Chapter: दूसरा अधिकार
Page#: 36 & 37
Paragraph #: 2 (pg no. 36) , 1 (pg no. 37)
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Summary:
रिक्त स्थान भरो
1. जिन जिन का _____होता है उनका_____भी होता है इस प्रकार एक जीव को एक कल में एक बार जानना अथवा दर्शन का परिणमन होता है।
Ans- ज्ञान , दर्शन
2. उपयोग के परिणमन में______ होती है।
Ans- शीघ्रता
3. हर वस्तु का प्रत्यक समय मे____ होता है उनका भी ज्ञान होता है।
Ans- परिणमन
4. वर्तमान का ज्ञान _____जानता हे परंतु परिणमन बहुत ____ होता है।
Ans- थोड़ा-थोड़ा, जल्दी-जल्दी
5. इस जीव के देखने के द्वार तो_____ हैं, परंतु उपयोग____ हे । वह एक ज्ञान सब जगह घूमता हे।
Ans- अनेक , एक
6. जीव का ______ नहीं घूमता हे ,______घूमता है।
Ans- आत्मा , उपयोग
जीव की शक्ति के प्रकार=
१_ प्रकट शक्ति
२_ आप्रकट शक्ति
# = १_पूर्ण शक्ति
२_ प्रकट शक्ति
३_ शक्ति का प्रयोग
डिटेल=
१ _प्रकट पर्याय में कितना काम होता है वह शक्ति है
२_ प्रकट पर्याय में यदि चेंज करेंगे तो कितना काम हो सकता है वह शक्ति है।
३_प र्यायमें शक्ति मौजूद नहीं है परंतु यदि हमारे अंतर्गत जो द्रव्य स्वभाव मौजूद हे उसका यदि विकास हो जाए तो जो प्रगट होगा वह शब्द शक्ति।
१_ द्रव्य स्वभावरूप शक्ति
२ _ क्षयोपसम रुप शक्ति
३ _ पर्याय में उपयोग की शक्ति
डिटेल्स=
१_केवल ज्ञान केवल दर्शन की शक्ति है हमेशा पाई जाती है = द्रव स्वभावरूप शक्ति (अनादि से अनंत काल तक रहने वाली)
२_ वर्तमान मे जो पंचेंद्रीय जाने रूप शक्ति है= क्षयोप्सम रूप शक्ति ( पर्याय)
३ _क्षयोपसम रूप शक्ति से जो जान पाते है जो यूज कर पाते है वह= पर्याय मे उपयोग रूप शक्ति ( एक बार में एक को जानता है)
विशेष
संपत्ति ज्यादा है भोग कम है उसी प्रकार पंचेंद्रियओ का क्षयोपसम प्रति समय हमारे पास है, परंतु उपयोग हम एक बार में एक का ही कर सकते है बाकि चार उपयोग मे रहती है।