Chapter: पहला अधिकार
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Paragraph #: 2(half) 3 & 4
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Summary:
वस्तुनिष्ठ प्रकार-
(1) 'विशेष कार्य सिद्धि होना' से पंडित जी का क्या तात्पर्य है?
A) आत्म तत्व की प्राप्ति होना।
(B) राग भावो में वृद्धि होगा।
C) संसार भला लगना
(D) पुण्य बंध ही भला है
उत्तर (D)
(2) जीव शास्त्र सुनते तो हैं किंतु अवधारण नहीं करते, तो कारणक्या है?
a) कुल प्रवृत्ति से सुनना
b) पद्धति बुद्धि से सुनना
c) सहज योग बनने पर सुनना
d) उपरोक्त सभी
उत्तर:- (d)
(3) पुण्य बंध व पाप बंध किनका अनुसरण करते हैं?
a) जीव की क्रियाओं का
b) जीव के परिणामों का
c) दोनों नहीं
उत्तर - (b)
(4) किन भावों/ परिणामों से शास्त्र सुनते समय भी पाप बंध ही होता है।
a) मदमत्सर भावों से सुनने से
b) महंतता के हेतु से
c) लोभादिक के प्रयोजन से
d) उपरोक्त सभी
उत्तर:- (d)
संक्षिप्त उत्तर प्रकार-
(1) जो कल्याण की भाषा से शास्त्र सुनते है प्रायः उनके परिणाम कैसे होते है?
उत्तर:- संभले हुऐ / शुभ भाव
(2) शास्त्र नहीं 'सुहाता' है का क्या अर्थ है?
उत्तर- सुनते समय आनंद न आऐ, प्रवचन काम का न लगे आदि।
(3) उचित शास्त्र किसे कहते हैं?
उत्तर - जो वीतरागता के पोषण करने वाले हो, जिसमें मोक्ष मार्ग कों प्रशस्त करने की बात हो।
(४) उचित वक्ता किसे कहते हैं?
उत्तर:- जो जैन धर्म का श्रद्धानी हो, तत्वाभ्यासी हो, प्रयोजन को जानने वाला हो व लोक निंद कामों का त्यागी हो।
(v) उचित श्रोता कैसा होता है?
उत्तर- आत्म कल्याण की भावना से सुनने वाला उचित श्रोता होता है।
(vi) डांस मच्छर व चलनी किस तरह के श्रोता के दृष्टांत है?
उत्तर- निकृष्ट (निम्न श्रेणी) के श्रोता के दृष्टांत है।
(vii) अच्छे श्रोता किस तरह के होते है?
उत्तर - मिट्टी जैसे होते है, जिनवाणी रूपी जल के सिंचन से कुछ समय के लिए भीग जाते हैं।
(viii) उत्तम श्रोता के दृष्टांत दीजिए ?
उत्तर - हंस के समान भेदज्ञानी और
गाय के समान - थोड़ा सुनकर बड़ा गुनने वाले।
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