Chapter: दूसरा अधिकार
Page#: 31
Paragraph #: 1,2,3
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Summary:
सही /गलत
1.जीव के आत्म प्रदेशों मे संकोच और विस्तार की शक्ति पाई जाती है
Ans-(V)
2.विग्रह गति के समय जीव के नोकर्म होता है
Ans- (X)
3.नाम कर्म के निमित्त से शरीर प्राप्त होता है
Ans- (V)
4. विग्रह गति के समय जीव अपने पूर्व शरीर जो छोड़ा है, उस आकार रुप रहता है
Ans- (V)
5. जीव को जिस प्रकार का शरीर प्राप्त होता है, उतने स्थान मे उसके प्रदेश रहते है
Ans- (V)
6. जीव असंख्यात प्रदेशी है
Ans- (V)
7. द्रव्यइन्द्रिय द्रव्यमन, वचन और श्वासोच्छवास आदि शरीर के अंग नहीं है
Ans- (X)
8. आत्म प्रदेशों के संकुचित और विस्तृत रहने से जीव के सुख, दुःख का कोई संबंध नही है
Ans- (V)
9. आत्मा यद्यपि असख्यात प्रदेशी है, तो भी संकोच, विस्तार शक्ति से शरीर प्रमाण ही रहता है
Ans- (V)
10. अधिकतम तीन समय विग्रहगति मे जीव अनाहारक रह सकता है
Ans- (V)
11.जीव के जन्म समय से लेकर जितनी आयु की स्थिति हो, उतने काल तक शरीर और आत्मा का संबंध रहता है
Ans- (v)
खाली स्थान
1.काल की सबसे छोटी ईकाई.....है।
उत्तर - समय
2. जीव का एक गति से दूसरी गति मे जाने के बीच के अन्तराल को...... कहते है।
उत्तर- विग्रहगति
3. विग्रह गति मे ....मोडे होते हैं
उत्तर- तीन
4. नोकर्म मे नो शब्द का अर्थ.... होता है।
उत्तर -अल्प (थोडा)
5. मूल शरीर को छोड़े बिना आत्मा के प्रदेशों का शरीर से बाहर निकलना, उसे .....कहते है
उत्तर - समुद्धघात
6. शरीर छूटने के बाद अधिकतम.... समय मे जीव नवीन शरीर धारण कर लेता है
उत्तर- चार
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