कषाय [क्रोध, मान, माया, लोभ] धर्म के क्षेत्र में भी पायी जाती है ।
कुछ उदाहरण -
क्रोध - धार्मिक विवादॊं में उलझना, मानवश क्रोध ।
मान - मंदिर में सभी मुझे धार्मिक जानें इस कारण से पूजा / ध्यान / स्वाध्याय / दान आदि करना ।
माया - पूजा / स्वाध्याय में दूसरों को दिखाने के लिये उत्साह दिखाना।
लोभ - धार्मिक क्रीया के पीछे सांसारिक लोभ ।
अंतराय कर्म - जिस कर्म के निमित्त से जीव जैसा चाहे वैसा ना हो । अंतराय कर्म ईच्छित वस्तु की प्राप्ति में विघ्न डालता है ।
भेद - १) दान-अंतराय २) लाभ-अंतराय ३) भोग-अंतराय ४) उपभोग-अंतराय ५) वीर्य-अंतराय
वीर्यांतराय कर्म के उदय वश जीव की ज्ञान-दर्शन आदि अनंत शक्तियां पूर्णत: प्रकट नहीं हो पातीं।
अंतराय कर्म का क्षयोपशम या क्षय होता है ।
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1 comment:
bahut badiya!
One should think about our kashay related to dharm kshetra as they due major harm than lokik kashay.
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