्रहण करे उसे कहते हैं --------

उत्तर - (दर्शन)

(3) जो विशेषता के साथ जाने उसे कहते हैं.--------

उत्तर (ज्ञान)

(4) ज्ञान और दर्शन का काम----- है

उत्तर - (जानना)

सही गलत बताइये 


① चेतना गुण का धारक जीव है?

उत्तर-- सही

② आत्मा इन्द्रियगम्य है।

उत्तर - (गलत)

③ आात्मा मूर्तिक है।

उत्तर -( गलत)

4) जिसके द्वारा जीव का ज्ञान हो उसे इन्द्रिय कहते हैं

उत्तर -(सही)

बहु  वैकल्पिक प्रश्न 


1- स्पर्श रस गंध वर्ण शब्द जिसमें नहीं होते उसे कहते हैं?

उत्तर -A (अमूर्तिक)
B-मूर्तिक
C-दोनों
D-कुछ नहीं

उत्तर A-अमूर्तिक

2. आत्मा में संकोच और विस्तार की शक्ति
(A) सहित है
(B) रहित है
(C)दोनों है
(D)दोनो नहीं है।

उत्तर - ( A )सहित है

③ आत्मा इंद्रियगम्य नहीं होने वाला पदार्थ हैं 
(A) मूर्तिकार
(B) अमूर्तिक
(C) दोनों
(D)कोई नहीं

उत्तर - (B) (अमूर्तिक)

 प्रश्न उत्तर

① इन्द्रियगम्य किसे कहते है ?

उत्तर- इन्द्रियों के द्वारा' जो जाना जा सकेगा अर्थात जानने की capability इंद्रियों के द्वारा हो जाए।

② अमूर्तिक किसे कहते हैं?

उत्तर- स्पर्श रस गंध वर्ण शब्द जिसमें नहीं होते हैं।

③ मूर्तिक किसे कहते है ?

उत्तर -जिसमें स्पर्श रस गंध वर्ण पाया जाए उसे मूर्तिक कहते हैं।

④ ज्ञान और दर्शन में क्या समानता है?

उत्तर- ज्ञान और दर्शन दोनों में समानता है। की दोनों में चेतना गुण है!अर्थात संवेदनशील है !इनके द्वारा संवेदन किया जाता है।

5)-चेतना किसके द्वारा काम करती है?

उत्तर - चेतना ज्ञान और दर्शन के द्वारा

6)-दर्शन किसे कहते है?

उत्तर- जो बिना detail किये हुए केवल सत्ता का अवलोकन ,सत्ता का महसूस करना करता है ।उसका नाम दर्शन हैं।

7)-ज्ञान किसे कहते है?

उत्तर-- विशेष जो संवेदा जाता है detail के साथ में जो जाना जाता है।वह ( जानना) ज्ञान कहते हैं!

(8) जड़ किसे कहते है?

उत्तर - जो चेतना रहित है।

(9) -जीव एवं कर्म में भिन्नता बताइए ?

उत्तर-
① जीव है चेतना वाला!
1-कर्म है अजीव

② जीव है अमूर्तिक
2-कर्म है मूर्तिक

③ जीव है एक
3-कर्म है अनन्त (अनेक)


टिप्पणी


(जीव और कर्म में भिन्नता) ---

जीव द्रव्य तो जानने - देखने रुप चेतना गुण का धारक है ।इंद्रियगम्य न होने योग्य ,अमूर्तिक, है ।एवं संकोचविस्तार शक्ति साहित असंख्यात प्रदेशी एक द्रव्य है ।
एवं कर्म है वह चेतना गुण रहित, जड़ है। मूर्तिक है अनंत पुद्गल परमाणुओं का पिंड है।
इसलिए दोनो -चीज अलग-अलग Nature वाली है । जीव और कम एक द्रव्य नहीं है। इस प्रकार से जीव और कर्म एक ही द्रव्य एक ही वस्तु एक ही पदार्थ नहीं है इसलिए इनको भिन्न-भिन्न समझना।

Notes Written By Priyanka Godha.


Class Date: 9-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 27
Paragraph #: 5
YouTube link: https://www.youtube.com/live/ZvB-9k-zzO0?si=PQCENpkZtsKeR621
Summary:


 सही गलत बताइए 


1. कर्म का बंध होना संसार का स्वरूप है?

उत्तर-सही

2. मोहनीय कार्य निर्मित जो जीव के परिणाम मिथ्यात्व और कषाय, रूप होते हैं उनके निमित्त से नवीन कर्म का बंध प्रधानः से होता है

उत्तर-सही

3- बंध चार प्रकार केहोते है प्रकृति स्थिति अनुभाग प्रदेश

उत्तर -सही

4. प्रकृति और प्रदेश बंध योग से होता है?

 उत्तर - सही

5--स्थिति अनुभाग बंध कषाय से होता

उत्तर-- सही

रिक्त स्थान भरो 

1.---------के अनुसार आबाधा पड़ती है। 

उत्तर - स्थिति

② आबाधा में कर्म की ---- नही होती हैं।

उत्तर - निषेक रचना

③ अल्प कषाय होने पर थोड़ा ----------- होता है।

 उत्तर -स्थितिबंध 

4----------होने पर बहुत स्थिति बंध होता है।

उत्तर -बहुत कषाय

⑤ कुल ---------कर्म होते है

उत्तर -148

6--दर्शनमोहनीय के------ दो कर्म उनका अपने भावो से बंधन नहीं होता है

उत्तर --सम्यकत्व, सम्यक मिथ्यात्व

बहु वैकल्पिक प्रश्न

1-तेज कषाय से कर्म का बंध

उत्तर-(A) अधिक होगा।
( B) कम होगा

उत्तर -अधिक होगा

2-क्रोध कम अनुभाग वाला है तो

(A)-तेज बंध
(B)-कम बंध

उत्तर( B)कम बंध

3--भगवान की भक्ति करते समय जीव को साता वेदनीय लंबा बंधेगा कि छोटा

(A) लम्बा
(B) छोटा

उत्तर -छोटा

Answer the question 

प्रश्न1  -कषाय से स्थिति बंध कैसा होता है,?
 उत्तर- मंद कषाय चल रही हैं ।तो कर्म का स्थिति बंध कम होगा । और तेज कषाय हो रही है। तो कर्म का स्थिति बंध अधिक होगा।

प्रश्न 2-अबाधा किसे कहते हैं?
उत्तर -कर्मबंध होने के पश्चात जितने समय तक वह कर्म उदय या उदीरणारूप रूप ना प्रवर्तते उसे अवाधा कहते हैं।

Notes Written By Priyanka Godha.

Class Date: 6-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 26&27
Paragraph #: 1,2&3
YouTube link: https://www.youtube.com/live/PXy5qQQ4w2I?si=Okinz8B-CHzJYfDl
Summary:


# FILL IN THE BLANKS : 


1)अल्प योग हो तो _____ परमाणुओं का ग्रहण होता है और बहुत योग हो तो _____परमाणुओं का ग्रहण होता है।

Ans - कम ,बहुत

2) कुल कर्म की प्रकृतियाँ _____ होती है।

Ans - 148

3) धर्म के अंगो में काया, वचन और मन की प्रवृत्ति होना ____ योग है।

Ans - शुभ

4)एक बार में _____ कर्म बंधते हैं और एक बार में _____ कर्म झड़ते है।

Ans - अनंत

5)_____ कर्म के उदय से शरीर, वचन और मन उत्पन्न होता है।

Ans - नाम कर्म

 # TRUE/FALSE :


1)चारो प्रकार के बंध एक जीव को एक साथ एक ही समय में बंधते है।

Ans- ✔️
 
2) सिद्ध भगवान में कर्म आकर्षण की शक्ति होती है और काम करती है।

Ans- ✖️

3)संसार अवस्था में प्रति समय हर जीव के योग चलता है।

Ans- ✔️

4) अरिहंत भगवान को योग के कारण से अनंत कर्म के परमाणु आते है।

Ans- ✔️

5)विग्रह गति में योग नहीं पाया जाता है।

Ans- ✖️

# VERY SHORT ANSWER :


1)योग किसे कहते है?

Ans - जो कर्म आकर्षण की जीव में शक्ति है उसे योग कहते है।

2) योग कितने प्रकार के होते है?

Ans - 2 प्रकार के होते है भाव योग और द्रव्य योग।

3) द्रव्य योग कितने प्रकार के होते है?

Ans - 3 प्रकार के मन ,वचन, काय।

4) एक जीव एक बार में कितने परमाणुओं को ग्रहण करता है?

Ans -अनंत (अथात् अभव्य राशि का अनंतगुणा और सिद्ध राशि का अनंतवा भाग)।

5)सामान्य संसारी जीव को एक बार में कम से कम कितने प्रकार के कर्म बंधते है?

Ans- 7 प्रकार के आयु को छोड़ कर।

# ANSWER IN ONE WORD :


1) आत्म प्रदेशो का पेरिस्पंदन होना या कंपन होना उसे क्या कहते है?

Ans-द्रव्य योग

2)कौन से गुणस्थान तक योग पाया जाता है?

Ans-13 वे तक ( सयोग केवली)

3)अधर्म के अंगो में काया, वचन और मन की प्रवृत्ति होना कौन सा योग कहलाता है?

Ans-अशुभ योग

4)विग्रह गति में कौन सा योग होता है?

Ans- कार्माण काय योग

5) नौ कर्म बनने के लिए कौनसा योग सहायक (Responsible) है?

Ans - द्रव्य योग

#SHORT ANSWER TYPE :


1)आठो कर्मों में से कौनसे कर्म के कारण से नवीन कर्म बंध होता है?

Ans-प्रधानता मोहनीय कर्म के उदय के निमित्त से होने वाले जो जीव के मोह, राग, द्वेष के परिणाम है उनसे नवीन कर्म का बंध होता है।

2)बंध कितने प्रकार के होते हैं और कौन-कौन से?

