Chapter: दूसरा अधिकार
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Paragraph #: 1
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Summary:
नोकर्म =किंचित (इशत)= अर्थात अस्तित्व तो है परन्तु थोड़ा है
1= जो कर्म के सामान है परन्तु कर्म जैसा gyana varan रूप नहीं है जो कर्म में मुख्यता से शरीर है
2= कर्म के जैसा सुख दुःख देता है
3=.कर्म का मित्र है कर्म को बुलाता है आत्मा को नहीं
4= पूरा शरीर आदि जो भी हैं और इसके जो हिस्से हैं जो पुद्गल परमाणु के पिण्ड हैं और इसके निमित्त से जो भी हो रहा है वह भी पुद्गल के पिण्ड हैं इसका सम्बन्ध आयु कल प्रमाण रहता है इसका सम्बन्ध जीव के साथ में एक क्षेत्र अवगाहा संश्लिस्ट सम्बन्ध पाया जाता है
इन्द्रिय= स्पर्शन,रसना,आदि पञ्च इन्द्रिय
नो इन्द्रिय = मन ( इंद्रियों की भांति नहीं है परन्तु इंद्रियों की तरह ही कार्य करती है )
रिक्त स्थान भरो -
1.= कर्म ____है और जीव का परिणाम____हे परन्तु जो कार्य है वह कर्म नहीं वह भाव कर्म है द्रव कर्म नहीं है
Ans- कारण ,कार्य
2=जैसे पुद्गल द्रव्य _____ मैं निमित्त बनता है, वैसे ही शरीर भी ______में निमित्त बनता है
Ans-सुख दुःख ,सुख दुःख
3= शरीर नाम कर्म का उदय_____ नहीं होता लगातार होता है
Ans- कम ज्यादा
4= हमारे ____ बेजान है है सिर्फ उसमें _____ की जान है यानि वचन पौद्ग ग्लिक है है वचन शरीर के अंग से पृथक है
Ans- वचन ,राग द्वेष
5=कर्म का सम्बन्ध _______ हो सकता है परन्तु शरीर का सम्बन्ध ______होता है
Ans- 70 कोड़ा कोडी सागर ,33 सागर
1) जीव द्रवकर्म के साथ वाला होगा तो ही शरीर होगा
2) एक वस्तु के टुकड़े कभी नहीं होते हैं यदि शरीर के हिस्से हो रहे हैं तो वह पिंड है
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