Saturday, October 14, 2023

Class Date: 11-10-23
Chapter: पहला अधिकार
Page#: 8
Paragraph #: 4 & 5
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Summary: 

खाली स्थान भरो -

1)पूर्वोपर्जित पुण्य बंध के कारण___ किए बिना ही____दिखाई देता है।

                  (मंगल,सुख)     

 2)वर्तमान में पाप का उदय दिखाई देने पर भी जीव___
परिणामी हो सकता है। [ विशुद्ध ] 

3. पाप का उदय दिखने पर भी मंगल_____का ही कारण होता है।
[ सुख ] 

 हाँ या नहीं मे उत्तर दो -


1 )जीव के विशुद्ध परिणाम एक और अनेक जाति के हो सकते है। [ ] 
 उत्तर- नहीं 

2) जीव के संक्लेश परिणाम कषाय की मंदता से सम्बन्धित होते हैं। [ ] 
 उत्तर  -  नही 

3.) अनेक कालों में पहले बंधे हुए कर्म एक काल में कभी
उदय में नहीं आ सकते।( )
           उत्तर  -  नही 


4) किसी भी कार्य की सिद्धि पूर्व में किये गये पुण्य व पाप कर्मों के बन्ध पर निर्भर हैं। []   
उत्तर। -हां 

5) मंगलाचरण नहीं करने पर भी कार्य की निर्विघ्न समाप्ति हो सकती है। [ ] 
उत्तर - हॉ

एक शब्द मे उत्तर दो -


1 ) अनेक कालो में पहले बँधे हुए कर्म कब उदय में आते है ?
 उत्तर - एक काल मे

2 )पूर्व में किये पाप बंध के कारण वर्तमान में अत्याधिक पुरुषार्थ करने के बाद भी क्या दिखाई पड़ता है?

 उत्तर - ऋण / धन हीनता की स्थिति ।

बहुविकल्पीय प्रश्न -


1. किसी मंगल कार्य करने से पूर्व मंगलाचरण न क पर भी सुख की प्राप्ति हो जाती है-

अ] हमेशा

[व] कभी नहीं

स] पूर्व पुण्य बन्ध के कारण 

 [द] पूर्व पाप बन्ध के कारण

  उत्तर - (स) 

2 संक्लेश परिणामो की जाति के प्रकार है-

(अ) एक

ब) दो

(स) अनेक

द) से सभी

 उत्तर : [ स ]

(3) विशुद्ध परिणामो से होता है। 

(अ) पुण्य बंध

 (ब) पाप  बंध

(स) कषाय की तीव्रता
 
(द) ये सभी          

 उत्तर - (अ) 

टिप्पणी  लिखो -


(१)  मंगल सुख का कारण हैं
 मंगल की कामना सहित कार्य करने से 
▶️ परिणामों में विशुद्धि बढ़ती है, 
➡️पाप कर्मों के संक्रमणादि में निमित्त होते हैं,

 ▶️ इष्ट के स्मरण से सकारात्मकता में वृद्धि तथा
 ▶️ लौकिक व पारलौकिक सुखो की अवश्य ही प्राप्ति होती है।

Notes Written By Pratima Jain.

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