Chapter: दूसरा अधिकार
Page#: 32
Paragraph #: 4
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Summary:
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①. कर्म के उदय से होने वाली जीव की अवस्था के द्वारा _______की सिद्धि होती है।
Ans- (कर्म बंधन)
② जीव का स्वभाव ________है।
Ans- (चैतन्य)
③ चैतन्य सामान्य के _____ ____दो भेद है।
Ans- (ज्ञान, दर्शन)
4)जीव सर्व पदार्थो के स्वरूप को______करने वाला है।
Ans- (प्रकाशित)
(5) वस्तु को विशेष रूप से जानना______है ।
Ans- (ज्ञान)
(6)प्रत्येक वस्तु मे ______नामक गुण होता है जिसके द्वारा वो जाना जा सकता ।
Ans- (प्रमेयत्व)
शब्द अर्थ बताओ-
1 )त्रिकाल वर्ती = भूत वर्तमान, अविष्य ३ माल संबंधी
2)सर्व पदार्थ =6 द्रव्य
3)सर्व गुण= विशेषताए
4) सर्व पर्याय =अवस्थाये
5) प्रत्यक्ष= स्पष्ट निर्मल,विशद
6) युगपत =एक साथ
7)किंचित =कुछ,थोडा
8)कथन्चित =किसी अपेक्षा से
9)कदाचित =कभी
सही गलत ---
① ज्ञान किसी भी पदार्थ को जानने में में न छोड़े ऐसी सामर्थ्य ज्ञान स्वभाव की है।
Ans- (सही)
2 )चैतन्य की पूर्ण ज्ञान की शक्ति हर जीव को प्रगट रहती है।
Ans- ( गलत )
(३) जीव मे चैतन्य की अभिव्यक्ति तो है पर पूर्णता नही है ।
Ans- ( सही)
(4) सभी संसारी जीवों को मति , श्रुत और अवधि ज्ञान पाया ही जाता है।
Asn- (गलत)
⑤ अचक्षु दर्शन सब संसारी जीवों को पाया जाता ।
Ans- (सही)
(6) ज्ञानावरण दर्शनावरण कर्म के कारण जीव की पूर्ण ज्ञान की शक्ति व्यक्त नही हो पा रही है।
Ans- (सही)
(7)वस्तु के सामान्य प्रतिभास को सम्यक दर्शन कहते है ।
Ans- (गलत)
प्रश्न उत्तर--
①- जीव के ज्ञान स्वभाव की शक्ति कितनी है ?
उत्तर- जीव ज्ञान स्वभाव द्वारा त्रिकालवर्ती , सर्व गुण पर्याय सहित, सर्व पदार्थो को प्रत्यक्ष ,युगपत, विना किसी भी , सहायता के देखे जाने ऐसी शक्ति आत्मा मे सदाकाल है।
2 प्रश्न - जीव मे पूर्ण ज्ञान शक्ति का स्वभाव होने पर भी प्रगट क्यो नही है?
उत्तर:- एक तो स्वभाव (शक्ति होती है)
उसकी अभिव्यक्ति (प्रगटता)
स्वभाव को प्रगट करने का उपाय करने पर ही शक्ति की अभिव्यक्ति होती है।
प्रश्न ③ जीव में ज्ञान की शक्ति है, इसका निर्णय हम कैसे कर सकते है?
उत्तर-हम पदार्थो को जान सकते है,इसका मतलब हममे ज्ञान है। भिन्न व्यक्तियों मे ज्ञान की शक्ति भिन्न-भिन्न होती है,तो ऐसा भी कोई जीव होना चाहिए जो पूर्ण जान सके
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