Chapter: दूसरा अधिकार
Page#: 38
Paragraph #: 1
YouTube link: https://www.youtube.com/live/kn-jHe9OPws?si=SPOilKoG9h0DtGMv
Summary:
प्रश्न / उत्तर
1) मोहनीय कर्म के कितने भेद होते हैं ?
Ans:- मोहनीय कर्म 2 प्रकार का होता है:-
(ⅰ) दर्शन मोहनीय - पुन: 3 भेद हैं।
(!ⅰ) चारित्र मोहनीय - पुन: 25 भेद हैं।
2) Pg-38 के Paragraph 1 के अनुसार पंडित जी का 'प्रसिद्ध' शब्द से क्या आशय है ?
Ans:- ' प्रसिद्ध' शब्द का अर्थ 'निरंतर अनुभव में आने वाले गुणों' से है।
3) 'आप' शब्द का भाव क्या है?
Ans:- आप का अर्थ 'स्वयं' से है।
4) 'पर' शब्द का क्या भाव है?
Ans:- स्वयं के अलावा सभी अन्य प्रदार्थ 'पर' हैं।
True/False
1) श्रद्धान और चारित्र की विपरीतता ही मिथ्यात्व कहलाती है।
Ans- false
2) वस्तु स्वरुप को जानना और मानना एक ही बात है।
Ans- false
3) जैसा है वैसा ही मानना मोह है।
Ans- false
objective Type -
1) मिथ्यात्व परिणाम का फल है:-
# तत्व अश्रद्धान
# अतत्व श्रद्धान
# दोनो सही✅
# दोनों गलत
2) 'आप' (जीव) के संबंध में इनमें से कौन सा तथ्य सही नहीं है।
#अमूर्तिक प्रदेशों का पुंज
# वर्णादिक वाला ✅
# प्रसिद्ध ज्ञानादिक गुणों का धारी
# अनादि निधन
3) पर (पुद्गल) के संबंध में इनमें से कौन सा तथ्य सही नहीं है?
# सुख गुण वाला ✅
# मूर्तिक पुद्गलों का पिंड
# ज्ञानादिक गुणों से रहित
# नवीन संयोग से प्राप्त
Match the following.
a) तत्व अश्रद्धान 1) मैं अमूर्तिक हूं। (b)
b) तत्व श्रद्धान 2) मैं ज्ञान रहित हूं (a)
c) अतत्व श्रद्धान 3) मैं मनुष्य ही हूं (c)
No comments:
Post a Comment