Chapter: दूसरा अधिकार
Page#: 24
Paragraph #: 2&3
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Summary:
सही अथवा गलत में उत्तर दीजिए -
Q.1) जीव को कर्म ने ,भगवान ने,मनुष्य ने बनाया है।
Ans- ( गलत )
Q.2) जीव और कर्म एक दूसरे के करता तो नहीं हैं।
Ans- (सही)
Q.3) जीव अनादि से है एवं स्वत: सिद्ध है।
Ans- (सही)
Q.4) भगवान, कर्म एवं मनुष्य जीव को नष्ट कर सकते हैं।
Ans-(गलत)
Q.5) जीव, कर्म का कारक है।
Ans- (गलत)
Q.6). मनुष्य गति, देव' गति एवं अन्य गति पा ने के लिए कर्म सहयोगी है।
Ans- (सही)
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -
Q.1) जीव ने कर्म को बनाया तो नहीं किंतु कर्म को _____करने में सहायक है।
Ans- (परिवर्तन)
Q 2) कर्म _____ हैं बनते नहीं।
Ans- (बंधते)
Q.3) कर्म अनन्त_____ परमानुओं का पिण्ड है
Ans- (पुद्गल)
Q.4) ____जीव के परिणामों में ____बनता है।
Ans- (कर्म, निमित्त)
Q.5) जीव भावों के द्वारा____ के लिए कारण बनता है।
Ans- (कर्म बंधन)
सही विकल्प चुने -
Q.1) कर्म फल देने का काम करता है, परिवर्तन किसमें होता है
(१) मनुष्य
(२)भगवान
(३) स्वयं कर्म
(४)जीव
उत्तर : (४) जीव
Q.2) घाती कर्म का प्रकार नहीं है-
(१) ज्ञानवर्णी कर्म
(२) नाम कर्म
(३) मोहनीय कर्म
(४) अंतराय कर्म
उत्तर: (२) नाम कर्म
Q.3) ज्ञानावरण कर्म जीव के किस स्वभाव का घात करता है ?
१) दर्शन
2) ज्ञान
३)समता भाव
४)आत्मीय बल
उत्तर : २) ज्ञान स्वभाव
मुख्य बिंदु :-
→ ज्ञानावरण, दर्शनावरण कर्म के क्षयोपशम से थोड़ा ज्ञान - दर्शन की व्यक्तता रहती है।
जब कर्म ने जीव को बनाया नहीं तो मिटा भी नहीं सकता क्योंकि कर्म जीव का स्वामी नहीं है। जीव स्वतः सिद्ध है।
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