- गोम्मटसार जीवकाण्ड
- गोम्मटसार कर्मकाण्ड
- लब्धिसार
- क्षपणासार
- त्रिलोकसार
- आत्मानुशासन
- पुरुषार्थसिद्धिउपाय
- मूल ग्रंथ मोक्षमार्ग प्रकाशक।
* क्रोधादी कषायो की टू मंदता होती है ।
*पचेंद्रिय के विषयों मै होने वाली प्रवृत्ति रुकती है।
*अति चंचल मन भी एकाग्र होता है।
*हिन्सादी पाँच पाप नही होते है।
*अल्प ज्ञान होने पर भी त्रिलोक के तीन काल सम्बन्धी चार - अचर पदार्थों का ज्ञान होता है।
*हेय उपादेय पदार्थों की पहचान होती है।
*ज्ञान आत्मसन्मुख होता है।
*अधिक अधिक ज्ञान होने पर आनंद की प्राप्ति होती है।
*लोक मी महिमा \ यश विशेष होता है।
*सातिशय पुण्य का बाँध होता है।
इतने गुण तो स्वाध्याय करने से तत्काल ही प्रगट होते है, इसलिए स्वाध्याय अवश्य करना।
३ . मोक्ष् मार्ग प्रकाशक में कुल नौ आधिकार हैं ।
४ . मंगल = मम् + गल अर्थात जो पापों को गलावे, एवं मंग + ला अर्थात सुख लावे ।
५ . वीतराग = सम्यक दर्शन व सम्यक चारित्र ।
६ .विज्ञान = सम्यक ज्ञान
७ .मंगलाचरण का अर्थ :
"जो मंगलमय है , मंगलकारी है जिसके द्वारा अरिहंतादी महान हुए हें ऐसे वीतराग विज्ञान अर्थात सम्यक दर्शन ,
सम्यक ज्ञान , सम्यक चरित्र को नमस्कार हो
Posted by Sarika
3 comments:
We also studied स्वाध्याय से होने वाले लाभ. can you please update that? Thansks
Yes yes :)..I want to know "Swadhyay ke Labh" too.
Avani just told me the advantages of doing swadhyay are there in "Gunsthaan Vivechan". So, I was thinking if we should also mention the source of information that's coming from any scripture other than Mokshamarga Prakashak. This will be helpful for anyone who wishes to get more information on the topic.
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