Chapter: दूसरा अधिकार
Page#: 27
Paragraph #: 5
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Summary:
सही गलत बताइए
1. कर्म का बंध होना संसार का स्वरूप है?
उत्तर-सही
2. मोहनीय कार्य निर्मित जो जीव के परिणाम मिथ्यात्व और कषाय, रूप होते हैं उनके निमित्त से नवीन कर्म का बंध प्रधानः से होता है
उत्तर-सही
3- बंध चार प्रकार केहोते है प्रकृति स्थिति अनुभाग प्रदेश
उत्तर -सही
4. प्रकृति और प्रदेश बंध योग से होता है?
उत्तर - सही
5--स्थिति अनुभाग बंध कषाय से होता
उत्तर-- सही
रिक्त स्थान भरो
1.---------के अनुसार आबाधा पड़ती है।
उत्तर - स्थिति
② आबाधा में कर्म की ---- नही होती हैं।
उत्तर - निषेक रचना
③ अल्प कषाय होने पर थोड़ा ----------- होता है।
उत्तर -स्थितिबंध
4----------होने पर बहुत स्थिति बंध होता है।
उत्तर -बहुत कषाय
⑤ कुल ---------कर्म होते है
उत्तर -148
6--दर्शनमोहनीय के------ दो कर्म उनका अपने भावो से बंधन नहीं होता है
उत्तर --सम्यकत्व, सम्यक मिथ्यात्व
बहु वैकल्पिक प्रश्न
1-तेज कषाय से कर्म का बंध
उत्तर-(A) अधिक होगा।
( B) कम होगा
उत्तर -अधिक होगा
2-क्रोध कम अनुभाग वाला है तो
(A)-तेज बंध
(B)-कम बंध
उत्तर( B)कम बंध
3--भगवान की भक्ति करते समय जीव को साता वेदनीय लंबा बंधेगा कि छोटा
(A) लम्बा
(B) छोटा
उत्तर -छोटा
Answer the question
प्रश्न1 -कषाय से स्थिति बंध कैसा होता है,?
उत्तर- मंद कषाय चल रही हैं ।तो कर्म का स्थिति बंध कम होगा । और तेज कषाय हो रही है। तो कर्म का स्थिति बंध अधिक होगा।
प्रश्न 2-अबाधा किसे कहते हैं?
उत्तर -कर्मबंध होने के पश्चात जितने समय तक वह कर्म उदय या उदीरणारूप रूप ना प्रवर्तते उसे अवाधा कहते हैं।
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