Tuesday, January 23, 2024

Class Date: 10-1-24
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 36 & 37 
Paragraph #: 2 (pg no. 36) , 1 (pg no. 37)
YouTube link: https://www.youtube.com/live/MipHs7yap3k?si=G_I7bHAg9GUr8kPB
Summary:

रिक्त स्थान भरो


1. जिन जिन का _____होता है उनका_____भी होता है इस प्रकार एक जीव को एक कल में एक बार जानना अथवा दर्शन का परिणमन होता है।

Ans-  ज्ञान , दर्शन

2.  उपयोग के परिणमन में______ होती है।

Ans- शीघ्रता

3.  हर वस्तु का प्रत्यक समय मे____  होता है उनका भी ज्ञान होता है।

Ans- परिणमन

4.  वर्तमान का ज्ञान _____जानता हे परंतु परिणमन बहुत ____ होता है।

Ans-  थोड़ा-थोड़ा, जल्दी-जल्दी

5.  इस जीव के देखने के द्वार तो_____ हैं, परंतु उपयोग____ हे । वह एक ज्ञान सब जगह घूमता हे।

Ans-  अनेक , एक

6. जीव का ______ नहीं घूमता हे ,______घूमता है।

Ans-  आत्मा , उपयोग

जीव की शक्ति के प्रकार=

१_ प्रकट शक्ति 
२_ आप्रकट शक्ति
# = १_पूर्ण शक्ति
२_ प्रकट शक्ति
३_ शक्ति का प्रयोग

डिटेल=

१ _प्रकट पर्याय में कितना काम होता है वह शक्ति है

२_ प्रकट पर्याय में यदि चेंज करेंगे तो कितना काम हो सकता है वह शक्ति है।

३_प र्यायमें शक्ति मौजूद नहीं है परंतु यदि हमारे अंतर्गत जो द्रव्य स्वभाव मौजूद हे उसका यदि विकास हो जाए तो जो प्रगट होगा वह शब्द शक्ति।

१_ द्रव्य स्वभावरूप शक्ति
२  _ क्षयोपसम रुप शक्ति
३ _ पर्याय में उपयोग की शक्ति

डिटेल्स= 

१_केवल ज्ञान केवल दर्शन की शक्ति है हमेशा पाई जाती है = द्रव स्वभावरूप शक्ति (अनादि से अनंत काल तक रहने वाली)

२_ वर्तमान मे जो पंचेंद्रीय जाने रूप शक्ति है= क्षयोप्सम रूप शक्ति ( पर्याय) 

३ _क्षयोपसम रूप शक्ति से जो जान पाते है जो यूज कर पाते है वह= पर्याय मे उपयोग रूप शक्ति ( एक बार में एक को जानता है)

विशेष 

संपत्ति ज्यादा है भोग कम है उसी प्रकार पंचेंद्रियओ का क्षयोपसम प्रति समय हमारे पास है, परंतु उपयोग हम एक बार में एक का ही कर सकते है बाकि चार उपयोग मे रहती है।

Notes Written By Rashmi Jain.

Class Date: 11-1-24
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 37
Paragraph #: 2 
YouTube link: https://www.youtube.com/live/jocUfJYSJ6Y?si=kPA2MT1bG6nVX7PI
Summary:

प्रश्न रिक्त स्थान भरो 


① रोग होना-------- का निमित्त है

उत्तर -असाता कर्म

② आंख कान मुंह जो मिले है वह --------के कारण मिले है।

उत्तर-नामकर्म

3 आँख कान नाक का निर्माण ठीक होना -------से होता है ।

उत्तर - निर्माण नामकर्म

4)----------नामकर्म उसके निमित्त से रोगता निरोगता की दशा बनती है।

उत्तर - स्थिर अस्थिर

5) असहाय केवल -------भगवान ही है

उत्तर- केवली.

6)  कर्म के क्षयोपशम का ही विशेष है कि वह------- के बिना नहीं जान पाता ।

उत्तर -वाह्य द्रव्य

 सही गलत बताइये 


① अवधी ज्ञान में एक बार में किसी एक विषय के बारे में जानना होता है। सारे विषयों का युगपत जाना नहीं होता है।

उत्तर -सही

② मन: पर्याय ज्ञान केवल दिगंबर मुनिराज को होता है मोक्ष मार्ग के अंतर्गत होता है!

उत्तर - सही

③ मनः पर्यय ज्ञानी एक बार में अनेक को एक साथ जान पाता है।

उत्तर -गलत

4)ज्ञानावरण कर्म और दर्शनावरण कर्म जीव के लिए हितकारी नहीं है

उत्तर -सही

⑤ कर्म भला है हितकारी है।

उत्तर - गलत

6)• मोहनीय कर्म के अन्तर्गत दर्शन -मोहनीय श्रद्धान का घात करता है।

उत्तर - सही

प्रश्न-उत्तर


प्रश्न 1)मन: पर्यय ज्ञान किसे कहते है?

