Monday, December 4, 2023

Class Date: 16-11-22
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 24
Paragraph #: 2&3
YouTube link: https://www.youtube.com/live/6nqP-WfUszU?si=ichfO6P_kNKbMgP_
Summary:

सही अथवा गलत में उत्तर दीजिए -


Q.1) जीव को कर्म ने ,भगवान ने,मनुष्य ने बनाया है।

Ans-  ( गलत )

Q.2) जीव और कर्म एक दूसरे के करता तो नहीं हैं।
Ans-  (सही)

Q.3) जीव अनादि से है एवं स्वत: सिद्ध है। 

Ans- (सही)

Q.4) भगवान, कर्म एवं मनुष्य जीव को नष्ट कर सकते हैं। 

Ans-(गलत)

Q.5) जीव, कर्म का कारक है।

Ans-  (गलत)

Q.6). मनुष्य गति, देव' गति एवं अन्य गति पा ने के लिए कर्म सहयोगी है।

Ans-  (सही)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -


Q.1) जीव ने कर्म को बनाया तो नहीं किंतु कर्म को _____करने में सहायक है। 

Ans- (परिवर्तन)

Q 2) कर्म _____ हैं बनते नहीं।

Ans- (बंधते)

Q.3) कर्म अनन्त_____ परमानुओं का पिण्ड है

Ans- (पुद्गल)

Q.4) ____जीव के परिणामों में ____बनता है। 

Ans- (कर्म, निमित्त)

Q.5) जीव भावों के द्वारा____ के लिए कारण बनता है। 

Ans- (कर्म बंधन)

सही विकल्प चुने -


Q.1) कर्म फल देने का काम करता है, परिवर्तन किसमें होता है 

(१) मनुष्य

(२)भगवान

(३) स्वयं कर्म

(४)जीव

उत्तर : (४) जीव

Q.2) घाती कर्म का प्रकार नहीं है-
 
(१) ज्ञानवर्णी कर्म
(२) नाम कर्म
(३) मोहनीय कर्म
(४) अंतराय कर्म

उत्तर: (२) नाम कर्म

Q.3) ज्ञानावरण कर्म जीव‌ के किस स्वभाव का घात करता है ?

१) दर्शन

2) ज्ञान

३)समता भाव

४)आत्मीय बल

उत्तर : २) ज्ञान स्वभाव

मुख्य बिंदु :-


→ ज्ञानावरण, दर्शनावरण कर्म के क्षयोपशम से थोड़ा ज्ञान - दर्शन की व्यक्तता रहती है।

जब कर्म ने जीव को बनाया नहीं तो मिटा भी नहीं सकता क्योंकि कर्म जीव का स्वामी नहीं है। जीव स्वतः सिद्ध है।


Notes Written By Shreni Jain.

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