Ans-बंध 4 प्रकार के होते है: 
प्रकृति ,प्रदेश ,स्थिति, अनुभाग
1️⃣प्रकृति - कर्म का स्वभाव।
2️⃣प्रदेश - कर्म के परमाणुओं की संख्या।
3️⃣स्थिति - कर्म का आत्मा के साथ रहने का काला।
4️⃣अनुभाग - कर्म के आत्मा को फल देने की शक्ति।

3)आत्मा के प्रदेश का पेरिस्पंदन कब पाया जाता है?

Ans-जब भी काया, वचन और मन की क्रिया की जाए तब प्रदेशो का परिस्पंदन पाया जाता है।

4)मन, वचन और काय योग किसे कहते है? 

Ans- 
1️⃣काय योग - काया की क्रिया के लिए जो प्रयत्न होता है उसे काय योग कहते है।
2️⃣वचन योग - वचन के लिए जो प्रयत्न होता है उसे वचन योग कहते है।
3️⃣मन योग - चिंतन करते समय जो प्रयत्न होता आत्मप्रदेशो में उसे मन योग कहते है।

Notes Written By Khushi Jain.

Class Date: 13-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 28
Paragraph #: 3 
YouTube link: https://www.youtube.com/live/zQdzZBtN19E?si=vIYVexv8vZ-INzYX
Summary:

रिक्त स्थान भरे   

१. प्रकृति बंध मैं ___ योग से अंतर पढ़ता है। 

 उ. शुभ/अशुभ 

२. प्रदेश बंध मैं ___ योग से अंतर पढ़ता है। 

उ. कम/ज्यादा 

३. स्तिथि/अनुभाग बंध मैं ___ कषाय से अंतर पढ़ता है।

 उ. तीव्र/मंद 

४. जिन्हें __ नहीं करना हो वे ___ करें | 

उ. बंध, कषाय नहीं 

उत्तर लिखिए 


१. ज्यादा कर्म कितने प्रकार से बाँध सकते है ? 

उ. ४ प्रकार से, ज्यादा प्रकृतियाँ, ज्यादा प्रदेश, ज्यादा स्तिथि, ज्यादा अनुभाग बंध 

२. कम कर्म कितने प्रकार से बाँध सकते है ? 

उ. ४ प्रकार से, कम प्रकृतियाँ, कम प्रदेश, कम स्तिथि, कम अनुभाग बंध 

३. मदिरा के दृष्टांत मैं प्रकृति , स्तिथि, प्रदेश और अनुभाग लिखे।  

उ. प्रकृति - मदिरा 
     प्रदेश - मदिरा की कम/ ज्यादा मात्रा
     स्तिथि - उन्मत्तता का छोटा/लम्बा समय  
     अनुभाग - उन्मत्तता थोड़ी/ ज्यादा 

४. मुख्यता से कषाय ही कर्म बंध का कारण कैसे? 

उ. जिस प्रकार मदिरा की मात्रा की अपेक्षा उसकी उन्मत्तता उत्पन्न करने की शक्ति से मदिरा हीनाधिकपने को प्राप्त होती है, उसी प्रकार प्रदेश की अपेक्षा स्थिति/अनुभाग से कर्म हीनाधिक पने को प्राप्त होते है, अतः कषाय जो की स्थिति और अनुभाग बंध का कारण है, मुख्यता से बंध का भी कारण कही गयी है । 

५. मंद कषाय होने पर बंध किस प्रकार होता है?

उ. स्तिथि बंध - पाप प्रकृति का कम, पुण्य प्रकृति का कम
    अनुभाग बंध - पाप प्रकृति का कम, पुण्य प्रकृति का ज्यादा 

निचे दिए गए बंध प्रकार के कारण लिखे 

१. पुण्य प्रकृति की कम परमाणु संख्या और ज्यादा स्तिथि बंध 

उ. कम योग, कषाय ज्यादा 

२. पाप प्रकृति की ज्यादा परमाणु संख्या और ज्यादा स्तिथि बंध 

उ. ज्यादा योग, कषाय ज्यादा 

३. पुण्य प्रकृति की कम परमाणु संख्या और कम स्तिथि बंध 

उ. कम योग, कषाय कम 

४. ज्यादा प्रकृति बंध, पाप कर्म का अनुभाग कम , पुण्य कर्म का अनुभाग ज्यादा 

उ. ज्यादा योग, कषाय कम

सही/गलत लिखिए 


१. ज्यादा कर्म परमाणु का बंधन अधिकपने को ही प्राप्त होते है। 

Ans-  गलत, शक्ति कम भी हो शक्ति है  

२. कम कर्म परमाणु का बंधन हीनपने को ही प्राप्त होते है।

Ans-  गलत, शक्ति ज्यादा भी हो शक्ति है  

३. सोते समय कर्म कम बंधते है । 

Ans- गलत, प्रदेश अपेक्षा से कम, पर शक्ति ज्यादा भी हो शक्ति है  

४. परमाणु की संख्या अपेक्षा परमाणु की शक्ति ज्यादा बंध का प्रमाण है । 

Ans- सही 
५. मंदिर मैं शांत बाह्य प्रवृत्ति से पूजा करते समय ज्यादा पाप कर्म बांधे जा सकते है । 

Ans- सही, कषाय तीव्र होने पर 

६. कषाय से ही कर्म बंध होता है ? 

Ans- गलत, योग से प्रकृति/प्रदेश बंध होता है, जिसमे ही कषाय द्वारा स्तिथि/अनुभाग पड़ता है 

७. अगर कषाय कम हो तोह घातिया कर्म नहीं बंधते है |

Ans-  गलत, प्रकृति बंध योग से होता है, घातिया कर्म निरंतर अपने-अपने गुणस्थान मैं यथायोग्य बंधते है 

Notes Written By Ayushi Jain.


Wednesday, December 13, 2023

Class Date: 11-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 28
Paragraph #: 1 
YouTube link: https://www.youtube.com/live/IE0uhjEmGqk?si=_PgldTxjy6kLCHvt
Summary:

   

          *रिक्त स्थान भरो।* 


 *1* कर्मो में फलदान की शक्ति की _____________ कषाय की मंदता और तीव्रता पर निर्भर करती हैं। 

Ans-  ( *न्यूनाधिकता)*

 *2* पाप प्रकृति में कर्म की फलदान शक्ति अधिक होना जीव के लिए __________ हैं।

Ans- ( *अहितकारी)* 
  
 *3* अनुभाग बंध का संबंध ____________ से होता हैं।

Ans-  ( *कषाय* )

     ✅और❌बताइए।


1 देवायु, तिर्यंचायु, मनुष्यायु तीनों की स्थिति अशुभ मानी जाती हैं।

Ans- ❌

2 जब कषाय की मंदता हो तो नरक आयु छोटी बांधी जाती हैं।

Ans- ✅

 *3* घाति कर्मो की सभी प्रकृतियों में मंद कषाय होने पर अनुभाग बंध अल्प (हल्का) होता हैं। 

Ans-  ✅


    *बहुवैकल्पिक प्रश्न*


1 कषाय की मन्दता के समय यदि पुण्य बांध लिया जाए तो कर्म के फलदान की शक्ति होगी।

 अ) अधिक
  ब) कम
 स) दोनो
द) कोई नही।

        *उत्तर -(अ)*

 **2* पुण्य के अनुसार अनुकूलता का मिलना और उसमे ही सुख मानना पारमार्थिक दृष्टि से जीव के लिए:

 अ) हितकारी हैं
 ब) अहितकारी हैं
स) दोनो 
 द) दोनो नही हैं

       *उत्तर - (ब)* 

     * प्रश्न - उत्तर*


 *1* मति ज्ञानावरण कर्म का तीव्र उदय आना जीव के लिए कैसा हैं?
  
 *उत्तर*- अच्छा नही हैं क्योंकि इससे जीव के मतिज्ञान की शक्ति का घात होता है।

 2 क्या जीव के प्रतिसमय एक समान परिणाम रहते हैं?

 *उत्तर* - नही प्रतिसमय परिणाम बदलते रहते हैं, कषाय की मंदता और तीव्रता चलती रहती हैं।

 *3* क्या अत्यधिक पुण्य बांध लेने से जीव की संसार की स्थिति कम हो जाती है?

 *उत्तर* नही ,पुण्य अधिक हो या कम वह जीव को संसार का ही कारण हैं।

 **4* क्या किसी जीव को जिनेन्द्र देव की पूजा - भक्ति करते समय भी पुण्य और पाप के मिश्र बंध हो सकते हैं?

 *उत्तर* हाँ,अगर जीव पूजा करते समय भी कषाय ( क्रोध,घमंड आदि)करने में तत्पर हो तो ऐसा बंध हो जाएगा।

 **5* कर्म के आत्मा को फलदान की शक्ति को क्या कहते हैं?

  *उत्तर*- अनुभाग

Notes Written By Pratima Jain.

Thursday, December 7, 2023

Class Date: 5-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 26
Paragraph #: 3,4,5
YouTube link: https://www.youtube.com/live/qy8V1iIFhMM?si=LPLuHyVaCg3YR2Fw
Summary:

रिक्त स्थान -


1. कर्म बंध ...... प्रकार के होते है
    
       उत्तर- चार

2. कर्म का आत्मा के साथ रहने के काल को ..... बंध कहते हैं।

      उत्तर- स्थिति

3. कर्म की प्रकृति ....... प्रकार की होती है।

     उत्तर- आठ

4.प्रकृति व प्रदेश बंध ...... के निमित्त से होता है।
     
      उत्तर - योग

5.कर्म के आत्मा को फल देने की शक्ति को ....... कहते है।

     उत्तर - अनुभाग

सही/गलत -


1. योग, आत्मा की शक्ति है

Ans-  (सही)

2. परद्रव्य कर्म बंध का कारण है

Ans- (गलत)

3. कर्म परमाणु की संख्या को प्रदेश बंध कहते है 

Ans- (सही)

4. योग और कषाय दोनों कर्म बंध का कारण है 

Ans- (सही)

5. बाह्य वस्तु यद्यपि बंध का कारण नही है, परन्तु उसका त्याग किये बिना जीव के परिणाम निर्मल नही होते हैं और कर्म बंध होता है 

Ans- (सही)

6. मन,वचन, काय के निमित्त से आत्मा के प्रदेशों मे परिस्पंदन के कारण जो कर्म बंधते है उसे योग कहते हैं 

Asn- (सही)

7. मोहनीय कर्म को छोड़कर, अन्य कर्मों के निमित्त से होने वाले जीव के भाव से कर्म बंध होता है 

Ans- (गलत)

बहुवैकल्पिक प्रश्न -


1. नवीन कर्म बंधन का कारण क्या है ?

