Monday, January 1, 2024

Class Date: 29-12-23
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 32
Paragraph #: 4 
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Summary:

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①. कर्म के उदय से होने वाली जीव की अवस्था के द्वारा _______की सिद्धि होती है।

Ans- (कर्म बंधन)

② जीव का स्वभाव ________है।

Ans- (चैतन्य)

③ चैतन्य सामान्य के _____ ____दो भेद है। 

Ans- (ज्ञान, दर्शन) 

4)जीव सर्व पदार्थो के स्वरूप को______करने वाला है।

Ans- (प्रकाशित)

(5) वस्तु को विशेष रूप से जानना______है ।

Ans- (ज्ञान)

(6)प्रत्येक वस्तु मे ______नामक गुण होता है जिसके द्वारा वो जाना जा सकता ।

Ans- (प्रमेयत्व)     
                            

  शब्द अर्थ बताओ- 

1 )त्रिकाल वर्ती = भूत वर्तमान, अविष्य ३ माल संबंधी

2)सर्व पदार्थ =6 द्रव्य 

3)सर्व गुण= विशेषताए 

4) सर्व पर्याय =अवस्थाये

5) प्रत्यक्ष= स्पष्ट निर्मल,विशद

6) युगपत =एक साथ

7)किंचित =कुछ,थोडा

8)कथन्चित =किसी अपेक्षा से

9)कदाचित =कभी       
                             

सही गलत --- 

① ज्ञान किसी भी पदार्थ को जानने में में न छोड़े ऐसी सामर्थ्य ज्ञान स्वभाव की है।

Ans- (सही)

2 )चैतन्य की पूर्ण ज्ञान की शक्ति हर जीव को प्रगट रहती है।

Ans- ( गलत ) 

(३) जीव मे चैतन्य की अभिव्यक्ति तो है पर पूर्णता नही है ।

Ans- ( सही)

(4) सभी संसारी जीवों को मति , श्रुत और अवधि ज्ञान पाया ही जाता है।

Asn- (गलत)
 
⑤ अचक्षु दर्शन सब संसारी जीवों को पाया जाता ।

Ans- (सही)

(6) ज्ञानावरण दर्शनावरण कर्म के कारण जीव की पूर्ण ज्ञान की शक्ति व्यक्त नही हो पा रही है।

Ans- (सही)

(7)वस्तु के सामान्य प्रतिभास को सम्यक दर्शन कहते है ।

Ans- (गलत)

प्रश्न उत्तर--

①- जीव के ज्ञान स्वभाव की शक्ति कितनी है ?

 उत्तर- जीव ज्ञान स्वभाव द्वारा त्रिकालवर्ती , सर्व गुण पर्याय सहित, सर्व पदार्थो को प्रत्यक्ष ,युगपत, विना किसी भी , सहायता के देखे जाने ऐसी शक्ति आत्मा मे सदाकाल है। 

2 प्रश्न - जीव मे पूर्ण ज्ञान शक्ति का स्वभाव होने पर भी प्रगट क्यो नही है?

उत्तर:- एक तो स्वभाव (शक्ति होती है)
उसकी अभिव्यक्ति (प्रगटता)
स्वभाव को प्रगट करने का उपाय करने पर ही शक्ति की अभिव्यक्ति होती है। 

 प्रश्न ③ जीव में ज्ञान की शक्ति है, इसका निर्णय हम कैसे कर सकते है?

 उत्तर-हम पदार्थो को जान सकते है,इसका मतलब हममे ज्ञान है। भिन्न व्यक्तियों मे ज्ञान की शक्ति भिन्न-भिन्न होती है,तो ऐसा भी कोई जीव होना चाहिए जो पूर्ण जान सके

Notes Written By Vandana Jain.








                               

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