Chapter: दूसरा अधिकार
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Summary:
सही/गलत लिखिए -
Q.1) कर्म से अनादिसम्बन्ध होने के कारण जीव के प्रदेश कर्म रूप हो जाते है।
Ans- गलत
Q.2 अवधिज्ञान मूर्तिक द्रव्य को जानते हुए संसारी जीव को भी जानता है।
Ans- सही
Q.3 कर्म बंधन अपेक्षा से अरिहंत भगवान का जीव भी मूर्तिक है।
Ams- सही
Q.4 मिथ्यादृष्टि जीव सर्वथा मूर्तिक है।
Ans- गलत
रिक्त स्थान भरे -
Q.1 जीव और पुद्गल का ____ सम्बन्ध है।
Ans- अनादि
Q. 2 जैसे जीव रूपादि द्रव्यों को जानता है, उसी प्रकार उनसे ___ है।
Ans - बंधता
Q.3 ___ पुद्गल और ___ पुद्गल का बंध भी होता है।
Ans - सूक्ष्म , स्थूल
Q.4 मैं और मेरा शरीर ____ अवगाही है।
Ans- एक क्षेत्र
अर्थ लिखे -
Q.1 सगसब्भावं ण विजहन्ति।
Ans- कोई भी पदार्थ अपने स्वाभाव को नहीं छोड़ता है।
Q.2 स्निग्धरूक्षत्वाद् बन्धः।
Ans - स्निग्ध रुक्षता से बंध होता है।
Q.3 मुत्तो फासदी मुत्तं मुत्तो मुत्तेण बंधमणुहवदि ।
Ans - मूर्त का मूर्त से स्पर्श होता है, मूर्त का मूर्त के साथ बंध होता है।
Q.4 जीवो मुत्तिविरहिदो गाहदी ते तेहिं उग्गहदि।
Ans - अमूर्तिक जीव मूर्तिक को अवगाहन देता है और उनके द्वारा अवगाहित होता है।
Q.5 रूपिष्ववधेः
Ans - अवधिज्ञान का विषय सिर्फ रूपी मूर्तिक पदार्थ है।
उत्तर लिखिए -
Q.1 अवधिज्ञान की परिभाषा लिखे।
Ans - द्रव्य क्षेत्र काल भाव की मर्यादा सहित रूपी पदार्थो को बिना इन्द्रिय की सहायता के सीधे आत्मा से जानता है।
Q.2 अवधिज्ञान से संसारी जीव को कैसे जाना जाता है?
Ans - संसारी जीव अपनी सांसारिक अवस्था के कारन कथंचित मूर्त होता है।
Q.3 सूक्ष्मत्व गुण किस गुणस्थान मैं प्रगट होता है?
Ans - सिद्ध दशा