उत्तर- दृव्य क्षेत्र काल भाव की मर्यादा सहित दूसरे मन में स्थित रूपी पदार्थों को जो बिना किसी की सहायता के सीधे आत्मा से स्पष्ट जानता है उसे मन: पर्यय ज्ञान कहते हैं ।

2) मोहनीय कर्म कितने प्रकार का होता है।

उत्तर - मोहनीय कर्म दो प्रकार का होता है

1) दर्शन मोहनीय ② चारित्र मोहनीय

प्रश्न 3)-दर्शन मोहनीय गुण कौन से गुण का घात करता है?

उत्तर - दर्शन मोहनीय श्रद्धान गुण (विश्वास) के घातने में कारण बनता है।

प्रश्न 4)-चरित्र मोहनीय के निमित्त से क्या होता है?

उत्तर)-चारित्र मोहनीय के निमित्त से कषाय भाव होते हैं ।क्रोध मान माया लोभ के भाव होते हैं।

Notes Written By Priyanka Godha.



Class Date: 13-1-24
Chapter: दूसरा अधिकार
Page#: 38
Paragraph #: 1 
YouTube link: https://www.youtube.com/live/kn-jHe9OPws?si=SPOilKoG9h0DtGMv
Summary:

प्रश्न / उत्तर


1) मोहनीय कर्म के कितने भेद होते हैं ?

Ans:- मोहनीय कर्म 2 प्रकार का होता है:-
(ⅰ) दर्शन मोहनीय - पुन: 3 भेद हैं।
(!ⅰ) चारित्र मोहनीय - पुन: 25 भेद हैं।

2) Pg-38 के Paragraph 1 के अनुसार पंडित जी का 'प्रसिद्ध' शब्द से क्या आशय है ? 

Ans:- ' प्रसिद्ध' शब्द का अर्थ 'निरंतर अनुभव में आने वाले गुणों' से है।

3) 'आप' शब्द का भाव क्या है?

Ans:- आप का अर्थ 'स्वयं' से है।

4) 'पर' शब्द का क्या भाव है?

Ans:- स्वयं के अलावा सभी अन्य प्रदार्थ 'पर' हैं।

 True/False


1) श्रद्धान और चारित्र की विपरीतता ही मिथ्यात्व कहलाती है। 
Ans- false

2) वस्तु स्वरुप को जानना और मानना एक ही बात है। 

Ans- false

3) जैसा है वैसा ही मानना मोह है। 

Ans- false

objective Type -


1) मिथ्यात्व परिणाम का फल है:-

# तत्व अश्रद्धान
# अतत्व श्रद्धान 
# दोनो सही✅
# दोनों गलत

2) 'आप' (जीव) के संबंध में इनमें से कौन सा तथ्य सही नहीं है।

#अमूर्तिक प्रदेशों का पुंज
# वर्णादिक वाला ✅
# प्रसिद्ध ज्ञानादिक गुणों का धारी
# अनादि निधन

3) पर (पुद्‌गल) के संबंध में इनमें से कौन सा तथ्य सही नहीं है?

# सुख गुण वाला ✅
# मूर्तिक पुद्‌गलों का पिंड
# ज्ञानादिक गुणों से रहित
# नवीन संयोग से प्राप्त

 Match the following.

a) तत्व अश्रद्धान     1) मैं अमूर्तिक हूं।    (b)
b) तत्व श्रद्धान      2) मैं ज्ञान रहित हूं     (a)
c) अतत्व श्रद्धान    3) मैं मनुष्य ही हूं      (c)

Notes Written By Siddharth Jain.


Class Date: 20-1-24
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 38
Paragraph #: 4 
YouTube link: https://www.youtube.com/live/v-AlJjHYTE4?si=w0xUM4PTh-UtROS2
Summary:

सही गलत लिखिये :-


1. दर्शन मोहनीय और चारित्र मोहनीय, मोहनीय कर्म के प्रकार है।

उत्तर- सही

2- चारित्र मोह से जीव को कषायिक भाव होते हैं।

उत्तर - सही

3- दशर्न मोह से साथ चारित्र मोह होता ही हैं।

उत्तर - सही

 सही विकल्प चुने:-


1. क्रोधादिक भाव या कषाय रूप हैं।

१ - चारित्र मोहनीय 
2- दर्शन मोहनिय 
3- दर्शनावरण

उत्तर - चारित्र मोहनीय

2- इष्ट-अनिष्ट पने का भाव किस कर्म के उदय से होता है। 

1- ज्ञानावरण
2- दर्शन मोहनीय 
3. दर्शनावरण

उत्तर - दर्शन मोहनीय

3. चारित्र मोह रूपी कषाय कितने प्रकार की हैं।

१- चार
2- सात
3- नौ

उत्तर चार

 एक शब्द में उत्तर लिखिए!-


1. किस कर्म के उदय से जीव को कषायिक भाव होते है?

