Thursday, March 27, 2008

Notes for class held on March 26, 2008

उपाध्याय का स्वरूप पढ़ा जो श्रुत का अभ्यास करते है और कराते है .

श्रुत ज्ञान के भेद:

अंगप्रविष्ट - This refers to the agam granths whose knowledge was orally passed on from Gandhara bhagwaan to their disciples. (Not sure if these were written down at any point of time).

अंगबाह्य - This refers to the scriptures that were created by Acharyas/Upadhyays based on the knowledge gained from अंगप्रविष्ट agams.



अंगप्रविष्ट के भेद
अंगDescription
आचारंगDescribes conduct of Muni
सूत्रकृत - सुत्रांगContains information about सम्पूर्ण वस्तु (need clarificaton from Vikas what exactly this covers - is it Dravya and Tatva?) in the form of Sutras.
स्थानांग

Contains information about the स्थान of 6 dravyas. For example, a jeev dravya can be described in different ways as:

2nd sthaan: Sansari and Mukt Jeev/Tras and Sthavar Jeev

3rd sthaan: (not sure - Vikas, please clarify)

4th sthaan: Manushya, Narki, Dev, Tiryanch

समवायांग

Describes similarity between different entities for each dravya. Example:

similarity between sansari jeev, similarity between Siddha Bhagwaan.

प्रश्नव्याकरणContains answers to the 60000 questions asked by Gandhar Bhagwaan.
ज्ञातृधर्मकथा - नाथधर्मकथाContains information about the swaroop of Jeev, Padarth (pudgal?), etc.
उपासकाध्यायनांगUpasak means a Shravak. It contains information about the conduct of a Shravak, 11 Pratima, kriyas that a Shravak should do such as Pooja, Daan, etc.
अन्तःकृतदशांग अंगDuring the time of each Tirthankar, there are 4 types of Upsaarg (dev krut, manushya krut, prakruti krut and tiryanch krut) on 10 Kevalis in their muni avastha. This अंग gives an account of them in the form of stories.
अनुत्तरौपादिकदशांग अंगThis is similar to अन्तःकृतदशांग अंग except that the 10 munis do not attain keval gyan, but instead take birth in Annutar Viman.
व्याख्याप्रज्ञप्तिContains information about birth/death, happiness/sorrow, etc in each आरा of the time cycle.
विपाकसूत्र Gives an account of the fructification of karmas (कर्म उदय, फल, अनुभाग आदि का कथन)
द्रष्टिवादThis has 5 subcategories: परिक्रम, सूत्र, प्रथमानुयोग, पूर्वगत, चुलिका

द्रष्टिवाद के भेद
भेदDescription
परिकर्मइसके 5 भेद नीचे मुजब जानना
सूत्रमिथ्यादर्शन के भेद का वर्णन
प्रथमानुयोगपुराण पुरुषो का जीवन वर्णन
पूर्वगतइसके 14 भेद नीचे मुजब जानना
चुलिकामंत्र तंत्र का वर्णन; इसके 5 भेद नीचे मुजब जानना



परिकर्म के भेद
भेदDescription
चंद्रप्रज्ञप्तिचंद्र की गति, रहने वाले जीव, दिशा, विमान, देव ऋद्धि आदि का वर्णन
सूर्यप्रज्ञप्तिसूर्य की गति, रहने वाले जीव, दिशा, विमान, देव ऋद्धि आदि का वर्णन
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिजम्बुद्वीप का वर्णन
द्वीपसागरप्रज्ञप्तिद्वीप समुद्र का वर्णन
व्याख्याप्रज्ञप्ति(Vikas will clarify this)



पूर्व के भेद
पूर्वDescription (homework)
उत्पाद-पूर्व
आग्रायणीय
वीर्यानुवाद
अस्ति-नास्ति प्रवाद
ज्ञान-प्रवाद
सत्य-प्रवाद
आत्म-प्रवाद
कर्म-प्रवाद
प्रत्याख्यान-पूर्व
विद्यानुवाद
कल्याणवाद
प्राणानुवाद
क्रियाविशाल
त्रिलोक-बिन्दु सार


चुलिका के भेद
चुलिकाDescription
जलगता जल मे चला जाय ऐसे मंत्र, तंत्र का वर्णन
स्थलगताज़मीन पे चला जाय ऐसे मंत्र, तंत्र का वर्णन
मायागतामायाजाल की विक्रिया करी जा शके ऐसे मंत्र, तंत्र का वर्णन
रूपगतारूप बदला जा शके ऐसे मंत्र, तंत्र का वर्णन
आकाशगताआकाश मे गमन किया जा शके ऐसे मंत्र, तंत्र का वर्णन


साधू का स्वरूप

  • मुनिपद को धारण किए हुए होते है
  • आत्मास्वाभाव को साधते है
  • उपयोग चंचल न बने और पर द्रव्य की इष्ट अनिष्ट बुद्धि मे न लगे इसके लिए पुरुषार्थ करते है
  • शुभ क्रिया मे प्रवर्तते है जैसे तप, भक्ति, वंदना आदि

साधू की साधना तो आत्महित के लिए ही होती है, जबकि आचार्य और उपाध्याय आत्महित की इलावा धर्मं उपदेश आदि द्वारा परोपकार के कार्य भी करते है

साधू के २८ मूलगुण

  • ५ महाव्रत (सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, अस्तेय - अचौर्य)
  • ५ समिति (इर्या, भाषा, एषणा, आदान निक्षेपण, प्रतिस्थापना)
  • ५ इन्द्रियजय (स्पर्श, रस, गंध, चक्षु, कर्ण) - ५ इंदिर्य के विषियो मे राग द्वेष नही करते है
  • ६ आवश्यक - सामायिक, वंदन, स्तुति, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान, कायोत्सर्ग
  • ७ शेष मूलगुण - नग्नता (अचेलकत्व), अस्नान, अदंतधोवन, केशलोच, एक बार आहार, खड़े खड़े आहार का ग्रहण, भूमि शयन

-Kunal Shah

6 comments:

Vikas said...

I must say this - awesome and lot of work :)
Few comments:
definitions of अंगप्रविष्ट and अंगबाह्य are not correct. I will explain in class and then you can correct it.

Some spellings need to be corrected:
परिक्रम => परिकर्म
प्रग्यप्ति => प्रज्ञप्ति
ग्यात्रधर्मकथा => ज्ञातृधर्मकथा
रिद्धि => ऋद्धि
एशणा => एषणा
इर्य => इर्या

What does 'मुजब' mean :)?

Kunal said...

I have corrected the spelling mistakes. 'मुजब' roughly means "इस प्रकार से". I ddn't realize it was a Gujarati-only word :)

Sunaina said...

its really good :)

Anonymous said...

Thanks for covering all the details and for putting/representing it nicely.

Swarupa said...

Very good:)
I think "Kayotsarg" should not be there in 6 Avashyak.

Swarupa said...
This comment has been removed by the author.