A. मोहनीय कर्म

B. जीव का परिणाम

C. मोहरूपी कर्म उदय से जीव का भाव

     उत्तर - (C)

2. किस कर्म के उदय से शरीर, मन और वचन उपजता है ?

A नाम कर्म

B. मोहनीय कर्म

C. गौत्र कर्म

     उत्तर- (A)

3. मोहनीय कर्म के उदय से जीवा के कैसे भाव होते है

A.अतत्वार्थ श्रद्धान

B.मिथ्यात्वभाव

C. कषाय भाव

D. उपरोक्त सभी

      उत्तर- (D)

Notes Written By Kritika Jain.

Monday, December 4, 2023

Class Date: 30-11-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 25
Paragraph #: 5 
YouTube link: https://www.youtube.com/live/7kRy9XScIBE?si=EFNtVrPYXDylwY7p
Summary:

निर्बल जड़ कर्मों द्वारा जीव के स्वभाव का घात तथा बाह्य सामग्री का मिलना    
   कर्म जीव का निमित्त नैमित्तिक संबंध 
उदाहरण मोहन धूल 

सही गलत बताए -

1 जीव के भाव का तथा कर्म के उदय का निमित्त नेमेत्तिक संबंध है

Ans- ( सही)

2 जो मोहित कर दे उसे मोहन धूल कहते हैं 

Ans- (सही)

3 क्या जानना कर्म का उदय है 

Ans- ( गलत)

4 जीव के दुखी होने में कर्म निमित्त है 

Ans-  (सही)

5 कर्म राग द्वेष करना जानना है 

Ans- ( गलत)

एक शब्द मे उत्तर -

1 धूल क्या है?

उत्तर अजीव 

2 व्यक्ति क्या है?

 उत्तर जीव

3 सूरज का स्वभाव कैसा है?

उत्तर गर्म 

4 द्रव्य किस गुण के कारण है?

उत्तर अस्तित्व 

5 कर्म का भाव क्या है?

उत्तर जड़ता (स्वतन्त्र)

सही विकल्प चुनिए -

1 संसारी जीव कैसे हे

  A कर्म सहित
   B कर्म रहित 
  C निसंग 
   D ये सभी
 
उत्तर A कर्म सहित

2 रोटी बनने में नेमित्तीक क्या है

 A आटा 
B चकला 
 C बेलन
 D रोटी 

उत्तर रोटी

3 जीव को बाहरी सामग्री के प्राप्त होने में क्या निमित्त नेमत्तिक कारण है

 A जीव के भाव
B कर्म का उदय
C ये दोनो 
D कोई नहीं

उत्तर C ये दोनो

Short answer type question-

Q.1   ये जीवन हमे क्यों मिला है?

  Ans भव भव की परम्परा को नष्ट करने के लिए।

Q.2 मोहन धूल क्या हे?

  उत्तर मोहन धूल याने अज्ञान मोह और कसाय रूप परिणति।

रिक्त स्थान -

1) मोहन धूल ____हे और पुरूष स्वयं ___परिणमित हुआ है।

   Ans- निमित्त,पागल

2) मोहन धूल ___पना भी नहीं था ____पना भी नहीं था

  Ans-  ज्ञान, बलवान

3) सहज ही ___और ___ का निमित्त नेमीत्तीक पना है

   Ans-  जीव, कर्म

Notes Written By Rinku Doshi.

Class Date: 29-11-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 25
Paragraph #: 3
YouTube link: https://www.youtube.com/live/2vJUGMT9KMQ?si=GpW473S0tmxi8m2F
Summary:



Q.1. इनमें से कौन सा कथन नैमित्तिक सिद्धांत को खंडित करता है।

Ans-
(क) सहायक सामग्री कार्य का हिस्सा नहीं हो सकती।
(ख) जो वस्तु स्वयं कार्य में परिणमित हुई है उपादान है।
(ग) कई वस्तुएं स्वयं कार्य रूप परिणमित तो नहीं होती किंतु कार्य के होने में सहायक होती हैं और निमित्त कहलाती हैं।
(घ) निमित्त ही नैमेत्तिक में कार्य कराता है।

उत्तर- (घ)

 सही / गलत उत्तर चुनिए 

(क). एक पुद्गल पदार्थ का दूसरे पुद्गल पदार्थ से निमित्त नैमेत्तिक संबंध बन सकता है।

 उत्तर- सही

(ख). कर्मों का पुदगल से निमित्त-नैमेत्तिक संबंध संभव नहीं।

 उत्तर -गलत 

(ग) निमित्त-नैमेत्तिक संबंध मात्र जीव और कर्मों में ही घटित होता है।

 उत्तर- गलत

(घ) कर्म के निमित्त से जीव में भाव होते हैं।

उत्तर- गलत

(ङ) कर्म के उदय के निमित्त से जीव में भाव होते हैं।

उत्तर- सही

(च). क्या कर्म के कारण जीव को बाह्य सामग्री मिलती है।

उत्तर - नहीं

(छ) क्या कर्मोदय के कारण जीव को बाह्य सामग्री मिलती है।

उत्तर- हाँ

(ज) जैसे कर्म का उदय आता है वैसा जीव में परिणाम होता है।

उत्तर- सही

(झ) जीवन की प्रत्येक घटना का संबंध कर्मोदय से हैं। 

 उत्तर- गलत

(ञ) जीव के विभाव परिणमन में भूल कर्मेदिय की है।

उत्तर- गलत

(ट) जीव के विभाव परिणमन में भूल जीव की है कर्मोदय तो निमित्त मात्र है।

उत्तर - सही

(ठ) प्रत्येक समय के बदलाव को वस्तु का परिणमन कहते हैं।

उत्तर - सही

(ड) ज्ञान, दर्शन, चारित्र, सुख, वीर्य जीव के स्वाभाव हैं।

उत्तर - सही 

(ढ) उपादान और नैमेत्तिक पर्यायवाची हैं।

उत्तर- गलत

Notes Written By Nidhi Jain.

Class Date: 28-11-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 25
Paragraph #: 
YouTube link: https://www.youtube.com/live/WkFMery255Q?si=Bmd2Ned1w_wKbQAa
Summary:

एक शब्द में उत्तर दीजिए-

1. दो प्रकार की भाई सामग्री क्या हे ?

-उपात्र और अनुपात

2. अघाती कर्म के उदय से जीव में होने वाले भाव को क्या कहते हैं?

- जीव विपाकि फल

3. घटिया कर्म के नस पर घटिया कम दुख उत्पन्न क्यों नहीं कर पाते?

- मोहनिय कर्म का नाश हो जाने से

4. अपात बाह्य सामग्री का उदाहरण क्या है?

- स्त्री पुत्र कपड़ा मकान

5. कर्म के उदय और जीव के विभाग रूप परिणामन होने में क्या संबंध है?

-निमित्त नेमेतिक

रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए


1. घाती कर्म जीव के —---- गुण का घात करता है?

- ज्ञान दर्शन चारित्र

2. अघाती कर्म से —--- एकित्रत होती हैं।

-बाह्य सामग्री

3.------- के कारण अघाती कर्म के उदय से जीव सुखी दुखी होता है।

-मोह

4. कर्म —-- है।

-जड़

5. कर्म के उदय में जीव —----- परिणमन करता है।

-विभावरूप

सही गलत चुनिए-


1. कर्मों में चेतनपना व बलवान पना होता है

-गलत

2. अघाती कर्मों के उदय के कारण जीव सुखी दुखी होता है।

-गलत

3. शरीर आदि के संबंध से जीव अपने अमूर्त तत्व स्वभाव को स्व अर्थ नहीं करते।

-सही

4. अघाती कर्म के निमित्त से बाह्य सामग्री सामग्री मिलती है

-सही

5. गति के अनुसार जीव के भाव होते हैं।

-सही

Notes Written By Neha Gangwal.


Class Date: 17-11-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 24
Paragraph #: 
YouTube link: https://www.youtube.com/live/3iht5smPplU?si=36kCiAr69L3T283x
Summary:


सही गलत बतायें -

(Q.1)घाति कर्म के निमित्त से जीव का घात होता है।

Ans-  (गलत)

(Q.2) घात का मतलब जीव की पूर्ण शक्ति पर्याय मे प्रगट नही हो पाना है। 

Ans- (सही)

(Q.3) स्वभाव का पूर्ण घात होने से द्रव्य का ही घात हो जायेगा।

Ans- (सही)

(Q.4) घातिया कर्म और जीव का कर्ता कर्म संबंध है।

Ans- (गलत)।

(Q.5) सारे कर्मों का संबंध जीव के साथ अनादि से है। 

Ans- (सही)

(Q.6) चारित्र मोहनीय के जितने कर्म नष्ट हुए उसके अनुपात में जीव मे समता आती है। 

Ans- (सही)

रिक्त स्थान भरो -


(Q.1) घातिया कर्मो का जीव के साथ____
संबंध है।

Ans- (निमित नैमित्तिक)

(Q.2) दर्शन मोहनीय कर्म जीव मे ____का घात कर ___उत्पन्न करता है।

Ans-  (सम्यक्त्व , मिथ्या श्रद्धान)
(Q.3) चारित्र मोहनीय कर्म जीव मे __ __ स्वभाव का घात कर कषाय रूप___उत्पन्न करता है। 

Ans- (समता, मिध्या चारित्र)

(Q.4) मोहनीय कर्म के उदय से जीव में श्रद्धा चारित्र गुणका ______होता है।

Ans- (विपरीत परिणमन)

(Q.5) कर्मो में सबसे खराब ____कर्म है। और उनका राजा ____कर्म है।

Ans- (घातिया, मोहनीय)

 सही विकल्प चुनें -

(Q.1) ज्ञानावरण दर्शनावरण और अंतराय कर्म के निमित्त से जीव मे ज्ञान दर्शन वा शक्ति की व्यक्तता 

Ans-
(1) पूर्ण होती है
(2) किंचित होती है
(3) विपरीत होती है
(4) बिल्कुल नही होती है

उत्तर- (2) किंचित होती है।

(Q.2) मोहनीय कर्म के निमित्त से व्यक्तता होती है

Ans-
(1) विपरीत श्रद्धान, चारित्र
(2) किंचित सम्यक्त्व 
(3) किंचित चारित्र
(4) चारित्र बिल्कुल व्यक्त नही होता है। 

उत्तर (1) विपरीत श्रद्धान चारित्र

(Q.3) अंतराय कर्म के छयोपशम से

Ans-
(1) दीक्षा लेने रूप पूर्ण सामर्थ्य व्यक्त होती है।
(2) जीव की शक्ति का पूर्ण नाश होता है।
(3) किंचित शक्ति व्यक्त होती है
(4) कुछ भी नही

उत्तर = (3) किंचित शक्ति व्यक्त होती है।


Short answer type question-

 ७ = मिथ्या श्रद्धान से क्या तात्पर्य है?

