Chapter: दूसरा अधिकार
Page#: 21 & 22
Paragraph #: pg no. 21(2&3) , pg no. 22(1)
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Summary:
रिक्त स्थान भरो -
Q.1. 'कर्म बन्धन से मुक्त होने का _ _ _ _करना है
Ans.साधन
Q.2.प्रतीति का अर्थ_____ होता है।
Ans विश्वास
Q 3. उदाहरण में मनुष्य को प्रथम _______का
निदान बताया है ।
Ans. रोग
Q.4. _______श्रद्धान के बिना कर्म नहीं कटेंगे।
Ans.आत्मा
Q.5 शास्त्र का सुनना जरूरी _____है के लिए।
Ans. विश्वास
Q.6 मिश्री का कड़वा पना_____से है
Ans. बाहरी कारण (औपाधिक भाव -)
Q.7.कर्म बन्धन होने से नाना ______भावों में _____ पाया जाता है
Ans = 1 औपाधिक भाव, परिभ्रमण
Q 8. अंजन चोर ______था
Ans.सप्तव्यसनी
प्रश्न उत्तर -
Q 1. रोगी का कर्तव्य क्या है ???
Ans. वैद्य द्वारा बताए गए उपाय का साधन करना रोगी का कर्तव्य है
Q.2. जैसे शरीर का स्वभाव स्वथ्य रहना है वैसे आत्मा का स्वभाव क्या है ??
Ans. आत्मा का स्वभाव शुद्ध रहने का, ज्ञाता द्रष्टा रहने का है ।
Q.3.कर्म बंधन से मुक्त होने का उपाय क्या है ??
Ans. प्रथम उपाय -- सिद्ध समान शुद्ध हूँ मैं, आत्म निरंजन हूँ ऐसा स्वीकार करना
दूसरा उपाय -- चरणानुयोग अनुसार प्रवर्तन करना , दीक्षा लेना।
तीसरा उपाय-- स्वाध्याय , चिंतन मनन , भेद ज्ञान , ध्यान करना।
Q.4. श्री गुरु ने दूसरे अधिकार में क्या बताया है ??
Ans.श्री गुरु ने संसार अवस्था का स्वरूप और कर्म बंधन के कारण को बताया है।
Q.5. औपाधिक भाव और स्वभाव भाव की परिभाषा ??
Ans. जीव में या पदार्थ में बाहरी कारणों के संयोग से होने वाली दशा को औपाधिक भाव कहा है ।
स्वभाव भाव-- जो पदार्थ में बिना किसी बाहरी कारण के जो अवस्था बने वह स्वभाव भाव है।
सही√ और गलत× बताइये-
Q.1.,भगवान महावीर पूर्व भव में सिंह की पर्याय में थे।
Ans- √
Q.2 भरत चक्रवर्ती षट्कर्मों का पालन कभी-कभी करते थे।
Ans- ×
Q.3.सप्तव्यसन मे लीन जीव उसी भव में मोक्ष जा सकता है ।
Ans- √
Q.4 भरत चक्रवर्ती के 96000 रानीया और 32000 पुत्र पुत्रियां थे।
Ans- √
Q.5. रोग की प्रतीति करने मात्र से रोग दूर हो जाता है
Ans- X
Q.6.शास्त्र के उपदेश को यर्थाथ पालन करना कर्म बन्धन से मुक्त होने का साधन है।
Ans-√
Q.7. संसारी अवस्था मे आत्मा अनादि काल से कर्म बंधन सहित है
Ans- √
Q.8.इस इस ग्रंथ में दूसरे अधिकार में संसार अवस्था का स्वरूप बताया गया है
Ans- √
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