Tuesday, January 23, 2024

Class Date: 22-1-24
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 38
Paragraph #: last
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Summary:


 *एक शब्द में उत्तर दें:-* 


1)प्रसिद्ध ज्ञानादिक गुणों का धारी है-

Ans- आत्मा

2) मिथ्यात्व कर्म के अभाव में होता है - 

Ans- सम्यकत्व

3) चरित्र मोहनीय कर्म के उदय से जीव के होने वाले भाव -

Ans-  कषायिक भाव

4)पदार्थो में इष्ट और अनिष्टपना मानकर बुरा चहना, ये होता है 

Ans-  -क्रोध का उदय होने पर
 

*नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर* :-


1) चरित्र मोहनी में किस रूप कर्म होंगे और किस रूप उनका भाव होगा?

 *उत्तर* - चरित्र मोहनी में जिस रूप कर्म का उदय होता है उस ही रूप जीव का भाव भी होगा।

 *जेसे* - क्रोध के उदय में जीव के भाव का क्रोध रूप परिणमन होने लगता है।

2) क्रोध का उदय होने पर जीव के भाव किस प्रकार के होंगे?

 *उत्तर* - क्रोध के उदय में अगर अचेतन पदारथ बुरे लगे तो उन्हें तोड़ने का भाव और सचेतन पदारथ बुरे लगे तो उन्हें बध-बंधन आदि से या मlरने से दुख उत्पन्न करके उनका बुरा चाहता है।

 *हाइलाइट* :- जब जीव विवेक पूर्वक किसी वास्तु का त्याग करके अपना उपयोग बदलता है तो वह क्रोध रूपी भाव नहीं है।


Notes Written By Praneeta Jain.

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