श्रद्वान = मानना - जैसे पदार्थ हैं उनको जैसे है वैसा मानना।  
मिथ्या श्रद्धान विपरीत मानना, कुछ का कुछ मानना ! शुद्ध जीव में त्रैकालिक रूप से मात्र जानने की शक्तिहै ।उसको न मानकर तात्कालिक शक्ति जैसे बोलने की, दोड़ने की, खाने की, घूमने की आदि को जीव मानना । शरीर, संयोगों के साथ संबंध बनाकर एक मानना ।

 Q _सम्यक चारित्र से क्या तात्पर्य है

उत्तर -स्वरूप लीनता, स्थिरता, न अच्छा लगना, न बुरा लगना, कषाय नही होना, रागद्वेष नही होना ।


७ - ज्ञानावरणादि ३ कर्म और मोहनीय कर्म में अंतर बताएँ? 
उत्तर _ज्ञानावरणादि 3 कर्म
(1) स्वभाव को ढकने का कार्य करते हैं। पूर्ण रूप से स्वभाव को प्रगट नहीं होने देते हैं।
(2) कमजोरी है।
(3) 100%कार्य कभी नही करते।
 जीव की शक्ति कुछ अंश में जरूर प्रगट रहती है।
मोहनीय कर्म _
(१) इसके उदय से जीव की शक्ति विपरीत होती है।(2) विकृति / बीमारी है । 3 
3)१००% काम करता है ।। बल्कि (-ve) मे
काम करके जीव की शक्ति को विपरीत कर देते हैं।

मोहनीय कर्म



Notes Written By Vandana Jain.


Class Date: 18-11-22
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 24
Paragraph #:
YouTube link: https://www.youtube.com/live/5qNCZQ4KyXE?si=JiaHupIcpamYJfp6
Summary:

सही गलत -

Q.1 कर्मो का जीव के साथ बंध अनादि काल से हैं?

Ans- True

Q.2 घातिया कर्म जीव के दर्शन, ज्ञान, सुख , वीर्य का घात करता हैं?

Ans- True

Q.3 क्या जीव मै सकल द्रव्य व उनकी पर्याय को जानने की शक्ति नहीं हैं?

Ans- False

Q.4 ज्ञान के द्वारा क्या कर्मो को तपाया जा सकता हैं?

Ans- True

Q. 5 ज्ञानावर्णी , नाम , गोत्र , आयु , दर्शनावर्णी घाती कर्म हैं?

Ans - False

Fill in the Blanks -

Q.1 शरीर मै अनेक प्रकार की दशाएं बनना ______ कर्म के निमित्त से होती हैं?

Ans- वेदनीय

Q.2 जो जीव के स्वभाव का घातीया की तरह घात ना करे वह  _____ कर्म कहलाते हैं?

Ans- अघाती

Q.3 अघातिया व घातिया कर्म ___ प्रकार के होते हैं?

Ans - चार (4)

Q.4 तीर्थंकर की माता जनमते समय _____ होती हैं?

Ans - मिथ्यादृष्टि

Q.5 _____ जब तक रहता हैं तब तक प्राप्त पर्याय मै जीव रहता हैं?

Ans- आयुकर्म

Q.6 तत्वार्थ सूत्र जी के __ वे अध्याय में आयु का वर्णन हैं?

Ans- 6

Short answer type question-

Q.1 नाम कर्म का क्या कार्य हैं ?

Ans- शरीर आदि भायी सामग्री आदि प्राप्त कराना।

Q.2 वेदनी कर्म क्या करता हैं?

Ans- वेदनी कर्म दो प्रकार का हैं -
        साता वेदनी - जीव को सुख शांति अनुकूलता की प्राप्ति।


Notes Written By Reena Doshi.

Class Date: 1-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 26
Paragraph #: 1
YouTube link: https://www.youtube.com/live/VQD6IYKIxng?si=GwOrVX7a2bT6VPsn
Summary:


रिक्त स्थान भरो - 

Q.1 __________कर्म एक लाइफ तक फल देता है।

Ans-(आयु कर्म)

Q.2 जीव की शक्ति की व्यक्ति का  घात_________ करता है। 

Ans- (कर्म)

Q.3अभी जीव को ________का क्षयोपसम है।

Ans- (मति ज्ञानावरण)

Q.4 जो मेरा ज्ञान है वह_____ और जो राग द्वेष _____भाव है।

Ans- (स्वाभाविक , ओपाधिक भाव)

Q.5 अनादि कालीन भाव के द्वारा______के ______का निर्णय किया जाता है।

Ans- (जीव और जीवत्त्व)

Q.6 जीव का प्रकट ज्ञान____ का कारण है___ का नहीं।

Ans- (उन्नति, अवनति)

सही गलत बतायें -

(Q.1) जो ज्ञान पूरा प्रकट हो वह शक्ति है शक्ति की अभिव्यक्ति नहीं है।

Ans- (सही)

(Q.2) स्वभाव शक्ति ज्ञानावरण कर्म के उदय के कारण घटती जाती है। 

Ans- (सही)

(Q.3) ध्यान करने के लिए कर्म का उदय चाहिए। 

Ans- (गलत)

(Q.4) हमारे पास जो ज्ञान है बाय निरपेक्ष भाव है ज्ञानात्मक भाव है।

Ans-  (सही)

(Q.5) जीव के ज्ञान स्वभाव के अंश का कभी अभाव नहीं होता। 

Ans- (गलत)

(Q.6) निज स्वभाव बंध  का कारण है।

Ans- (गलत)

(Q.7) जीव का जो अंश प्रकट है वह जीव का स्वभाव है।

Ans- (सही)

विशेष बिंदु -

(१) कर्म के क्षयोपसम से होने वाला जीव का परिणाम स्वाभाविक परिणाम है और कर्म के उदय में जीव ज्ञानी नहीं बनता है। 

(२) औपाधिक भाव को समझना मोक्ष मार्ग के लिए अनिवार्य है।

(३) ज्ञान स्वभाव और ज्ञान स्वभाव के अंश का कभी अभाव नहीं होता है।

(४) जीव में ज्ञान की शक्ति और व्यक्ति हमेशा रहती है।

(५) जानने देखने वाला जीव नहीं जीव का जीवत्तव हैं।

(६) अपना अस्तित्व बंध का कारण नहीं है।

Notes Written By Rashmi Jain.

Class Date: 16-11-22
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 24
Paragraph #: 2&3
YouTube link: https://www.youtube.com/live/6nqP-WfUszU?si=ichfO6P_kNKbMgP_
Summary:

सही अथवा गलत में उत्तर दीजिए -


Q.1) जीव को कर्म ने ,भगवान ने,मनुष्य ने बनाया है।

Ans-  ( गलत )

Q.2) जीव और कर्म एक दूसरे के करता तो नहीं हैं।
Ans-  (सही)

Q.3) जीव अनादि से है एवं स्वत: सिद्ध है। 

Ans- (सही)

Q.4) भगवान, कर्म एवं मनुष्य जीव को नष्ट कर सकते हैं। 

Ans-(गलत)

Q.5) जीव, कर्म का कारक है।

Ans-  (गलत)

Q.6). मनुष्य गति, देव' गति एवं अन्य गति पा ने के लिए कर्म सहयोगी है।

Ans-  (सही)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -


Q.1) जीव ने कर्म को बनाया तो नहीं किंतु कर्म को _____करने में सहायक है। 

Ans- (परिवर्तन)

Q 2) कर्म _____ हैं बनते नहीं।

Ans- (बंधते)

Q.3) कर्म अनन्त_____ परमानुओं का पिण्ड है

Ans- (पुद्गल)

Q.4) ____जीव के परिणामों में ____बनता है। 

Ans- (कर्म, निमित्त)

Q.5) जीव भावों के द्वारा____ के लिए कारण बनता है। 

Ans- (कर्म बंधन)

सही विकल्प चुने -


Q.1) कर्म फल देने का काम करता है, परिवर्तन किसमें होता है 

(१) मनुष्य

(२)भगवान

(३) स्वयं कर्म

(४)जीव

उत्तर : (४) जीव

Q.2) घाती कर्म का प्रकार नहीं है-
 
(१) ज्ञानवर्णी कर्म
(२) नाम कर्म
(३) मोहनीय कर्म
(४) अंतराय कर्म

उत्तर: (२) नाम कर्म

Q.3) ज्ञानावरण कर्म जीव‌ के किस स्वभाव का घात करता है ?

१) दर्शन

2) ज्ञान

३)समता भाव

४)आत्मीय बल

उत्तर : २) ज्ञान स्वभाव

मुख्य बिंदु :-


→ ज्ञानावरण, दर्शनावरण कर्म के क्षयोपशम से थोड़ा ज्ञान - दर्शन की व्यक्तता रहती है।

जब कर्म ने जीव को बनाया नहीं तो मिटा भी नहीं सकता क्योंकि कर्म जीव का स्वामी नहीं है। जीव स्वतः सिद्ध है।


Notes Written By Shreni Jain.

