Chapter: दूसरा अधिकार
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Paragraph #: 1
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Summary:
रिक्त स्थान भरो-
Q.1 _______धर्म ही_______ का सच्चा उपाय हैं।
Ans- ( *रत्नत्रय, मोक्ष प्राप्ति* )
Q.2 चार गतियों मे भ्रमण का मूल कारण_______ है।
Ans- (मिथ्याभाव)
Q.3 प्रत्येक जीव का परम हित________ से छूटने मे ही है।
Ans- ( *कर्म बन्धन)*
Q.4 कर्म का बन्धन आत्मा मे _________ के समान ही कहा गया है
Ans- [ *विजातीय तत्वो ]*
Q.5 भली/ हितकारी वस्तु की प्राप्ति का सच्चा उपाय करना ही जीव_____ का है।
Ans- [ *कर्तव्य ]*
✅और ❌ बताइये -
Q.1 मोक्षमार्ग प्रकाशक ग्रन्थ के दूसरे अधिकार में संसार अवस्था का स्वरूप बताया गया है।
Ans- ✅
Q.2 मिथ्यादर्शन मिथ्याज्ञान, मिथ्याचरित्र संसार से छूटने का उपाय है।
Ans- ❌
Q.3 मोह, राग, द्वेष के अभाव होने पर ही आत्मा का निज स्वाभाव प्रगट हो सकता है।
Ans- ✅
Q.4 मात्र सम्यग्दर्शन ही मोक्ष प्राप्ति का उपाय है।
Ans- ❌
Q.5 दु:खो का मूल कारण कर्म बंधन का अभाव हैं।
Ans- ❌
Q.6 दुख का मूल कारण अन्य जीवों द्वारा अपने प्रति किया गया अच्छा बुरा व्यवहार होता हैं
Ans- ❌
Q.7 मिथ्या भाव के अभाव से सम्यगदर्शन,सम्यज्ञान ,सम्यचारित्र रूप भाव प्रगट होता है।
Ans- ✅
Q.8 हमारा प्रयास सदैव दु:ख का नाश होकर सुख की प्राप्ति हो यही रहता है।
Ans- ✅
Q.9 जीव का परम हित कर्म बंध के अभाव रूप मोक्ष अवस्था में ही हैं।
Ans- ✅
Q.10 हम निरंतर संसार के दु:खो को दूर करने का सच्चा उपाय कर रहे हैं।
Ans- ❌
प्रश्न उत्तर -
Q.1 मिथ्या भावो के अभाव से क्या प्रगट होता हैं?
*उत्तर*- आत्मा का निज स्वाभाव
Q.2 वह कौनसे भाव है जो हमे संसार से मुक्त नहीं होने देते हैं?
*उत्तर*- मिथ्या दर्शन, मिथ्याज्ञान मिथ्याचारित्र रूपी भाव।
Q.3 हमारा परम कर्तव्य क्या है?
*उत्तर* - परम हितकारी मोक्ष अवस्था की प्राप्ति का प्रयास करना।
Q.4 पंडित जी ने रोगी और वैद्य की उपमा किनको दी है ?
*उत्तर* - *रोगी*- संसारी जीव
* *वैद्य* - ग्रंथकार/ प्रवचन कर्ता / उपदेशकर्ता
Q.5 निरंतर दु:ख दूर करने के उपाय करने के बाद भी जीव व्याकुल क्यों हो रहा है?
*उत्तर*- सच्चा उपाय करने का अभाव है। दुख के अभाव रूप मोक्ष का उपाय नहीं किया जा रहा हैं।
Q.6 उपदेश दाता को जीव का दु:ख दूर करने के लिए प्रथम कर्तव्य क्या होना चाहिए?
*उत्तर* - दुःख दूर होने के सच्चे उपाय का उपदेश देना।
Q.7 पंडित जी ने वैद्य का उदाहरण देते हुए रोग दूर करने का पहला उपाय क्या कहा है?
*उत्तर* - सर्वप्रथम रोगी को रोग का कारण बताया जाए कि उसे कौनसा रोग हुआ है और क्यों हुआ हैं।
Q.8 संसारी जीव हो क्या बताना अत्यन्त कठिन है?
*उत्तर* - कर्म बन्धन का रोग ।
Q.9 अनादि से जीव को किसका रोग हुआ है?
*उत्तर* - कर्म बन्ध का ,(मिथ्याभावो का )।
बहु वैकल्पिक प्रश्न -
Q.1 रोगी/ दु:खी जीव को दुःख का कारण पता चलनेके बाद बताया जाता हैं:
Ans-
*अ* ) रोग / दुःख के कारण से जो लक्षण दिखते हैं।
*ब* रोग/ दुःख का निश्चय करनाl
*स* दूर करने के उपाय और उपाय की प्रतीति।
*द* ये सभी
*उत्तर* - ( *द* )
Q.2 यह जीव कर्म बंधन रूपी रोग को ठीक करने की प्रवृत्ति करेगा:
Ans-
*अ* जब वह कर्म बंधन को स्वीकार करेगा।
*ब* जब उसको मिथ्या भाव होंगे।
*स* जब उसे सांसारिक सुख की प्राप्ति होगी।
*द* जब वह पंडित बनेगा ।
*उत्तर* - ( *अ* )
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