उत्तर- चारित्र मोहनिय

2 - किस कर्म के उदय से वस्तुओ का यर्थाथ ज्ञान नहीं हो पाता?"

उत्तर- दर्शन मोहनीय

3 मोहनीय कर्म कितने प्रकार का होता है?

उत्तर- दो प्रकार के - दर्शन मोहनीय और चारित्र मोहनीय

 निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर दिजिए!


1-चारित्र मोह किसे कहते है?

 उत्तर - जब जीव परवस्तुओं को अच्छा-बुरा मानकर क्रोधादिक कषाय करता हैं उसे चारित्र मोह कहते हैं।

2. चारित्र माह से जीव की अवस्था क्या होती हैं?

उत्तर - चारित्र मोह के उदय में जीव को कषाय रूप परिणाम होते हैं, जिस से जीव दुखी होता है|

3- कषाय किसे कहते हैं?

उत्तर. जो आत्मा को कसे अर्थात दुख दे उसे कषाय कहते हैं।

4- चारित्र मोहनीय कषाय के प्रकार लिखे? -

उत्तर - चारित्र मोहनीय रूप कषाय चार प्रकार की होती है:-

1- अनंतानुबंधी

2- प्रत्याख्यान

3. अत्याख्यान

4. संजव्लन

5- दर्शन, ज्ञानावरण और दर्शन मोहनीय कर्म में अंतर बताओ। 

उत्तर - दर्शन, ज्ञानावरण किसी भी पदार्थ को जान पाने की क्षमता को तय करता है 
दर्शन मोहनीय से पदार्थ का यर्थाथ ज्ञान नहीं होता|
अथवा जीव को विपरीत श्रृद्धान करवाता है। 

6-क्या दर्शन मोहनीय और चारित्र मोहनीय साथ-साथ काम करता है?

उत्तर - चारित्र मोहनीय अकेले हो सकता है लेकिन दर्शन मोहनीय के साथ चारित्र मोहनीय होता ही हैं।

Notes Written By Samta jain.


Class Date: 22-1-24
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 38
Paragraph #: last
YouTube link: https://www.youtube.com/live/dqglsTTNlFM?si=61tT5SpFCTAfbwhL
Summary:


 *एक शब्द में उत्तर दें:-* 


1)प्रसिद्ध ज्ञानादिक गुणों का धारी है-

Ans- आत्मा

2) मिथ्यात्व कर्म के अभाव में होता है - 

Ans- सम्यकत्व

3) चरित्र मोहनीय कर्म के उदय से जीव के होने वाले भाव -

Ans-  कषायिक भाव

4)पदार्थो में इष्ट और अनिष्टपना मानकर बुरा चहना, ये होता है 

Ans-  -क्रोध का उदय होने पर
 

*नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर* :-


1) चरित्र मोहनी में किस रूप कर्म होंगे और किस रूप उनका भाव होगा?

 *उत्तर* - चरित्र मोहनी में जिस रूप कर्म का उदय होता है उस ही रूप जीव का भाव भी होगा।

 *जेसे* - क्रोध के उदय में जीव के भाव का क्रोध रूप परिणमन होने लगता है।

2) क्रोध का उदय होने पर जीव के भाव किस प्रकार के होंगे?

 *उत्तर* - क्रोध के उदय में अगर अचेतन पदारथ बुरे लगे तो उन्हें तोड़ने का भाव और सचेतन पदारथ बुरे लगे तो उन्हें बध-बंधन आदि से या मlरने से दुख उत्पन्न करके उनका बुरा चाहता है।

 *हाइलाइट* :- जब जीव विवेक पूर्वक किसी वास्तु का त्याग करके अपना उपयोग बदलता है तो वह क्रोध रूपी भाव नहीं है।


Notes Written By Praneeta Jain.