Sunday, November 19, 2023

Class Date: 15-11-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 
Paragraph #:
YouTube link: https://www.youtube.com/live/TdewUWjSkJ0?si=BqB6KBcKPom_uklk
Summary:

सही/गलत लिखिए - 

Q.1) कर्म से अनादिसम्बन्ध होने के कारण जीव के प्रदेश कर्म रूप हो जाते है।

Ans- गलत

Q.2 अवधिज्ञान मूर्तिक द्रव्य को जानते हुए संसारी जीव को भी जानता है। 

Ans- सही

Q.3 कर्म बंधन अपेक्षा से अरिहंत भगवान का जीव भी मूर्तिक है।

Ams- सही 

Q.4 मिथ्यादृष्टि जीव सर्वथा मूर्तिक है।

Ans- गलत 

रिक्त स्थान भरे -

Q.1 जीव और पुद्गल का ____ सम्बन्ध है। 

Ans- अनादि 

Q. 2 जैसे जीव रूपादि द्रव्यों को जानता है, उसी प्रकार उनसे ___ है। 

Ans - बंधता

Q.3 ___ पुद्गल और ___ पुद्गल का बंध भी होता है।

Ans - सूक्ष्म ,  स्थूल

Q.4 मैं और मेरा शरीर ____ अवगाही है।  

Ans- एक क्षेत्र 

अर्थ लिखे -

Q.1 सगसब्भावं ण विजहन्ति। 

Ans- कोई भी पदार्थ अपने स्वाभाव को नहीं छोड़ता है।

Q.2 स्निग्धरूक्षत्वाद् बन्धः। 

Ans - स्निग्ध रुक्षता से बंध होता है। 

Q.3 मुत्तो फासदी मुत्तं मुत्तो मुत्तेण बंधमणुहवदि । 

Ans - मूर्त का मूर्त से स्पर्श होता है, मूर्त का मूर्त के साथ बंध होता है। 

Q.4 जीवो मुत्तिविरहिदो गाहदी ते तेहिं उग्गहदि।

Ans - अमूर्तिक जीव मूर्तिक को अवगाहन देता है और उनके द्वारा अवगाहित होता है। 

Q.5 रूपिष्ववधेः

Ans - अवधिज्ञान का विषय सिर्फ रूपी मूर्तिक पदार्थ है।

उत्तर लिखिए -

Q.1 अवधिज्ञान की परिभाषा लिखे। 

Ans - द्रव्य क्षेत्र काल भाव की मर्यादा सहित रूपी पदार्थो को बिना इन्द्रिय की सहायता के सीधे आत्मा से जानता है। 

Q.2 अवधिज्ञान से संसारी जीव को कैसे जाना जाता है?

Ans - संसारी जीव अपनी सांसारिक अवस्था के कारन कथंचित मूर्त होता है। 

Q.3 सूक्ष्मत्व गुण किस गुणस्थान मैं प्रगट होता है?

Ans - सिद्ध दशा

Notes Written By Ayushi Jain.

Class Date: 13-11-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 23
Paragraph #:
YouTube link: https://www.youtube.com/live/jFVcbY8zjh8?si=7CLDjSVSv2jGROq9
Summary:

सही अथवा गलत मे उत्तर दीजिए -

Q.1) जीव और कर्मो का अनादि से संबंध है और अनंत तक रहेगा। 

Ans- (गलत)

Q.2)कौन सा कर्म किस समय फल देगा वह सुनिश्चित होता हैं। 
Ans- (सही)

Q.3) जीव और ज्ञान को भिन्न-भित्र किया जा सकता है।

Ans- (गलत)

Q.4) किसी पदार्थ के स्वभाव को उससे भिन्न नही किया जा सकता है। 

Ans- (सही)

Q.5). शरीर, कर्म और आत्मा तीनों एक जगह रहते- रहते भी भिन्न हैं।

Ans- (सही)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -


Q.1) दो पदार्थ एक दुसरे से तभी ___होते हैं, जब वो एक दूसरे से ___ही हो।

Ans- (भिन्न, भिन्न) 

Q.2) _____के द्वारा जाना जाता है कि दो चीजें एक रूप दिखने पर भी एक दुसरे से पृथक है 

Ans- (तत्व निर्णय)

Q.3)_____में साक्षात दिखता है कि दो चीजें ( कर्म और जीव) एक दूसरे से भिन्न है। 

Ans- (केवलज्ञान ),

Q.4)कर्म ने आत्मा को और ____ने कर्म कभी नही छुआ हैं।

Ans- (आत्मा) 

Q.5) जीव और ___का____से संबंध है।

Ans- (कर्मो, अनादि)

सही विकल्प चुनिये -


Q.1) संबंध अथवा संयोग कहना संभव है

(क) जब पहले भिन्न हो फिर मिले

ख) जब साथ मे हो

ग) जब प्रत्यक्ष हो

घ) जब संसारी हो

उत्तर: -(अ)


Q.2)केवलज्ञानी के ज्ञान मे जीव और कर्म भिन्न दिखते है 

क)परोक्ष रूप से

ख) प्रत्यक्ष रूप से

ग) एक साथ

घ) अश्रित

उत्तर : (ख) प्रत्यक्ष रूप से

Q.3) जीव और कर्मों का संबंध पहले भी भिन्न था ऐसा परोक्ष रूप से कहा जा सकता है

क) अनुमान से

ख) केवलज्ञान से

ग) अनादि से

घ) अंनत से

उत्तर → अनुमान से 

Q.4) जीव, शरीर और कर्मी का बंधन होने पर भी उनमें पाई जाती है

क) प्रारूपता

ख) सामान्यता

ग) भिन्नता

घ) एकता

उत्तर: - भिन्नता

 लघु उत्तरीय प्रश्न -


Q.1) अनादि से मिले जीव कर्मों का संबंध कैसे कहा है?

उत्तर: - जीव और कर्म अनादि से तो मिले थे परन्तु बाद में अलग-अलग भी हुए है और एक दुसरे से भिन्न थे तब ही अलग हुए है अतः एक दुसरे से भिन्न ही जानना! 

Q.2) जीव और कर्म किस प्रकार से भिन्न साबित हुए है?

-उत्तर ⇒ बाद में जब कर्मों और जीव को भिन्न होता पाया और केवलज्ञान मे प्रत्यक्ष रूप से भासित हुआ।

Notes Written By Praneeta Jain.

Monday, November 13, 2023

Class Date: 9-11-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 22 & 23
Paragraph #: 1 , 2 & 3
YouTube link: https://www.youtube.com/live/ApH5hAx-cQg?si=SQRXdaE0xxdtqIhO
Summary:


Fill in the blanks -


1) जीव का और कर्म का ______ से संबंध है।

Ans - अनादिकाल

2) रागादिक का करण _____ है और द्रव्यकर्म का करण ______ है।

Ans - द्रव्यकर्म ,रागादिक

3) पदार्थ में जो दशा बिना किसी कारण या निमित्त के है उस दशा का नाम _____है। 

Ans - स्वभाव

4) जीव का स्वभाव ____ है।

Ans - ज्ञान

5) कर्मों का आना ______ से होता है।

Ans - रागादिक

 True/False -


1) जीव और कर्म दोनों ही अनादिकाल से हैं परंतु अलग-अलग अवस्था में रहते हैं। 

Ans- (T) ✔️
 
2) कर्म के उदय आए और व्यक्ति रागादिक नही करे ऐसा हो सकता है।

Ans- (F) ✖️

3)स्वभाव का कभी अभाव नहीं होता।

Ans- (T) ✔️

4) ज्ञान और आनंद जीव में से कभी नष्ट नहीं हो सकते।

Ans- (T) ✔️

Short answer type question-


1)अनादि मे भी निमित्त माने तो अनादिपना नहीं रहता क्यों?

Ans - क्योंकि कारण बताने पर कार्य अनादिपना नहीं रहेगा वो सादिपना हो जाता है।

2) जीव का संसार कटना कब प्रारंभ होगा?

Ans - जब जीव का ध्यान ज्ञान की ओर जाएगा तब जीव का संसार कटना प्रारंभ होगा।

3) जीव का स्वभाव राग द्वेष करना क्यों नहीं है?

Ans - 
1️⃣क्योंकि जो स्वभाव होता है वह जीव के पास हमेशा रहता है।
2️⃣स्वभाव से कभी जीव को दुःख नहीं होता। 
3️⃣स्वभाव का कभी अभाव नहीं होता।

4) जीव और पुद्गल भिन्न भिन्न द्रव्य है तो अनादि से उनका संबंध कैसे हो सकता है?

Ans -जिस प्रकार दूध में पानी स्वयं ही मिला रहता है, तिल में तेल स्वयं ही रहता है, उसी प्रकार जीव और कर्म का भी संबंध अनादिकालीन होता है।

5)इतरेतराश्रय दोष क्या कहलाता है?

Ans- द्रव्यकर्म से रागादिक होते है और रागादिक से द्रव्यकर्म बंधते हैं यह एक दूसरे के आश्रित है इसमें कहीं रुकाव नहीं है इसलिए इसे इतरेतराश्रय दोष कहते हैं।

6) अगर आत्मा पहले से शुद्ध था और फिर कर्म अचानक से आत्मा से मिले तो ऐसा मानने से क्या होता?

Ans-इसका मतलब यह है कि जीव पहले सिद्ध था और किसी दिन कर्म आत्मा से मिला तो सिद्ध बन जाने पर भी जीव संसार में आ जाता है अथात् मुक्ति फिर पुन: संसार इसलिए ऐसा मानना उचित नहीं है । कर्म और जीव का संबंध अनादि से है ऐसा ही जानना चाहिए।

Notes Written By Khushi Jain.

