Tuesday, January 23, 2024

Class Date: 11-1-24
Chapter: दूसरा अधिकार 
Page#: 37
Paragraph #: 2 
YouTube link: https://www.youtube.com/live/jocUfJYSJ6Y?si=kPA2MT1bG6nVX7PI
Summary:

प्रश्न रिक्त स्थान भरो 


① रोग होना-------- का निमित्त है

उत्तर -असाता कर्म

② आंख कान मुंह जो मिले है वह --------के कारण मिले है।

उत्तर-नामकर्म

3 आँख कान नाक का निर्माण ठीक होना -------से होता है ।

उत्तर - निर्माण नामकर्म

4)----------नामकर्म उसके निमित्त से रोगता निरोगता की दशा बनती है।

उत्तर - स्थिर अस्थिर

5) असहाय केवल -------भगवान ही है

उत्तर- केवली.

6)  कर्म के क्षयोपशम का ही विशेष है कि वह------- के बिना नहीं जान पाता ।

उत्तर -वाह्य द्रव्य

 सही गलत बताइये 


① अवधी ज्ञान में एक बार में किसी एक विषय के बारे में जानना होता है। सारे विषयों का युगपत जाना नहीं होता है।

उत्तर -सही

② मन: पर्याय ज्ञान केवल दिगंबर मुनिराज को होता है मोक्ष मार्ग के अंतर्गत होता है!

उत्तर - सही

③ मनः पर्यय ज्ञानी एक बार में अनेक को एक साथ जान पाता है।

उत्तर -गलत

4)ज्ञानावरण कर्म और दर्शनावरण कर्म जीव के लिए हितकारी नहीं है

उत्तर -सही

⑤ कर्म भला है हितकारी है।

उत्तर - गलत

6)• मोहनीय कर्म के अन्तर्गत दर्शन -मोहनीय श्रद्धान का घात करता है।

उत्तर - सही

प्रश्न-उत्तर


प्रश्न 1)मन: पर्यय ज्ञान किसे कहते है?

उत्तर- दृव्य क्षेत्र काल भाव की मर्यादा सहित दूसरे मन में स्थित रूपी पदार्थों को जो बिना किसी की सहायता के सीधे आत्मा से स्पष्ट जानता है उसे मन: पर्यय ज्ञान कहते हैं ।

2) मोहनीय कर्म कितने प्रकार का होता है।

उत्तर - मोहनीय कर्म दो प्रकार का होता है

1) दर्शन मोहनीय ② चारित्र मोहनीय

प्रश्न 3)-दर्शन मोहनीय गुण कौन से गुण का घात करता है?

उत्तर - दर्शन मोहनीय श्रद्धान गुण (विश्वास) के घातने में कारण बनता है।

प्रश्न 4)-चरित्र मोहनीय के निमित्त से क्या होता है?

उत्तर)-चारित्र मोहनीय के निमित्त से कषाय भाव होते हैं ।क्रोध मान माया लोभ के भाव होते हैं।

Notes Written By Priyanka Godha.



No comments: