Thursday, August 21, 2008

व्य्व्हार-निश्चय का उपदेश - २७९ पेज से २८० तक

२ प्रकार के उपदेश - २७९ पेज से २८० तक


२ प्रकार के उपदेश - २७९ पेज से २८० तक

अरिहन्त भगवान ने जीवो का उपकार करने के लिये २ प्रकार के उपदेश दिये है
१-व्यवहार क्रिया - व्यवहार क्रिया का उपदेश पाप क्रिया को त्याग कर पुन्य क्रिया को करने को कहा और फिर क्रिया के अनुसार जब परिणाम तीव्र कषाय से मन्द कषाय रूप हो जाते है तब अणुव्रत ओर महाव्रत पालन करने का उपदेश दिया. एकदेश ओर सर्वदेश पाप क्रिया कम होती है ओर परिणाम शुभ व शान्त और राग भी मन्द होते जाते है. एकदेश - सर्वदेश वीतरागता होने पर, श्रावक दशा - मुनिदशा अंगीकार करते है.
कषाय भाव जितने कम हो उतना ही अच्छा - जिस प्रकार जिसने रात्रि भोजन का ही त्याग नही किया उसे रात्रि मे पानी का त्याग उचित नही है पह्लले रात्रि भोजन का ही त्याग हो फिर रात्रि मे पानी का त्याग उचित है.
इस प्रकार का बाह्य क्रिया का उपदेश परम्परा वीतराग्ता का पोषण करता है
व्यवहार सम्यक दर्शन का अर्थ - दया को धर्म मानना, जिनमत पर श्रद्धा, तत्वज्ञान की श्रद्धा, शन्का दोष से मुक्ति होना, शास्त्रो का अभ्यास, व्रतो के पालन का उपदेश देते है
२-निश्चय क्रिया- र्निश्चय सहित व्यवहार मे परिणमो की प्रधानता होती है तत्व ज्ञान के जानने/अभ्यास के कारन परिणाम शुध हो जाते है शन्का आदि से विमुखता होती है ओर फिर बाह्य क्रिया अपने आप सुधर जाती है. परिणाम सुधर् जाना पर बाह्य क्रिया पर अपने आप ध्यान जाता है ओर सुधार हो जाता है
ज्ञान के ३ दोष:
1. सन्शय - तत्व में शन्का (है या नही) रस्सी है या साप है, आत्मा है या नही, कर्म, भेद विज्ञान सत्य है या नही
2. विपर्यय - विपरीत तत्व ज्ञान होना, श्रद्धा तो हो पर ज्ञान सहि ही ना हो
3. अनध्यवसाय - क्या है क्या नही कुछ पता नही. आत्मा,७ तत्त्व, जीव , अजीव जानने से किया फ़ायदा है, अपने को किया करना?
निश्चय सम्यक दर्शन का अर्थ - ७ तत्वो का सच्चा श्रद्धान होना निश्चय सम्यक दर्शन है जब सच्चे देव पर श्रद्धान हो जाता है तब क्रिया अपने आप ही होती जाती है व्यवहार क्रिया को उपचार कहा है मन्द राग का अभाव होने पर शुध उपयोग बनता जाता है
जैसी वक्ता की स्थीती होती है वैसा ही उपदेश दिया है जो सिर्फ़ व्यवहार ही करता है उसे तत्व अभ्यास का उपदेश दिया ओर जो सिर्फ़ तत्व अभ्यास ही करता है उसे व्रत पालन ओर नियम पालन का उपदेश दिया जोकी अंतत: मोक्ष मार्ग मे ही ले कर जाता है

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