Sunday, December 17, 2023

Class Date: 16-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 28
Paragraph #: 3
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Summary:

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(1 ) गति, जन्म मरण का कारण______ है।

Ans-  (कर्म का फल)

(2) कर्म से छूटना, मतलब कर्म का______ रूप होना है।

Ans- (अकर्म)

(3) सत्व कर्मों में जीव के परिणाम के निमित्त से _______हो सकता है ।  
     
Ans- (बदलाव ) 

(4) कर्म की________का संक्रमण होता है। 

Ans- (प्रकृति)

(5) वैक्रियिक शरीर का संक्रमण _______ में हो सकता है।

Ans- (औदारिक शरीर)

(6) अपकर्षण, उत्कर्षण कर्म के _______ और ______के होते हैं।

Ans- (स्थिति, अनुभाग) 

(7)-_____ कर्म का संक्रमण नही होता है। 

Ans- (आयु)

(8) _______जैन दर्शन की मौलिक विशेषता जो अन्य किसी दर्शन में नहीं पाई जाती । 

Ans- (कर्म की व्यवस्था)

 

सही गलत बताए-

(1) कर्म के फल से शरीर प्राप्त होता है। 

Ans-(सही) 

(२) शरीर के नष्ट होने पर कर्म का नाश हो जाता है।

Ans- ( गलत)

(3) आयु का संक्रमण हो सकता है। 

Ans- (गलत)

(4) कर्म का संक्रमण होने पर उसके थोड़े परमाणु अन्य प्रकृति रूप बदलते हैं।

Ans- (सही) 

(5) पुण्य कर्म के अनुभाग का उत्कर्षण होना बुरा है।

Ans- (गलत)

(6) स्थिति के उत्कर्षन मे स्थिति को बढ़ाते है उसे Postpone नही करते।

Ans- (सही)

बहु वैकल्पिक प्रश्न

(1) जीव के प्रदेशों से बंधे हुए कर्म का संबंध है

(A) एक क्षेत्रावगाह
(B) संयोग
(C)मानसिक
(D) एकक्षेत्रावगाह संश्लिष्ट

उत्तर - ( D) एकक्षेत्रवगाह संश्लिष्ट

(2) वर्तमान आयु का हो सकता है?

(A) संक्रमण
(B) स्थिति का अपकर्षण 
(C) स्थिति का उत्कर्षण
(D) कुछ नही

उत्तर - (B) स्थिति का अपकर्षण.

(3) मनुष्य गति का संक्रमण हो सकता है?

(A) उच्च गोत्र मे
(B) मान कषाय में  
(C)देव गति मे 
(D)साता वेदनीय   

उत्तर - देव गति

प्रश्न के उत्तर दीजिए

प्रश्न-1 सत्ता किसे कहते है?

उत्तर - जीव के प्रदेशों से बँधे हुए कर्मों का एक क्षेत्रावगाह संश्लिष्ट संबंध जब तक कर्म उदय में न आये, कर्म की सत्ता कहलाती है।

प्रश्न-2 संक्रमण क्या है और उसके नियम क्या है?

उत्तर - कर्म की प्रकृति का अन्य प्रकृति रूप होना संक्रमण है।
(1) अपने सजातीय कर्मों मे ही संक्रमित होते हैं।
(२) थोडे परमाणु बदलते है। पूरी प्रकृति नही बदलती
(3) आयु कर्म का संक्रमण नही होता 

प्रश्न-3  मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है-?

उत्तर- मेरे साथ ऐसा फल भोगने वाले अनंतो जीव है, क्योंकि कर्म बंध की दशा हमारी अकेले की नहीं है हर सँसारी जीव की कहानी है। ऐसा जानने से दुख कम हो जाता है । (2) जो हो रहा है वो स्वयं के द्वारा पूर्व में किए गये कर्मो का फल है। स्वयं का अपराध है अन्य या नही ऐसा जानकर कर्म बंधन से मुक्ति का पुरूषार्थ करना चाहिए ।

Notes Written By Vandana Jain.

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