Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 28
Paragraph #: 1 
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Summary:
*रिक्त स्थान भरो।*
 *1*  कर्मो में फलदान की शक्ति  की _____________ कषाय की मंदता और तीव्रता पर निर्भर करती हैं। 
Ans-  ( *न्यूनाधिकता)*
 *2* पाप प्रकृति में कर्म की फलदान शक्ति अधिक होना जीव के लिए __________ हैं।
Ans- ( *अहितकारी)* 
 *3*   अनुभाग बंध का संबंध ____________ से होता हैं।
Ans-  ( *कषाय* )
✅और❌बताइए।
1  देवायु, तिर्यंचायु, मनुष्यायु तीनों की स्थिति अशुभ मानी जाती हैं।
Ans- ❌
2 जब कषाय की मंदता हो तो नरक आयु छोटी बांधी जाती हैं।
Ans- ✅
 *3* घाति  कर्मो की सभी प्रकृतियों में मंद कषाय होने पर अनुभाग बंध अल्प (हल्का) होता हैं। 
Ans-  ✅
*बहुवैकल्पिक प्रश्न*
1  कषाय की मन्दता के समय यदि  पुण्य बांध लिया जाए तो कर्म के फलदान की शक्ति होगी।
 अ) अधिक
  ब) कम
 स) दोनो
द) कोई नही।
        *उत्तर -(अ)*
 **2* पुण्य के अनुसार अनुकूलता का मिलना और उसमे ही सुख मानना  पारमार्थिक दृष्टि से  जीव के लिए:
 अ) हितकारी हैं
 ब) अहितकारी हैं
स)  दोनो 
 द) दोनो नही हैं
       *उत्तर - (ब)* 
* प्रश्न - उत्तर*
 *1* मति ज्ञानावरण कर्म का तीव्र उदय आना जीव के लिए कैसा हैं?
 *उत्तर*- अच्छा नही हैं क्योंकि इससे जीव के मतिज्ञान की शक्ति का घात होता है।
 2 क्या जीव  के प्रतिसमय एक समान परिणाम रहते हैं?
 *उत्तर* - नही प्रतिसमय  परिणाम बदलते रहते हैं, कषाय की मंदता और तीव्रता चलती रहती हैं।
 *3*  क्या अत्यधिक पुण्य बांध लेने से जीव की संसार की स्थिति कम हो जाती है?
 *उत्तर* नही ,पुण्य अधिक हो या कम वह जीव को संसार का ही कारण हैं।
 **4*  क्या किसी जीव को जिनेन्द्र देव की पूजा - भक्ति करते समय भी पुण्य और पाप के मिश्र बंध  हो सकते हैं?
 *उत्तर* हाँ,अगर जीव पूजा करते समय भी कषाय  ( क्रोध,घमंड आदि)करने में तत्पर हो तो ऐसा  बंध हो जाएगा।
 **5*  कर्म के आत्मा को फलदान की शक्ति को क्या कहते हैं?
  *उत्तर*- अनुभाग
 
 
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