Tuesday, January 23, 2024

Class Date: 20-1-24
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 38
Paragraph #: 4 
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Summary:

सही गलत लिखिये :-


1. दर्शन मोहनीय और चारित्र मोहनीय, मोहनीय कर्म के प्रकार है।

उत्तर- सही

2- चारित्र मोह से जीव को कषायिक भाव होते हैं।

उत्तर - सही

3- दशर्न मोह से साथ चारित्र मोह होता ही हैं।

उत्तर - सही

 सही विकल्प चुने:-


1. क्रोधादिक भाव या कषाय रूप हैं।

१ - चारित्र मोहनीय 
2- दर्शन मोहनिय 
3- दर्शनावरण

उत्तर - चारित्र मोहनीय

2- इष्ट-अनिष्ट पने का भाव किस कर्म के उदय से होता है। 

1- ज्ञानावरण
2- दर्शन मोहनीय 
3. दर्शनावरण

उत्तर - दर्शन मोहनीय

3. चारित्र मोह रूपी कषाय कितने प्रकार की हैं।

१- चार
2- सात
3- नौ

उत्तर चार

 एक शब्द में उत्तर लिखिए!-


1. किस कर्म के उदय से जीव को कषायिक भाव होते है?

उत्तर- चारित्र मोहनिय

2 - किस कर्म के उदय से वस्तुओ का यर्थाथ ज्ञान नहीं हो पाता?"

उत्तर- दर्शन मोहनीय

3 मोहनीय कर्म कितने प्रकार का होता है?

उत्तर- दो प्रकार के - दर्शन मोहनीय और चारित्र मोहनीय

 निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर दिजिए!


1-चारित्र मोह किसे कहते है?

 उत्तर - जब जीव परवस्तुओं को अच्छा-बुरा मानकर क्रोधादिक कषाय करता हैं उसे चारित्र मोह कहते हैं।

2. चारित्र माह से जीव की अवस्था क्या होती हैं?

उत्तर - चारित्र मोह के उदय में जीव को कषाय रूप परिणाम होते हैं, जिस से जीव दुखी होता है|

3- कषाय किसे कहते हैं?

उत्तर. जो आत्मा को कसे अर्थात दुख दे उसे कषाय कहते हैं।

4- चारित्र मोहनीय कषाय के प्रकार लिखे? -

उत्तर - चारित्र मोहनीय रूप कषाय चार प्रकार की होती है:-

1- अनंतानुबंधी

2- प्रत्याख्यान

3. अत्याख्यान

4. संजव्लन

5- दर्शन, ज्ञानावरण और दर्शन मोहनीय कर्म में अंतर बताओ। 

उत्तर - दर्शन, ज्ञानावरण किसी भी पदार्थ को जान पाने की क्षमता को तय करता है 
दर्शन मोहनीय से पदार्थ का यर्थाथ ज्ञान नहीं होता|
अथवा जीव को विपरीत श्रृद्धान करवाता है। 

6-क्या दर्शन मोहनीय और चारित्र मोहनीय साथ-साथ काम करता है?

उत्तर - चारित्र मोहनीय अकेले हो सकता है लेकिन दर्शन मोहनीय के साथ चारित्र मोहनीय होता ही हैं।

Notes Written By Samta jain.


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