Thursday, November 9, 2023

Class Date: 8-11-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 22
Paragraph #: 1&2
YouTube link: https://www.youtube.com/live/oyD5__zhmiw?si=erAo14DwkaX35Ya2
Summary:

  सही/गलत -


Q.1. कर्म बंधन सहित अवस्था का नाम संसार अवस्था है

Ans- [✓]

Q.2. प्रत्येक संसारी जीव अनादि काल से है 

Ans- [✓]

Q.3. संसार अवस्था में अनंतानंत जीव द्रव्य नही है

Ans- [X]

Q.4. पुद्‌गल के सबसे छोटे द्रव्य को परमाणु कहते हैं

Ans- [✓]

Q.5. कर्म के प्रकार आठ और परमाणु अनंत है 

Ans- [✓]

Q.6. पहले जीव शुद्ध था और कर्म अलग थे, बाद मे दोनो का संयोग हुआ। 

Ans-[X]

Q.7. अनादि कर्म बंधन से निमित्त का कोई प्रयोजन नहीं है 

Ans- [✓]

Q.8. भावो में एकरूपता पाई जाना औपाधिक भाव है

Ans-  [x]

Q.9. मेरु पर्वत अकृत्रिम स्कंध है

Ams- [✓] 

Q.10. अनादि वाले कर्म का पुद्गल परमाणु, जीव से अब तक जुड़ा हुआ है

Ans- [x]

Q.11. अरिहंत भगवान अनादि को अनादि जैसा, और अनंत को अनंत जैसा जानते है 

Ans- [✓]

रिक्त स्थान -


Q.1. कर्म बंधन से युक्त संसारी जीवों के.........भाव होता है।

उत्तर- औपाधिक

Q.2. परमाणु के समूह को .......कहते है।

उत्तर- स्कंध

Q.3. जीव को कर्म बंधन......काल से है।

उत्तर -अनादि

Q.4. जिसमे स्पर्श, रस, गंध, वर्ण पाया जाये उसे .......कहते है

उत्तर -पुद्‌गल

Q.5. वीतरागी भगवान के ...... भाव होता है।

उत्तर - क्षायिक

Q.6. जिसका आदि ना हो उसे ........और जिसका अंत ना हो उसे ......कहते है।

 उत्तर - अनादि, अनंत

बहु वेकल्पिक प्रश्न -


Q.1. कर्म बंध जीव को किस कारण होता है 

 A पाप-पुण्य
 B.राग-द्वेष
 C. मोह और अज्ञान
 D. सभी 

        उत्तर - D


Q.2. जीव और कर्म का संबंध कब से है 

 A. जीव न्यारा है और कर्म न्यारा है
 B. जीव और कर्म का संबंध अनादि से
 C. जीव और कर्म का संयोग बाद मे बना 
     
               उत्तर - B

Q.3. उदाहरण में मेरु पर्वत की तुलना किससे की है

 A. कर्म बंधन
B. जीव
C. जीव और कर्मबंधन 
                 
             उत्तर - B

Notes Written By Kritika Jain.

Class Date: 7-11-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 21 & 22
Paragraph #: pg no. 21(2&3) , pg no. 22(1)
YouTube link: https://www.youtube.com/live/pFl3_22oaSs?si=bDyA82t_yN1u_bBq
Summary:


रिक्त स्थान भरो -


Q.1. 'कर्म बन्धन से मुक्त होने का _ _ _ _करना है

Ans.साधन

Q.2.प्रतीति का अर्थ_____ होता है।

Ans विश्वास

Q 3. उदाहरण में मनुष्य को प्रथम _______का
निदान बताया है ।

Ans. रोग

Q.4. _______श्रद्धान के बिना कर्म नहीं कटेंगे।

Ans.आत्मा

Q.5 शास्त्र का सुनना जरूरी _____है के लिए। 

Ans. विश्वास 

Q.6 मिश्री का कड़वा पना_____से है

Ans. बाहरी कारण (औपाधिक भाव -)

Q.7.कर्म बन्धन होने से नाना ______भावों में _____ पाया जाता है 

Ans = 1 औपाधिक भाव, परिभ्रमण

Q 8. अंजन चोर ______था

Ans.सप्तव्यसनी

प्रश्न उत्तर -


Q 1. रोगी का कर्तव्य क्या है ???

Ans. वैद्य द्वारा बताए गए उपाय का साधन करना रोगी का कर्तव्य है 

Q.2. जैसे शरीर का स्वभाव स्वथ्य रहना है वैसे आत्मा का स्वभाव क्या है ??

Ans. आत्मा का स्वभाव शुद्ध रहने का, ज्ञाता द्रष्टा रहने का है ।

Q.3.कर्म बंधन से मुक्त होने का उपाय क्या है ??

Ans. प्रथम उपाय -- सिद्ध समान शुद्ध हूँ मैं, आत्म निरंजन हूँ ऐसा स्वीकार करना 
दूसरा उपाय -- चरणानुयोग अनुसार प्रवर्तन करना , दीक्षा लेना।
तीसरा उपाय-- स्वाध्याय , चिंतन मनन , भेद ज्ञान , ध्यान करना।

Q.4. श्री गुरु ने दूसरे अधिकार में क्या बताया है ??

Ans.श्री गुरु ने संसार अवस्था का स्वरूप और कर्म बंधन के कारण को बताया है।

Q.5. औपाधिक भाव और स्वभाव भाव की परिभाषा ??

Ans. जीव में या पदार्थ में बाहरी कारणों के संयोग से होने वाली दशा को औपाधिक भाव कहा है ।
स्वभाव भाव-- जो पदार्थ में बिना किसी बाहरी कारण के जो अवस्था बने वह स्वभाव भाव है।

सही√ और गलत× बताइये-


Q.1.,भगवान महावीर पूर्व भव में सिंह की पर्याय में थे।

Ans- √

Q.2 भरत चक्रवर्ती षट्‌कर्मों का पालन कभी-कभी करते थे।

Ans- ×

Q.3.सप्तव्यसन मे लीन जीव उसी भव में मोक्ष जा सकता है । 

Ans- √

 Q.4 भरत चक्रवर्ती के 96000 रानीया और 32000 पुत्र पुत्रियां थे।

Ans- √

Q.5. रोग की प्रतीति करने मात्र से रोग दूर हो जाता है 

Ans- X

Q.6.शास्त्र के उपदेश को यर्थाथ पालन करना कर्म बन्धन से मुक्त होने का साधन है।

Ans-√

Q.7. संसारी अवस्था मे आत्मा अनादि काल से कर्म बंधन सहित है 

Ans- √

Q.8.इस इस ग्रंथ में दूसरे अधिकार में संसार अवस्था का स्वरूप बताया गया है 

Ans- √

Notes Written By Shraddha Jain.

Wednesday, November 8, 2023

Class Date: 6-11-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 21
Paragraph #: 1
YouTube link: https://www.youtube.com/live/NRi_Rt0JNGc?si=B-8QAIOYm2NeO82O
Summary:

रिक्त स्थान भरो-


 Q.1 _______धर्म ही_______ का सच्चा उपाय हैं।
   
Ans-  ( *रत्नत्रय, मोक्ष प्राप्ति* )


 Q.2 चार गतियों मे भ्रमण का मूल कारण_______ है।  

Ans- (मिथ्याभाव)

 Q.3 प्रत्येक जीव का परम हित________ से छूटने मे ही है।

Ans- ( *कर्म बन्धन)* 

 Q.4 कर्म का बन्धन आत्मा मे _________ के समान ही कहा गया है

Ans-  [ *विजातीय तत्वो ]* 

 Q.5 भली/ हितकारी वस्तु की प्राप्ति का सच्चा उपाय करना ही जीव_____ का है। 

Ans- [ *कर्तव्य ]*

✅और ❌ बताइये -


 Q.1 मोक्षमार्ग प्रकाशक ग्रन्थ के दूसरे अधिकार में संसार अवस्था का स्वरूप बताया गया है। 

Ans- ✅

 Q.2 मिथ्यादर्शन मिथ्याज्ञान, मिथ्याचरित्र संसार से छूटने का उपाय है। 

Ans- ❌
  
 Q.3 मोह, राग, द्वेष के अभाव होने पर ही आत्मा का निज स्वाभाव प्रगट हो सकता है। 

Ans- ✅

Q.4 मात्र सम्यग्दर्शन ही मोक्ष प्राप्ति का उपाय है। 

Ans-  ❌

Q.5 दु:खो का मूल कारण कर्म बंधन का अभाव हैं। 

Ans- ❌

Q.6 दुख का मूल कारण अन्य जीवों द्वारा अपने प्रति किया गया अच्छा बुरा व्यवहार होता हैं 

Ans- ❌

Q.7 मिथ्या भाव के अभाव से सम्यगदर्शन,सम्यज्ञान ,सम्यचारित्र रूप भाव प्रगट होता है।

Ans- ✅

Q.8 हमारा प्रयास सदैव दु:ख का नाश होकर सुख की प्राप्ति हो यही रहता है। 

Ans- ✅
 
 Q.9 जीव का परम हित कर्म बंध के अभाव रूप मोक्ष अवस्था में ही हैं।

Ans- ✅

 Q.10 हम निरंतर संसार के दु:खो को दूर करने का सच्चा उपाय कर रहे हैं। 

Ans-  ❌

 प्रश्न उत्तर -

Q.1 मिथ्या भावो के अभाव से क्या प्रगट होता हैं?

 *उत्तर*- आत्मा का निज स्वाभाव

 Q.2 वह कौनसे भाव है जो हमे संसार से मुक्त नहीं होने देते हैं?

 *उत्तर*- मिथ्या दर्शन, मिथ्याज्ञान मिथ्याचारित्र रूपी भाव।

 Q.3 हमारा परम कर्तव्य क्या है?

 *उत्तर* - परम हितकारी मोक्ष अवस्था की प्राप्ति का प्रयास करना।

 Q.4 पंडित जी ने रोगी और वैद्य की उपमा किनको दी है ?

 *उत्तर* - *रोगी*- संसारी जीव 
 * *वैद्य* - ग्रंथकार/ प्रवचन कर्ता / उपदेशकर्ता

 Q.5  निरंतर दु:ख दूर करने के उपाय करने के बाद भी जीव व्याकुल क्यों हो रहा है?

 *उत्तर*-  सच्चा उपाय करने का अभाव है। दुख के अभाव रूप मोक्ष का उपाय नहीं किया जा रहा हैं।

 Q.6 उपदेश दाता को जीव का दु:ख दूर करने के लिए प्रथम कर्तव्य क्या होना चाहिए?
 *उत्तर* - दुःख दूर होने के सच्चे उपाय का उपदेश देना।

 Q.7 पंडित जी ने वैद्य का उदाहरण देते हुए रोग दूर करने का पहला उपाय क्या कहा है?

 *उत्तर* - सर्वप्रथम रोगी को रोग का कारण बताया जाए कि उसे कौनसा रोग हुआ है और क्यों हुआ हैं।

 Q.8 संसारी जीव हो क्या बताना अत्यन्त कठिन है?

 *उत्तर* - कर्म बन्धन का रोग ।

 Q.9 अनादि से जीव को किसका रोग हुआ है?

 *उत्तर* - कर्म बन्ध का ,(मिथ्याभावो का )।

 बहु वैकल्पिक प्रश्न -

   Q.1 रोगी/ दु:खी जीव को दुःख का कारण पता चलनेके बाद बताया जाता हैं:

Ans-

 *अ* ) रोग / दुःख के कारण से जो लक्षण दिखते हैं।

  *ब* रोग/ दुःख का निश्चय करनाl

    *स* दूर करने के उपाय और उपाय की प्रतीति।

     *द* ये सभी

           *उत्तर* - ( *द* )

 Q.2 यह जीव कर्म बंधन रूपी रोग को ठीक करने की प्रवृत्ति करेगा:

Ans-

 *अ* जब वह कर्म बंधन को स्वीकार करेगा।
  *ब* जब उसको मिथ्या भाव होंगे।
  *स* जब उसे सांसारिक सुख की प्राप्ति होगी।
   *द* जब वह पंडित बनेगा ।

    *उत्तर* - ( *अ* )

Notes Written By Pratima Jain.

Monday, November 6, 2023

Class Date: 4-11-23
Chapter: पहला अधिकार 
Page#: 20
Paragraph #: 2,3,4,5
YouTube link: https://www.youtube.com/live/z2dJdDdE6R4?si=RHx9q3tBRavVPzNr
Summary:


सही विकल्प चुनिए -

1. धर्म के ध्यान रूपी महान अंग की प्राप्ति करने के लिए (सबसे) पहले जरूरी है - 

a) उपवास b) काय क्लेश c) स्वाध्याय d) संयम 

Ans. - c) स्वाध्याय 

2. आगम कहते है - 

a) आप्त के द्वारा कहा हुआ b) गणधर के द्वारा गूँथा हुआ c) मुनिराजों के द्वारा कहा हुआ d) सभी 

Ans. - d) सभी

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -

1. उत्तम क्षमादि लक्षण, देवपूजादि तथा सामायिक आदि आवश्यक, अहिंसादि व्रत पालन, स्वाध्याय, ध्यानादि तप तथा दीक्षा आदिक सभी ___ के अंग है ।

Ans- (धर्म) 

2. कर्म के-शरीर के संसार रूपी जेल में से निकलने का ना तो कभी सोचे ना उसके लिए कुछ अभ्यास-प्रयास ही करे, उन्हें ______ कहा जाता है !

Ans- ( अभागा) 

सही गलत बताइए -

1. ‘… आगमचेट्ठा तदो जेट्ठा ॥’ इस गाथा में प्रथम आगमज्ञान को ही करने योग्य (उपादेय) कहा है ।

Ans- (सही) 

2. जो सहजता से गुरु मिलने पर जिनवचनों को सुनता है तथा जो संसार से भयभीत है, उन्हें सुभट कहा है । 

Ans- (गलत) 

एक शब्द में उत्तर दीजिए -

1. एक ऐसा रत्न जिसके द्वारा (मन में) चिन्तित सभी वस्तुओं की प्राप्ति होती है - _____

Ans- (चिन्तामणी)

2. इनको स्नातक (भी) कहा जाता है - _____ ।

Ans- (अरिहंत) 

एक वाक्य में उत्तर लिखिए -

1. अभागे के होनहार का ही विचार करके अपने को क्या करने लायक है ? 

Ans- अभागे के होनहार का ही विचार करके अपने को समता रखने लायक है।

2. संसार से निकलने के लिए 4 आवश्यक क्या है ? 

Ans- संसार से निकलने के लिए 4 आवश्यक हैं - तत्त्वज्ञान, तत्त्वविचार/तत्त्वचिन्तन, तत्त्वनिर्णय, तत्त्वानुभव । 


संक्षेप में उत्तर दीजिए -

1. अभाग्य की महिमा कैसे बतलायी गई है ?

Ans-
a) बिना प्रयास किये, अपनेआप ही, चिन्तामणि (जैसा बड़ा दुर्लभ) रत्न देखने का मौका मिल जाने पर भी जो दरिद्री उसको देखें तक नहीं, 
b) जिसका पान करने पर व्यक्ति अमर हो जाए, रोगी शरीर भी सुन्दर हो जाए, ऐसा दुर्लभ जो अमृत, उसको पीलाने पर भी जो कोढ़ी उसको चखे तक नहीं, 
ऐसे बड़े दरिद्री तथा कोढ़ी के उदाहरणों के माध्यम से अभ्याग्य की महिमा बतलाई गई है । 

2. दरिद्री और कोढ़ी का उदाहरण देकर वास्तविक किसे अभागा कहा जा रहा है ?

Ans-
संसाररूपी अटवी से निकलने का कोई रास्ता ही नहीं नज़र आ रहा है, ऐसे संसार से पीड़ित व्यक्ति को, जिनवाणी का योग मिलने पर तथा जिनेन्द्र परमात्मा का संग मिलने पर भी, अगर वो उसका अभ्यास ही न करें, भगवान को न जाने और नहीं उनका स्वरूप माने, उसे ही अभागा कहा गया है ।


Notes Written By Dipali Gandhi.

Saturday, November 4, 2023

Class Date: 3-11-23
Chapter: पहला अधिकार 
Page#: 19 & 20
Paragraph #: pg no. 19(3,4,5) pg no. 20(1)
YouTube link: https://www.youtube.com/live/LWXNfMHfq24?si=jykTA0tR66SPeVMw
Summary:

Fill in the blanks -


Q.1 संसार से निकलने का उपाय _______ है ?

Ans- मोक्ष मार्ग।
 
Q.2 ______ जीवो के मन नहीं होते हैं?

Ans- 1 से 4 इंद्रिय व कुछ पंचेेंद्रीय के।

Q.3 मिथ्यत्व मोह राग द्वेष से सहित जीवो के समझ नहीं आता?

Ans मोक्षमार्ग।

सही गलत बताइए-


Q.4 कु शास्त्र सच्चा मोक्ष मार्ग दिखाने वाले हैं?

Ans नहीं।

Q5 प्राचीन समय में मोक्ष मार्ग प्रकाशक ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गए थे?

Ans नहीं।

Q6 18 लघु भाषा व 700 महाभाषा रूप द्वादशांग रूप जिनवाणी है?

Ans नहीं।

Q7 कषाय, यश प्राप्ति, लोभ रखने व अपनी परंपरा के लिए ग्रंथो को पढ़ना व पढ़ाना चाहिए?

Ans - नही।

Q.8 मुलाचार, समयसार, नियमसार, भगवती आराधना प्राकृत भाषा में लिखे गए ग्रंथ है?

Ans हाँ।

Q.9 क्या दिव्यध्वनि में सभी जीवो को अपनी-अपनी भाषा में समझआता है?

Ans हाँ।

Q.10 प्रकीर्णक 18 होते हैं?

Ans नहीं।

Q.11 जयपुर में ढूंढारी भाषा चलती थी?

Ans हाँ।

Q.12 बड़े ग्रंथो का प्रकाशन बहुत ज्ञानादि न होने के कारण हुआ है?

Ans नहीं।

Q.13 भाषा वचनिका में सुगम भाषा में ट्रांसलेट किया जाता है?

Ans हाँ।

Notes Written By Reena Doshi .

Thursday, November 2, 2023

Class Date: 12-10-23
Chapter: पहला अधिकार 
Page#: 9
Paragraph #: 1,2 &3
YouTube link: https://www.youtube.com/live/WuH_zo2JckU?si=SMEwi9gtPNcThDr9
Summary:

 बहुवैकल्पिक प्रश्न -


1. इनमें से कौन देवों के प्रकार है ?

(a) व्यंतर देव

(b) ज्योतिषि देव

(c) वैमानिक देव

(d) भवनवासी देव

(e)उपरोक्त सभी

Ans, उपरोक्त सभी


2. कौन से प्रकार के देव मनुष्यों की सहायता नहीं करते ?

(a) ज्योतिषि देव

(b) महादेव

(c) वैमानिक देव

(d) भवनवासी देव

Ans: महादेव

3. जीवो को सुख दुख होने का प्रबल कारण है,

(a) धन

(b) मकान

(c) पुत्र

(d) अपने कर्म का उदय

Ans अपने कर्म का उदय

 रिक्त स्थान भरें -


(a) जीवों के कर्म के उदय के अनुसार ________ बनते हैं ।

उत्तर _ बाह्य निमित्त

(b) जिस जीव का पापोदय हो उसे देवादिक के द्वारा ______का निमित्त नही बनता। 

 उत्तर _सहाय

(c)जिस जीव का पुण्योदय हो उसे देवादिक के द्वारा ______का निमित्त नहीं बनता।

उत्तर _ दण्ड

 सत्य | असत्य कथन -


(a) देवादिक अपने छयओप सम ज्ञान से सबको युगपत् जान सकते हैं।

उत्तर _असत्य कथन

(b) तीव्र कषाय हो तो धर्मानुराग नहीं हो सकता।

 उत्तर _सत्य कथन

(c) देवादिक किसी जीव के पुण्य का उदय होने पर भी उसे दण्ड दे सकते हैं। 

उत्तर _असत्य कथन

 संक्षिप्त उत्तर -


ऐसे निमित्त जब देवादिक किसी जीव के सहाय हो या दण्ड देने के कारका हो___

:देवादिक छ योपसम ज्ञान से सबको युगपत् नहीं जान सकते अत्एव किसी जीव के मंगल करने अथवा न करने का ज्ञान देवादिक को एक ही काल में हो ऐसा संभव नहीं।

:यदि देवादिक अपने ज्ञान में जानेंगे ही नहीं तो जीव को सहाय या दण्ड देने के कारक कैसे हो सकेंगें।

Notes Written By Shreni Jain.

