Chapter: पहला अधिकार
Page#: 8
Paragraph #: 4 & 5
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Summary:
खाली स्थान भरो -
1)पूर्वोपर्जित पुण्य बंध के कारण___ किए बिना ही____दिखाई देता है।
(मंगल,सुख)
2)वर्तमान में पाप का उदय दिखाई देने पर भी जीव___
परिणामी हो सकता है। [ विशुद्ध ]
3. पाप का उदय दिखने पर भी मंगल_____का ही कारण होता है।
[ सुख ]
हाँ या नहीं मे उत्तर दो -
1 )जीव के विशुद्ध परिणाम एक और अनेक जाति के हो सकते है। [ ]
उत्तर- नहीं
2) जीव के संक्लेश परिणाम कषाय की मंदता से सम्बन्धित होते हैं। [ ]
उत्तर - नही
3.) अनेक कालों में पहले बंधे हुए कर्म एक काल में कभी
उदय में नहीं आ सकते।( )
उत्तर - नही
4) किसी भी कार्य की सिद्धि पूर्व में किये गये पुण्य व पाप कर्मों के बन्ध पर निर्भर हैं। []
उत्तर। -हां
5) मंगलाचरण नहीं करने पर भी कार्य की निर्विघ्न समाप्ति हो सकती है। [ ]
उत्तर - हॉ
एक शब्द मे उत्तर दो -
1 ) अनेक कालो में पहले बँधे हुए कर्म कब उदय में आते है ?
उत्तर - एक काल मे
2 )पूर्व में किये पाप बंध के कारण वर्तमान में अत्याधिक पुरुषार्थ करने के बाद भी क्या दिखाई पड़ता है?
उत्तर - ऋण / धन हीनता की स्थिति ।
बहुविकल्पीय प्रश्न -
1. किसी मंगल कार्य करने से पूर्व मंगलाचरण न क पर भी सुख की प्राप्ति हो जाती है-
अ] हमेशा
[व] कभी नहीं
स] पूर्व पुण्य बन्ध के कारण
[द] पूर्व पाप बन्ध के कारण
उत्तर - (स)
2 संक्लेश परिणामो की जाति के प्रकार है-
(अ) एक
ब) दो
(स) अनेक
द) से सभी
उत्तर : [ स ]
(3) विशुद्ध परिणामो से होता है।
(अ) पुण्य बंध
(ब) पाप बंध
(स) कषाय की तीव्रता
(द) ये सभी
उत्तर - (अ)
टिप्पणी लिखो -
(१) मंगल सुख का कारण हैं
मंगल की कामना सहित कार्य करने से
▶️ परिणामों में विशुद्धि बढ़ती है,
➡️पाप कर्मों के संक्रमणादि में निमित्त होते हैं,
▶️ इष्ट के स्मरण से सकारात्मकता में वृद्धि तथा
▶️ लौकिक व पारलौकिक सुखो की अवश्य ही प्राप्ति होती है।
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