Chapter: दूसरा अधिकार
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Paragraph #: 2
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Summary:
प्रश्न रिक्त स्थान भरो
① रोग होना-------- का निमित्त है
उत्तर -असाता कर्म
② आंख कान मुंह जो मिले है वह --------के कारण मिले है।
उत्तर-नामकर्म
3 आँख कान नाक का निर्माण ठीक होना -------से होता है ।
उत्तर - निर्माण नामकर्म
4)----------नामकर्म उसके निमित्त से रोगता निरोगता की दशा बनती है।
उत्तर - स्थिर अस्थिर
5) असहाय केवल -------भगवान ही है
उत्तर- केवली.
6) कर्म के क्षयोपशम का ही विशेष है कि वह------- के बिना नहीं जान पाता ।
उत्तर -वाह्य द्रव्य
सही गलत बताइये
① अवधी ज्ञान में एक बार में किसी एक विषय के बारे में जानना होता है। सारे विषयों का युगपत जाना नहीं होता है।
उत्तर -सही
② मन: पर्याय ज्ञान केवल दिगंबर मुनिराज को होता है मोक्ष मार्ग के अंतर्गत होता है!
उत्तर - सही
③ मनः पर्यय ज्ञानी एक बार में अनेक को एक साथ जान पाता है।
उत्तर -गलत
4)ज्ञानावरण कर्म और दर्शनावरण कर्म जीव के लिए हितकारी नहीं है
उत्तर -सही
⑤ कर्म भला है हितकारी है।
उत्तर - गलत
6)• मोहनीय कर्म के अन्तर्गत दर्शन -मोहनीय श्रद्धान का घात करता है।
उत्तर - सही
प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1)मन: पर्यय ज्ञान किसे कहते है?
उत्तर- दृव्य क्षेत्र काल भाव की मर्यादा सहित दूसरे मन में स्थित रूपी पदार्थों को जो बिना किसी की सहायता के सीधे आत्मा से स्पष्ट जानता है उसे मन: पर्यय ज्ञान कहते हैं ।
2) मोहनीय कर्म कितने प्रकार का होता है।
उत्तर - मोहनीय कर्म दो प्रकार का होता है
1) दर्शन मोहनीय ② चारित्र मोहनीय
प्रश्न 3)-दर्शन मोहनीय गुण कौन से गुण का घात करता है?
उत्तर - दर्शन मोहनीय श्रद्धान गुण (विश्वास) के घातने में कारण बनता है।
प्रश्न 4)-चरित्र मोहनीय के निमित्त से क्या होता है?
उत्तर)-चारित्र मोहनीय के निमित्त से कषाय भाव होते हैं ।क्रोध मान माया लोभ के भाव होते हैं।
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