Class Date: 31-10-23
Chapter: पहला अधिकार 
Page#: 18
Paragraph #: 1 & 2(half)
YouTubelink: https://www.youtube.com/live/SHUfGs2AxnY?si=K2pO6YUV8i1jALYn
Summary:

True/False -

Q.1 शास्त्र सुनने से हमारा भला होता है?

Ans- True

Q.2 अगर मंदबुद्धि के कारण कोई शास्त्र को ज्यादा समझ नहीं पा रहा है तो उसे पूर्ण बंद बंधेगा?

Ans- True

Q.3 क्या श्रोता केवल ज्ञानी होता है?

Ans - True

Q.4 प्रवचन कैसा होना चाहिए , श्रोता जैसा?

Ans - True

Q.5 जो आत्मज्ञान को जानता है वह अच्छा श्रोता है?

Ans - True

Q.6 अतिशयवंत बुद्धि से और जो मनः पर्यय ज्ञान से सहित होते हैं वह विशेष श्रोता कहलाते हैं?

Ans - True

Q.7 अधिक मंदबुद्धि के कारण से विशेष कार्य की प्राप्ति सिद्ध नहीं हो पाती है?

Ans - True

Multiple Choice Questions -

Q.8 बुद्धि रिद्धि कितने प्रकार की होती है?

A. 6
B. 10
C. 18
D. 20

Ans - (C) 18

Q.9 विशेष कार्य किसे कहते हैं?

A. रत्नत्रय 
B. मिथ्यत्व 
C. पांच पापों में प्रवृत्ति
D. इनमें से कोई नहीं

Ans- (A) रत्नत्रय 

Q.10 इतिहास किसे कहते हैं?

A. भूतकाल (past) के बारे में जानना
B. वर्तमान काल (present) के बारे में जानना
C. भविष्य काल (future)के बारे में जानना
D. सभी के बारे में जानना
E. इनमें से एक भी नहीं

Ans - (A) भूतकाल (past) के बारे में जानना

Question & Answer -

Q.11 व्याकरण किसे कहते हैं?

Ans - भाषा के नियम ,  लिंग और शब्द की उत्पत्ति को व्याकरण कहते हैं।

Q.12 बड़े बड़े शास्त्र कौन से हैं?

Ans - समयसर , धवल , महाधवाल 

Notes Written By Bhumi Doshi.

Class Date: 1-11-23
Chapter: पहला अधिकार 
Page#: 18
Paragraph #: 2(half) 3 & 4
YouTube link:https://www.youtube.com/live/F5SKjZ0INAI?si=Ah3YTx5g-7plGTwR
Summary:

 वस्तुनिष्ठ प्रकार-


(1) 'विशेष कार्य सिद्धि होना' से पंडित जी का क्या तात्पर्य है?

A) आत्म तत्व की प्राप्ति होना।

(B) राग भावो में वृद्धि होगा।

C) संसार भला लगना

(D) पुण्य बंध ही भला है

उत्तर (D)

(2) जीव शास्त्र सुनते तो हैं किंतु अवधारण नहीं करते, तो कारणक्या है? 

a) कुल प्रवृत्ति से सुनना

b) पद्धति बुद्धि से सुनना

c) सहज योग बनने पर सुनना

d) उपरोक्त सभी

उत्तर:- (d)

(3) पुण्य बंध व पाप बंध किनका अनुसरण करते हैं?

a) जीव की क्रियाओं का

b) जीव के परिणामों का

c) दोनों नहीं

उत्तर - (b)

(4) किन भावों/ परिणामों से शास्त्र सुनते समय भी पाप बंध ही होता है।

a) मदमत्सर भावों से सुनने से
b) महंतता के हेतु से
c) लोभादिक के प्रयोजन से 
d) उपरोक्त सभी

उत्तर:- (d)

संक्षिप्त उत्तर प्रकार-


(1) जो कल्याण की भाषा से शास्त्र सुनते है प्रायः उनके परिणाम कैसे होते है?

उत्तर:- संभले हुऐ / शुभ भाव

(2) शास्त्र नहीं 'सुहाता' है का क्या अर्थ है?

उत्तर- सुनते समय आनंद न आऐ, प्रवचन काम का न लगे आदि।

(3) उचित शास्त्र किसे कहते हैं?

उत्तर - जो वीतरागता के पोषण करने वाले हो, जिसमें मोक्ष मार्ग कों प्रशस्त करने की बात हो।

(४) उचित वक्ता किसे कहते हैं?

उत्तर:- जो जैन धर्म का श्रद्धानी हो, तत्वाभ्यासी हो, प्रयोजन को जानने वाला हो व लोक निंद कामों का त्यागी हो।

(v) उचित श्रोता कैसा होता है?

उत्तर- आत्म कल्याण की भावना से सुनने वाला उचित श्रोता होता है।

(vi) डांस मच्छर व चलनी किस तरह के श्रोता के दृष्टांत है?

उत्तर- निकृष्ट (निम्न श्रेणी) के श्रोता के दृष्टांत है।

(vii) अच्छे श्रोता किस तरह के होते है?

उत्तर - मिट्टी जैसे होते है, जिनवाणी रूपी जल के सिंचन से कुछ समय के लिए भीग जाते हैं।

(viii) उत्तम श्रोता के दृष्टांत दीजिए ?

उत्तर - हंस के समान भेदज्ञानी और

गाय के समान - थोड़ा सुनकर बड़ा गुनने वाले।

Notes Written By Nidhi Jain.

Tuesday, October 31, 2023

Class Date: 30-10-23
Chapter: पहला अधिकार 
Page#: 17
Paragraph #: 5
YouTubelink: https://www.youtube.com/live/9zN7hOcBH1c?si=fmea830u1FwzebJJ
Summary:

True/false -

A.श्रोता को शास्त्र अभ्यास में आसक्त होना चाहिए।

Ans-True /सही

B. श्रोता को शंका/प्रश्न नहीं पूछने चाहिए 

Ans-False/गलत

C. व्यवहार और निश्चय, नय के प्रकार है।

Ans-True/ सही

 एक शब्द में उत्तर दिजिये-

1. श्रोता को धर्म बुद्धि से क्या त्यागने योग्य है?

Ans. लोक निंद कार्य।

2. श्रोता को प्रवचन में किस प्रकार प्रश्न करना चाहिए?

Ans. विनयवान होकर।

3. श्रोता को किस नय का जानकार होना चाहिए?

Ans. व्यवहार और निश्चय दोनों नयो का ।

4. समवशरण के प्रवचन में किस जाति के जीव श्रोता होते हैं?

Ans. समस्त जाति के ।

5.श्राताओं के परस्पर क्या करना चाहिए ?

Ans. चर्चा कर शंका समाधान .

 प्रश्नो के उत्तर लिखिये-

1. पुराने होता के मुख्य गुण क्या है? Ans.पुराने श्राता के मुख्य गुण निम्नलिखित हैं:-

Ans- 1.जैन धर्म के सच्चे श्रद्धानी
2.व्यवहार और निश्चय नय के स्वरूप के जानकर 
3. विनयशीलता एवं विवेकी  
4. शास्त्रो के अभ्यासी 
5. लोक निंद कार्यों के त्यागी

2. व्यवहार एवं निश्चय नय का एक उदाहरण देकर समझाए 

Ans-
शरीर और आत्मा भिन्न है यह निश्चय नय है 
शरीर और आत्मा एक है यह व्यवहार नय है

Notes Written By Samta Jain.

Sunday, October 29, 2023

Class Date: 27-10-23
Chapter: पहला अधिकार 
Page#: 17
Paragraph #: 4 & 5
YouTube link: https://www.youtube.com/live/Yu9JzVAjpjk?si=hVrNv08Znx28sgc1
Summary:

सही/ गलत -

1 क्या में जानने देखने वाला ही हूं अन्य नहीं हूं ?

  Ans सही 

2 क्या मैं सुखी दुखी अपने ही भावो से होता हूं?

Ans सही 

3. शास्त्रों को पढ़ना, सुनना , निर्णय, करना श्रोता के गुण हे

Ans. सही 

4 . ये राग द्वेष क्या जीव के भाव नहीं है?

Ans. गलत

5. क्या तत्वों का निर्णय करना श्रद्धान नहीं है?

Ans. गलत 

6. शरीर हे सो में हुं।

Ans. गलत


प्र.1 मैं कौन हूं ऐसा विचार किसे आता है?

उत्तर जिसकी भली होनहार होती है ।

प्र.2 कौन आया है कौन जाएगा?

उत्तर न में आया हूं ना मैं जाऊंगा ।

प्रश्न 3 जिन धर्म की महानता का निर्णय करना क्या है ?

उत्तर श्रोता का गुण ।

प्रश्न 4 शास्त्र सुनने से किस कार्य की सिद्धि होती है?

उत्तर तत्वों के निर्णय की। 

प्रश्न 5 शास्त्र कैसे सुनना चाहिए?

उत्तर रुचि पूर्वक

 रिक्त स्थान -

1 शरीर हे सो ____हे।

 Ans अजीव

2 जिन धर्म के गाढ़ श्रद्धानी_____है।

Ans पुराने श्रोता 

3 नाना शास्त्र पढ़ने सुनने से बुद्धि ____होती हैं ।

Ans निर्मल

4 चलते फिरते सोते हुए शास्त्र सुनना _____है ।

Ans शास्त्र अवीनय

 पुराने श्रोता का स्वरूप -


Ans-जिन धर्म का गाढ़ श्रद्दानी होना चाहिए । बुद्धि निर्मल करने के लिए नाना शास्त्र का अध्ययन करने वाला । में जीव हूं जानने वाला ही हूं,में शरीर से भिन्न ही हूं, मुझे सुखी _दु:खी करने वाला कोई नहीं हे इस प्रकार के नाना चिंतवन करते हुए धर्म में लगे रहना शास्त्र अभ्यास करते रहना ही , सात तत्वों का निर्णय अपने और पर का निर्णय आदि बातो का निर्णय करने वाला ।

Notes Written By Rinku Doshi.