Monday, December 4, 2023

Class Date: 1-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 26
Paragraph #: 1
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Summary:


रिक्त स्थान भरो - 

Q.1 __________कर्म एक लाइफ तक फल देता है।

Ans-(आयु कर्म)

Q.2 जीव की शक्ति की व्यक्ति का  घात_________ करता है। 

Ans- (कर्म)

Q.3अभी जीव को ________का क्षयोपसम है।

Ans- (मति ज्ञानावरण)

Q.4 जो मेरा ज्ञान है वह_____ और जो राग द्वेष _____भाव है।

Ans- (स्वाभाविक , ओपाधिक भाव)

Q.5 अनादि कालीन भाव के द्वारा______के ______का निर्णय किया जाता है।

Ans- (जीव और जीवत्त्व)

Q.6 जीव का प्रकट ज्ञान____ का कारण है___ का नहीं।

Ans- (उन्नति, अवनति)

सही गलत बतायें -

(Q.1) जो ज्ञान पूरा प्रकट हो वह शक्ति है शक्ति की अभिव्यक्ति नहीं है।

Ans- (सही)

(Q.2) स्वभाव शक्ति ज्ञानावरण कर्म के उदय के कारण घटती जाती है। 

Ans- (सही)

(Q.3) ध्यान करने के लिए कर्म का उदय चाहिए। 

Ans- (गलत)

(Q.4) हमारे पास जो ज्ञान है बाय निरपेक्ष भाव है ज्ञानात्मक भाव है।

Ans-  (सही)

(Q.5) जीव के ज्ञान स्वभाव के अंश का कभी अभाव नहीं होता। 

Ans- (गलत)

(Q.6) निज स्वभाव बंध  का कारण है।

Ans- (गलत)

(Q.7) जीव का जो अंश प्रकट है वह जीव का स्वभाव है।

Ans- (सही)

विशेष बिंदु -

(१) कर्म के क्षयोपसम से होने वाला जीव का परिणाम स्वाभाविक परिणाम है और कर्म के उदय में जीव ज्ञानी नहीं बनता है। 

(२) औपाधिक भाव को समझना मोक्ष मार्ग के लिए अनिवार्य है।

(३) ज्ञान स्वभाव और ज्ञान स्वभाव के अंश का कभी अभाव नहीं होता है।

(४) जीव में ज्ञान की शक्ति और व्यक्ति हमेशा रहती है।

(५) जानने देखने वाला जीव नहीं जीव का जीवत्तव हैं।

(६) अपना अस्तित्व बंध का कारण नहीं है।

Notes Written By Rashmi Jain.

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