Monday, January 1, 2024

Class Date: 27-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
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Summary:

सही विकल्प चुने



1. घाति कर्म की ध्रुव बंधी प्रकृतियाँ है

(A) 30 (B) 8 (C) 31 (D) 38

Ans- (D) 38

2. धातिया कर्म की अध्रुव बंध प्रकृतियाँ होती है।

(A) 5 (B) 2 (C) 3 (D) 7

Ans (C) 3

(3) 70कोड़ा कोड़ी स्थिति वाले कर्म की अबाधा होती है

(A) 70वर्ष ( B ) 7वर्ष (C) 700 वर्ष (D) 7000 वर्ष

Ans (D) 7000 वर्ष

(4) मोह के उदय से मिथ्यात्व क्रोधादिक भाव होते हैं, उन सबका नाम है।

(A) प्रमाद
(B) अविर्शत
(C) योग
(D) कषाय

Ans (D) कषाय

(5) जीव के पूजा, प्रक्षाल, धर्मादि क्रियाके समय बंध होता है 
(A) केवल पाप (B) पुण्य
(C) पाप पुण्य दोनो (D) निर्जरा

Ans (C) पाप पुण्य दोनो

 रिक्त स्थान भरे 


(1)योग के द्वारा________ का आगमन होता है। 

ans-कर्मों 

(2) मिथ्यात्व के रहने पर घातिया के 47 में से_________ कर्म हर समय बंधते हैं। 

ans- 41 

(3)योग को ________कहा गया है 

ans- आश्रव 

(4) 13 वे गुण स्थान में अरहन्त भगवान के__________ बंध होता है __________बंध नहीं होता ।

Ans- १प्रदेश २स्थिति अनुभाग 

(5)मोह _______और _______दो प्रकार का है।

Ans- १ दर्शन मोह २ चरित्र मोह 

प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दें 


[1]अबाधा किसे कहते हैं ?

उत्तर-कर्म बंध होने के पश्चात जितने समय तक वह कर्म उदय या उदीरणा रूप ना प्रवर्ते उसे अबाधा कहते हैं।

[2]जिन्हें कर्म बंध नहीं करना है वे क्या नहीं करें ?

उत्तर-जिन्हें कर्म बंध नहीं करना बे कषाय नहीं करें ।

[3]मिथ्यत्व से कितनी कर्म प्रकृतियां का बंध होता है ?

उत्तर--मिथ्यात्व से 16 कर्म प्रकृतियों का बंध होता है ।

[4]क्या मिथ्यात्व बंध में अकिंचितकर है क्यों है क्यों नहीं है ?

उत्तर-- नहीं मिथ्यात्व बंध में अकिंचितकर नहीं है ।मिथ्यात्व नो कर्म बंध का मूल है तत्वार्थ सूत्र में मिथ्यात्व अविरति प्रमाद कषाय को बंध का मूल कारण कहा है। कषाय से बंध में मिथ्यत्व से लेकर कषाय तक सभी कर्म बंध का कारण है।


Notes Written By Shraddha Jain.

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