Wednesday, December 13, 2023

Class Date: 11-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 28
Paragraph #: 1 
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Summary:

   

          *रिक्त स्थान भरो।* 


 *1* कर्मो में फलदान की शक्ति की _____________ कषाय की मंदता और तीव्रता पर निर्भर करती हैं। 

Ans-  ( *न्यूनाधिकता)*

 *2* पाप प्रकृति में कर्म की फलदान शक्ति अधिक होना जीव के लिए __________ हैं।

Ans- ( *अहितकारी)* 
  
 *3* अनुभाग बंध का संबंध ____________ से होता हैं।

Ans-  ( *कषाय* )

     ✅और❌बताइए।


1 देवायु, तिर्यंचायु, मनुष्यायु तीनों की स्थिति अशुभ मानी जाती हैं।

Ans- ❌

2 जब कषाय की मंदता हो तो नरक आयु छोटी बांधी जाती हैं।

Ans- ✅

 *3* घाति कर्मो की सभी प्रकृतियों में मंद कषाय होने पर अनुभाग बंध अल्प (हल्का) होता हैं। 

Ans-  ✅


    *बहुवैकल्पिक प्रश्न*


1 कषाय की मन्दता के समय यदि पुण्य बांध लिया जाए तो कर्म के फलदान की शक्ति होगी।

 अ) अधिक
  ब) कम
 स) दोनो
द) कोई नही।

        *उत्तर -(अ)*

 **2* पुण्य के अनुसार अनुकूलता का मिलना और उसमे ही सुख मानना पारमार्थिक दृष्टि से जीव के लिए:

 अ) हितकारी हैं
 ब) अहितकारी हैं
स) दोनो 
 द) दोनो नही हैं

       *उत्तर - (ब)* 

     * प्रश्न - उत्तर*


 *1* मति ज्ञानावरण कर्म का तीव्र उदय आना जीव के लिए कैसा हैं?
  
 *उत्तर*- अच्छा नही हैं क्योंकि इससे जीव के मतिज्ञान की शक्ति का घात होता है।

 2 क्या जीव के प्रतिसमय एक समान परिणाम रहते हैं?

 *उत्तर* - नही प्रतिसमय परिणाम बदलते रहते हैं, कषाय की मंदता और तीव्रता चलती रहती हैं।

 *3* क्या अत्यधिक पुण्य बांध लेने से जीव की संसार की स्थिति कम हो जाती है?

 *उत्तर* नही ,पुण्य अधिक हो या कम वह जीव को संसार का ही कारण हैं।

 **4* क्या किसी जीव को जिनेन्द्र देव की पूजा - भक्ति करते समय भी पुण्य और पाप के मिश्र बंध हो सकते हैं?

 *उत्तर* हाँ,अगर जीव पूजा करते समय भी कषाय ( क्रोध,घमंड आदि)करने में तत्पर हो तो ऐसा बंध हो जाएगा।

 **5* कर्म के आत्मा को फलदान की शक्ति को क्या कहते हैं?

  *उत्तर*- अनुभाग

Notes Written By Pratima Jain.

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