Saturday, December 16, 2023

Class Date: 9-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 27
Paragraph #: 5
YouTube link: https://www.youtube.com/live/ZvB-9k-zzO0?si=PQCENpkZtsKeR621
Summary:


 सही गलत बताइए 


1. कर्म का बंध होना संसार का स्वरूप है?

उत्तर-सही

2. मोहनीय कार्य निर्मित जो जीव के परिणाम मिथ्यात्व और कषाय, रूप होते हैं उनके निमित्त से नवीन कर्म का बंध प्रधानः से होता है

उत्तर-सही

3- बंध चार प्रकार केहोते है प्रकृति स्थिति अनुभाग प्रदेश

उत्तर -सही

4. प्रकृति और प्रदेश बंध योग से होता है?

 उत्तर - सही

5--स्थिति अनुभाग बंध कषाय से होता

उत्तर-- सही

रिक्त स्थान भरो 

1.---------के अनुसार आबाधा पड़ती है। 

उत्तर - स्थिति

② आबाधा में कर्म की ---- नही होती हैं।

उत्तर - निषेक रचना

③ अल्प कषाय होने पर थोड़ा ----------- होता है।

 उत्तर -स्थितिबंध 

4----------होने पर बहुत स्थिति बंध होता है।

उत्तर -बहुत कषाय

⑤ कुल ---------कर्म होते है

उत्तर -148

6--दर्शनमोहनीय के------ दो कर्म उनका अपने भावो से बंधन नहीं होता है

उत्तर --सम्यकत्व, सम्यक मिथ्यात्व

बहु वैकल्पिक प्रश्न

1-तेज कषाय से कर्म का बंध

उत्तर-(A) अधिक होगा।
( B) कम होगा

उत्तर -अधिक होगा

2-क्रोध कम अनुभाग वाला है तो

(A)-तेज बंध
(B)-कम बंध

उत्तर( B)कम बंध

3--भगवान की भक्ति करते समय जीव को साता वेदनीय लंबा बंधेगा कि छोटा

(A) लम्बा
(B) छोटा

उत्तर -छोटा

Answer the question 

प्रश्न1  -कषाय से स्थिति बंध कैसा होता है,?
 उत्तर- मंद कषाय चल रही हैं ।तो कर्म का स्थिति बंध कम होगा । और तेज कषाय हो रही है। तो कर्म का स्थिति बंध अधिक होगा।

प्रश्न 2-अबाधा किसे कहते हैं?
उत्तर -कर्मबंध होने के पश्चात जितने समय तक वह कर्म उदय या उदीरणारूप रूप ना प्रवर्तते उसे अवाधा कहते हैं।

Notes Written By Priyanka Godha.

No comments: