वेदनीय कर्म का Revision
आयु कर्म के उदय से होनेवाला दुःख: और उससे निवृत्ति जन्म, जीवन, मरण तीनो चीज आयु कर्म के निमित्त से होती है
- जन्म : आयु कर्म से पर्याय का मिलना
- जीवन : आयु कर्म का चालू रहेना
- मरण : आयु कर्म का एक पर्याय से छूटकर दुसरे में लगना
अवस्था
मिथ्याद्रष्टि जिव आयु कर्म की पर्याय को अपना अस्तित्व मानते है, मरण से खुद के अस्तित्व का अभाव होना मानते है. उस की वजह से मरण का हमेशा भय रहेता है. खुद के नाश होने की आकुलता बनी रहेती है, मरण का भय सदाकाल चलता रहेता है पर उसकी अभिव्यक्ति नहीं होती, मगर उपयोग लगाने से मरण का भय हमेशा लगता है. इन सब चीज की वजह से दुःख रहेता है
यह दुःख मिथ्यात्व की वजह से होता है, शरीर के प्रति मोह, मिथ्यात्व रूप मान्यता की वजह से जिव दुखी होता है
मिथ्या उपाय
- दुःख से बचने के लिए मिथ्या उपाय करते हे.
- मरण के कारणों से दूर रहेते है.
- औषधादी ग्रहण करते है
- अपनी आजू - बाजु किल्ला, कोट बनाते है ऐसे अनेक उपाय करते है, परन्तु ये उपाय खोते है
आयु पूर्ण होने पर कोई बचा नहीं शकता. कोई किसी को शरण दे नहीं शकता. अपने आयु कर्म के आधार से जिव जीवन जीता है. जल्दी आयु पूर्ण करना चाहते हो तो भी नहीं हो शकती.
सच्चा उपाय
सम्यग दर्शानादी से पर्याय में अहं बुद्धि छुट जाती है. स्वयं अनादिनिधन चैतन्य द्रव्य है, यह शरीर तो नाशवंत है. यह बात समज में आती है. सम्यग दर्शानादी से चैतन्य स्वरुप में अहं बुद्धि आती है, और पर्याय को temparory अवस्था मानते है, सम्यग दर्शानादी से सिद्ध पद प्राप्त होता है और मरण का भय नहीं रहेता.
इसलिए सम्यग दर्शानादी सच्चा उपाय है संक्लेश परिणाम से आयु की उदिरणा होने से कम समय में उदय में आके आयु कम हो जाती है, इसलिए संक्लेश परिणाम से दूर रहेना चाहिए.
पर्याय कैसी है?
पर्याय अनित्य, अशरण, स्वांग सामान है.(स्वांग - दुसरे का रूप धारण करके Acting करना )
Note
- आयुकर्म का उदय हमेशा होता है,सिर्फ पर्याय नाश होती है. मरण के दुसरे समय में दूसरी आयु (पर्याय) शुरू हो जाती है. विग्रह गति में भी आयु का उदय होता है.
- अरिहंत भगवान मृत्यु के बाद नया जन्म नहीं लेते, अवस्था बदल जाती है. जन्म लेने के लिए शरीर का होना जरुरी है और सिद्ध भगवान अशरीरी है.
1 comment:
Thanks for posting.
One suggestion:
मरण : आयु कर्म का एक पर्याय से छूटकर दुसरे में लगना
Can be said - मरण : आयु कर्म का क्षय होना.
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