Friday, December 29, 2023

Class Date: 25-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 31
Paragraph #: 2 
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Summary:

रिक्त स्थान भरो 


① आत्मा----------- प्रदेशी है।

उत्तर- असंख्यात

② संकोच - विस्तार शक्ति से-------ही रहता है!

उत्तर - शरीर प्रमाण

③ इस शरीर के अंगभूत------और------उनकी सहायता से जीव के जानपने की प्रवृत्ति होती है!

उत्तर -द्रव्य इन्द्रिय, मन

④ शरीर की अवस्था के अनुसार---------से जीव सुखी दुखी होता है

उत्तर-मोह के उदय

5- एक शरीर छूटकर दूसरा शरीर मिलने काअंतराल------- रहता है।

उत्तर - 3 समय

सही गलत बताइये


1-• कर्म की प्रकृति से भगवान को भी दुस्वरकर्म होता है।

 उत्तर- सही

2-• भगवान के शरीर का आकार हुण्डक नही हो सकता है।

उत्तर - गलत

③ इन्द्रिया मतिज्ञान के लिए निमित्त है।

उत्तर सही

④ द्रव्यकर्म घाति और आघाति रूप से दो प्रकार के हैं।

उत्तर - सही

⑤ शरीर की अवस्था के अनुसार जीव की प्रवृत्ति जीव की दशा भी देखी जाती है

उत्तर -सही

6- कमी जीव अन्यथा, इच्छा रुप प्रवर्तता है । और पुद्गल अन्यथा रुप प्रवर्तता है। 

7-आत्मा शरीर प्रमाण रहता है । नख और केस को छोड़कर

उत्तर-सही

प्रश्न उत्तर


प्रश्न 1 -द्रव्यकर्म किसे कहते है?

उत्तर- ज्ञानावरणादिक आठ कर्मों का पिंड समूह को द्रव्यकर्म कहते हैं।

प्रश्न 2- नौकर्म किसे कहते है ?

उत्तर-जो यह शरीर बना है ।नाम कर्म की निमित्त से उसका नाम है नौकर्म। 

प्रश्न 3-शरीर का और ज्ञान का क्या सम्बन्ध है?

उत्तर- जो इंद्रिया है वह ज्ञान की बहिरंग निमित्त है। लेकिन इन्द्रिया ज्ञानात्मक नहीं है। इंद्रिय और ज्ञान का कर्ता कर्म संबंध नहीं है निमित्त नेमैतिक संबंध है। अधूरी दशा में, जब तक जीव पूर्ण ज्ञान रूप परिणत नहीं हो जाता है ।तब तक इंद्रियों की सहायता लेता है। इंद्रियों के निमित्त से ज्ञान करता है।

Notes Written By Priyanka Godha.

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