Chapter: दूसरा अधिकार
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Paragraph #: 6
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Summary:
रिक्त स्थान भरो
① जीव द्रव्य देखने जानने रूप --------- गुण का धारक है?
उत्तर -(चेतना)
② जो सामान्य को ग्रहण करे उसे कहते हैं --------
उत्तर - (दर्शन)
(3) जो विशेषता के साथ जाने उसे कहते हैं.--------
उत्तर (ज्ञान)
(4) ज्ञान और दर्शन का काम----- है
उत्तर - (जानना)
सही गलत बताइये
① चेतना गुण का धारक जीव है?
उत्तर-- सही
② आत्मा इन्द्रियगम्य है।
उत्तर - (गलत)
③ आात्मा मूर्तिक है।
उत्तर -( गलत)
4) जिसके द्वारा जीव का ज्ञान हो उसे इन्द्रिय कहते हैं
उत्तर -(सही)
बहु वैकल्पिक प्रश्न
1- स्पर्श रस गंध वर्ण शब्द जिसमें नहीं होते उसे कहते हैं?
उत्तर -A (अमूर्तिक)
B-मूर्तिक
C-दोनों
D-कुछ नहीं
उत्तर A-अमूर्तिक
2. आत्मा में संकोच और विस्तार की शक्ति
(A) सहित है
(B) रहित है
(C)दोनों है
(D)दोनो नहीं है।
उत्तर - ( A )सहित है
③ आत्मा इंद्रियगम्य नहीं होने वाला पदार्थ हैं
(A) मूर्तिकार
(B) अमूर्तिक
(C) दोनों
(D)कोई नहीं
उत्तर - (B) (अमूर्तिक)
प्रश्न उत्तर
① इन्द्रियगम्य किसे कहते है ?
उत्तर- इन्द्रियों के द्वारा' जो जाना जा सकेगा अर्थात जानने की capability इंद्रियों के द्वारा हो जाए।
② अमूर्तिक किसे कहते हैं?
उत्तर- स्पर्श रस गंध वर्ण शब्द जिसमें नहीं होते हैं।
③ मूर्तिक किसे कहते है ?
उत्तर -जिसमें स्पर्श रस गंध वर्ण पाया जाए उसे मूर्तिक कहते हैं।
④ ज्ञान और दर्शन में क्या समानता है?
उत्तर- ज्ञान और दर्शन दोनों में समानता है। की दोनों में चेतना गुण है!अर्थात संवेदनशील है !इनके द्वारा संवेदन किया जाता है।
5)-चेतना किसके द्वारा काम करती है?
उत्तर - चेतना ज्ञान और दर्शन के द्वारा
6)-दर्शन किसे कहते है?
उत्तर- जो बिना detail किये हुए केवल सत्ता का अवलोकन ,सत्ता का महसूस करना करता है ।उसका नाम दर्शन हैं।
7)-ज्ञान किसे कहते है?
उत्तर-- विशेष जो संवेदा जाता है detail के साथ में जो जाना जाता है।वह ( जानना) ज्ञान कहते हैं!
(8) जड़ किसे कहते है?
उत्तर - जो चेतना रहित है।
(9) -जीव एवं कर्म में भिन्नता बताइए ?
उत्तर-
① जीव है चेतना वाला!
1-कर्म है अजीव
② जीव है अमूर्तिक
2-कर्म है मूर्तिक
③ जीव है एक
3-कर्म है अनन्त (अनेक)
टिप्पणी
(जीव और कर्म में भिन्नता) ---
जीव द्रव्य तो जानने - देखने रुप चेतना गुण का धारक है ।इंद्रियगम्य न होने योग्य ,अमूर्तिक, है ।एवं संकोचविस्तार शक्ति साहित असंख्यात प्रदेशी एक द्रव्य है ।
एवं कर्म है वह चेतना गुण रहित, जड़ है। मूर्तिक है अनंत पुद्गल परमाणुओं का पिंड है।
इसलिए दोनो -चीज अलग-अलग Nature वाली है । जीव और कम एक द्रव्य नहीं है। इस प्रकार से जीव और कर्म एक ही द्रव्य एक ही वस्तु एक ही पदार्थ नहीं है इसलिए इनको भिन्न-भिन्न समझना।
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