Chapter: दूसरा अधिकार
Page#: 35 & 36
Paragraph #: 4 , 5 , 6
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Summary:
रिक्त स्थान
1. दर्शन ......प्रकार के होते है
उत्तर- चार
2. मतिज्ञान से पहले पदार्थों का सामान्य प्रतिभास होना .....गुण है।
उत्तर - दर्शन
3. चक्षु इन्द्रिय द्वारा हुए मतिज्ञान के पहले जो दर्शन (प्रतिभास) हो उसे.... दर्शन कहते है।
उत्तर- चक्षु दर्शन
4. स्पर्शन रसना घ्राण कर्ण और मन के संबंध हुए, मतिज्ञान के पहले जो दर्शन हो उसे .......दर्शन कहते हैं।
उत्तर- अचक्षु दर्शन
5. ज्ञान और दर्शन के परिणमन को ..... कहते है।
उत्तर - उपयोग
6. ज्ञान और दर्शन की शक्ति को .....कहते है।
उत्तर - लब्धि
7. ज्ञान के माध्यम से कार्य करने को......कहते है
उत्तर - ज्ञानोपयोग
8. दर्शन के माध्यम से कार्य करने को ....... कहते है।
उत्तर - दर्शनोपयोग
सही / गलत -
1. दर्शनगुण, पदार्थों का सत्तामात्र अवलोकन करता है
Ans- (√)
2. चार इन्द्रिय और पंच इन्द्रिय जीवो के चक्षु दर्शन होता है
Ans- (√)
3. केवल दर्शन मोक्षस्वरूप है और केवली के होता है
Ans- (√)
4. केवल दर्शन स्वतन्त्र नहीं है
Ans- (x)
5. अवधिज्ञान होने के पूर्व अवधि दर्शन होता है
Ans- (√)
6.ज्ञान और दर्शन की शक्ति क्षयोपशम पर निर्भर नहीं करती है
Ans- (x)
7. एक जीव को एक समय में एक प्रकार का उपयोग होता है
Ans- (√)
प्रश्न/उत्तर
1. दर्शन का अर्थ क्या है?
उत्तर - सामान्य प्रतिभासना
2. उपयोग कितने प्रकार का होता हो?
उत्तर-उपयोग दो प्रकार का होता है।
1. ज्ञानोपयोग
2. दशनोपयोग
3. दर्शन कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर - दर्शन चार प्रकार का होता है।
1 चक्षु दर्शन
२. अचक्षु दर्शन
3. अवधि दर्शन
4. केवल दर्शन
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