Monday, January 22, 2024

Class Date: 17-1-24
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 38
Paragraph #: 2&3 
YouTube link: https://www.youtube.com/live/qYQhkRlrves?si=uAwAmFyGOc-7vPye
Summary:

रिक्त स्थान भरो-


(1)______धातु का भाव______, मतलब दो को मिलाकर एक करने रूप मिथ्या भाव है। 

Ans- ( मिथ् , युगल)

② प्राप्त पर्याय में______, ________, ______ तीनो का एकसाथ अनुभव आता है।

Ans- (ज्ञानादिक, रागादिक, वर्णादिक) 

3 क्रोधादिक हास्यादिक भाव_____है, मिटाने लायक है ।

Ans- (बीमारी)     

 4- _________ को ही अपना नही कह रहे फिर शरीर को अपना कैसे कहे।

Ans- (राग द्वेष)

(5) अपने से भिन्न चेतन अचेतन वस्तुओ मे -ये मेरे है, मेरे अनुसार चले ऐसी _______बुद्घि होती है।

Ans- (ममकार)

⑥ मिथ्यात्व के उदय मे _______और ________बुद्धि पाई जाती है।   

Ans- (एकत्व, ममत्व)

7) मिथ्यात्व के नष्ट होने पर_____ठीक हुआ है। बाहरी आचरण वैसा ही रहता ।

Ans- (मानना)

सही गलत बताए-


① ज्ञान कम ज्यादा होना मिथ्यात्व नहीं है। 

Ans- (√)

② हंसना, रोना, गुस्सा आना मिथ्यात्व के उदय से होता है।

Ans-  (X)

3) स्वभाव और परभाव का विवेक नही होना, मिथ्यात्व के उदय से होता है।

Ans- (सही)

④ क्रोधादिक Emotions बीमारी है।

Ans- (सही)

⑤ मिथ्यात्व के नष्ट होने पर गुस्सा नही आता है।

Ans-  (X)

(6)सम्यक दृष्टि फौज में भर्ती नहीं हो सकता है।

Ans- ( X)

(7) मिथ्यात्व कर्म के उदय में स्व पर का विवेक करने पर मिथ्यात्व कर्म छूट जाता है।

Ans- (सही)

(8) मां बाप का मिलना मिथ्यात्व का फल है ।

Ans-  (गलत)

(9) अपने से प्रत्यक्ष भिन्न पदार्थ अपने अनुसार परिणमित नही होते।

Ans- (सही)

⑩ अपने को अनादि निधन मानना भय पैदा होने का कारण है। 
Ans- (X)

प्रश्न उत्तर लिखिए-


 प्रश्न-एकत्व बुद्धि किसे कहते है ?

उत्तर - ज्ञानादिक, रागादिक ,वर्णादिक में एक जैसी अहम् बुद्धि करना एकत्व बुद्धि है। मिथ्यात्व के उदय के कारण है।

प्रश्न- ममत्व बुद्धि किसे कहते है?

उत्तर - अपने से प्रत्यक्ष भिन्न चेतन (कुटुम्बादि)अचेतन (धन, घट) पदार्थों में, ये मेरे हैं' और मेरे अनुसार चलें ऐसी बुद्धि को ममत्व बुद्धि कहते है।

Notes Written By Vandana Jain.

Class Date: 18-1-24
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 
Paragraph #:
YouTube link: https://www.youtube.com/live/5_Vk5KpirBk?si=6nC3DS5WgwZvam_d
Summary:



प्रश्न १ – मिथ्या शब्द की रचना कैसे हुई?

उत्तर – जीव और शरीर दोनो को मिला कर एक करना मिथुन कहलाता है, मिथुन शब्द से मिथ्या शब्द बना |

प्रश्न २ – ममत्व करना पूर्णतः गलत नहीं है । क्यों ?

उत्तर – जो अपना हो उससे ममत्व हानिकारक नहीं। अपना ना होने पर भी ममत्व भाव करना समस्यदायी है ।

प्रश्न ३ – अपना क्या है यह जानने के ४ नियम बताए ।

उत्तर – 
१ अपना केवल वह है, जो सदा काल से अपने साथ है ।
२ जो अपना है वह अपने से बाहर नहीं हो सकता ।
३ कोई किसी अन्य का नहीं हो सकता क्योंकि सभी केवल अपने ही हो सकते है ।
४ अन्य पदार्थ कभी उत्तर नही देते की वह आपके है । 

प्रश्न ४ – अन्य पदार्थ किसे माने ? 

उत्तर – जिनके अस्तित्व में आपके स्वामित्व का अभाव हो वे सदा अन्य पदार्थ कहलाते है ।

प्रश्न ५ – जहां अपनत्व होता है वही _____ और ______ होता है ।

उत्तर – कर्तत्व, भोगत्रत्व ।

प्रश्न ६ – स्वजनों में अपनत्व भाव न हुए बिना जीवन कैसे जिया जाए ?

उत्तर – सभी को केवल व्यवहार से अपना मानते हुए ।

प्रश्न ७ – चेतन और अचेतन वस्तु का एक – एक उदाहरण दीजिए ।

उत्तर – कुटुंब – चेतन वस्तु । धन – संपत्ति अचेतन वस्तु ।


Notes Written By Shraddha Jain.