Chapter: दूसरा अधिकार
Page#: 38
Paragraph #: 4
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Summary:
सही गलत लिखिये :-
1. दर्शन मोहनीय और चारित्र मोहनीय, मोहनीय कर्म के प्रकार है।
उत्तर- सही
2- चारित्र मोह से जीव को कषायिक भाव होते हैं।
उत्तर - सही
3- दशर्न मोह से साथ चारित्र मोह होता ही हैं।
उत्तर - सही
सही विकल्प चुने:-
1. क्रोधादिक भाव या कषाय रूप हैं।
१ - चारित्र मोहनीय
2- दर्शन मोहनिय
3- दर्शनावरण
उत्तर - चारित्र मोहनीय
2- इष्ट-अनिष्ट पने का भाव किस कर्म के उदय से होता है।
1- ज्ञानावरण
2- दर्शन मोहनीय
3. दर्शनावरण
उत्तर - दर्शन मोहनीय
3. चारित्र मोह रूपी कषाय कितने प्रकार की हैं।
१- चार
2- सात
3- नौ
उत्तर चार
एक शब्द में उत्तर लिखिए!-
1. किस कर्म के उदय से जीव को कषायिक भाव होते है?
उत्तर- चारित्र मोहनिय
2 - किस कर्म के उदय से वस्तुओ का यर्थाथ ज्ञान नहीं हो पाता?"
उत्तर- दर्शन मोहनीय
3 मोहनीय कर्म कितने प्रकार का होता है?
उत्तर- दो प्रकार के - दर्शन मोहनीय और चारित्र मोहनीय
निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर दिजिए!
1-चारित्र मोह किसे कहते है?
उत्तर - जब जीव परवस्तुओं को अच्छा-बुरा मानकर क्रोधादिक कषाय करता हैं उसे चारित्र मोह कहते हैं।
2. चारित्र माह से जीव की अवस्था क्या होती हैं?
उत्तर - चारित्र मोह के उदय में जीव को कषाय रूप परिणाम होते हैं, जिस से जीव दुखी होता है|
3- कषाय किसे कहते हैं?
उत्तर. जो आत्मा को कसे अर्थात दुख दे उसे कषाय कहते हैं।
4- चारित्र मोहनीय कषाय के प्रकार लिखे? -
उत्तर - चारित्र मोहनीय रूप कषाय चार प्रकार की होती है:-
1- अनंतानुबंधी
2- प्रत्याख्यान
3. अत्याख्यान
4. संजव्लन
5- दर्शन, ज्ञानावरण और दर्शन मोहनीय कर्म में अंतर बताओ।
उत्तर - दर्शन, ज्ञानावरण किसी भी पदार्थ को जान पाने की क्षमता को तय करता है
दर्शन मोहनीय से पदार्थ का यर्थाथ ज्ञान नहीं होता|
अथवा जीव को विपरीत श्रृद्धान करवाता है।
6-क्या दर्शन मोहनीय और चारित्र मोहनीय साथ-साथ काम करता है?
उत्तर - चारित्र मोहनीय अकेले हो सकता है लेकिन दर्शन मोहनीय के साथ चारित्र मोहनीय होता ही हैं।
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